जिला अस्पताल को भी 'नजरे करम' की दरकार
- हाल-ए-जिला अस्पताल
- जिम्मेदारी के बाद भी नहीं है अहसास, वार्ड में फटे हैं चादर व गद्दे हाल-ए-जिला अस्पताल - जिम्मेदारी के बाद भी नहीं है अहसास, वार्ड में फटे हैं चादर व गद्दे GORAKHPUR:GORAKHPUR: जिला अस्पताल के मुखिया ने हॉस्पिटल की कमियों को दूर करने के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी बांट दी है। बावजूद इसके यहां के हालात जस के तस हैं। वार्डो की चरमराई व्यवस्था हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के कारगुजारी की पोल खोलने के लिए काफी है। नई बिल्डिंग का चिल्ड्रन वार्ड हो या स्पेशल वार्ड, सभी की हालत जनरल वार्ड से भी गयी गुजरी है। बेडों पर बिछे गंदे और फटे हुए बिस्तर मुंह चिढ़ा रहे हैं। काफी दिनों से ना तो इनकी सफाई हुई है और न ही बिस्तर ही बदले गए हैं। पेशेंट्स यहां ठीक होने के लिए आते हैं, लेकिन जिस तरह के हालात हैं। उससे संक्रामक रोग फैलने से इनकार नहीं किया जा सकता।
सिर्फ नाम का स्पेशलप्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन फिर भी हॉस्पिटल की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। स्पेशल वार्ड का आलम यह है कि यहां कुल क्ख् बेड लगाए गए हैं। इसमें से तीन बेड पूरी तरह टूट चुके हैं। वहीं बेड के गद्दे और चादर पर धूल की मोटी परत जमी हुई है। साथ ही बाथरूम के दरवाजे टूट कर अलग हो चुके हैं। साफ-सफाई न होने से गंदगी का अंबार लगा रहता है।
छत और दीवार का बुरा हाल वार्ड की दीवार और छत भी पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। बरसात में छत और दीवार से पानी टपकना कोई नई बात नहीं है। पेशेंट्स की मानें तो स्पेशल वार्ड में भर्ती होने के लिए प्रति पेशेंट को चार्ज देना होता है लेकिन बावजूद इसके मरीजों को चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाती है। इतना ही नहीं चिल्ड्रन वार्ड की हाल भी बद से बदतर है। जिम्मेदार भी इस पर नजर नहीं दौड़ा रहे हैं। उधर साहब को भी इसकी खबर नहीं है। उनका दावा है कि हॉस्पिटल में स्वास्थ्य से संबंधित सभी चीजें मुहैया करा दी गई है। यह है स्पेशल चार्ज - स्पेशल वार्ड में लगने वाले शुल्क - बेड चार्ज - फ्भ् रु। प्रति दिन - ब्लड ट्रांसफ्यूजन चार्ज - क्फ्ब् रु। प्रति पिक - एलपी चार्ज - क्फ्ब् रु। प्रति पेशेंट - अल्ट्रा आट्री कुवर इंजेक्शन - क्फ्ब् रु। प्रतिस्पेशल वार्ड की मरम्मत की जानी है, इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। गद्दों के लिए डिमांड भेजी गई है। क्0 दिन में आ जाएंगे।
डॉ। एचआर यादव, एसआईसी