साहब बताइए, वो कौन खास, जिसके लिए टेंडर हुआ 'बकवास'
- रोडवेज बसों की धुनाई का टेंडर निरस्त किए जाने पर चर्चा तेज
- मुख्यालय से निरस्त किया गया टेंडर लेकिन नहीं बताई वजह - सबसे कम रेट देने वाले का टेंडर स्वीकृत कर भेजा था मुख्यालय को, फिर भी निरस्तGORAKHPUR: रोडवेज की बसों की ऑटोमेटिक मशीन से धुलाई के लिए टेंडर निकाला गया था। इसके लिए जो बोली लगी, उसमें सबसे कम बोली लगाने वाले का टेंडर स्वीकृत करते हुए विभाग ने मुख्यालय को भेज दिया। लेकिन, वहां से टेंडर निरस्त करते हुए रीटेंडर कराने का आदेश जारी हो गया है। अव्वल तो यह कि रीटेंडर के आदेश में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि टेंडर कैंसिल क्यों किया गया। यहां के अधिकारी भी इसका कुछ जवाब नहीं दे पा रहे। इसके बाद रोडवेज में इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि किसी खास को टेंडर देने के लिए रीटेंडर किया जा रहा है। रोडवेज की तरफ से ली गई सिक्योरिटी मनी ठेकेदारों को वापस की जा रही है। वहीं गोरखपुर डिपो के अधिकारियों ने इस चर्चा को यह कहकर और हवा दे दी है कि उनका कोई खास नहीं है, मुख्यालय में किसी का कोई खास है तो वे कुछ नहीं कह सकते।
तीन ठेकेदारों ने लिया भागरोडवेज मुख्यालय की तरफ से बसों की ऑटोमैटिक मशीन से धुलाई के लिए सभी डिपो में टेंडर निकाला गया था। आवेदन करने वालों के लिए नियम और शर्त रखी गई थी। गोरखपुर रीजन में भी टेंडर आमंत्रित किया गया था। यहां राप्तीनगर, देवरिया, बस्ती, सोनौली, निचलौल और सिद्धार्थनगर में बसों की धुलाई सेंटर खोला जाना है। 20 अगस्त को गोरखपुर रीजन में टेंडर आमंत्रित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक गोरखपुर रीजन में तीन ठेकेदारों ने टेंडर के लिए हिस्सा लिया था। जिसमें एक ठेकेदार ने बसों की धुलाई का रेट लगभग 160 रुपये से अधिक, दूसरे ने 119 रुपये और तीसरे ने 118 रुपये के करीब रेट अंकित किया था।
पूरी की गई सारी प्रक्रिया टेंडर प्रक्रिया के लिए बनी रोडवेज अधिकारियों की कमेटी के मेंबर्स की मानें तो उन्होंने टेंडर की सारी प्रक्रिया पूरी की। सबसे कम रेट भरने वाले ठेकेदार का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेज दिया। लेकिन गुरुवार को मुख्यालय से पत्र आया कि रीटेंडर कराया जाए। दोबारा टेंडर क्यों करवाया जा रहा है इस संबंध में भी कोई जानकारी नहीं दी गई। वर्जनमेरा यहां कोई चहेता नहीं है। अगर मुख्यालय का कोई है तो उसके बारे में मैं नहीं बता सकता। टेंडर करवाकर सबसे कम रेट भरने वाले ठेकेदार का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया था। टेंडर क्यों मान्य नहीं है इस संबंध में जानकारी नहीं है।
- संतोष कुमार, सर्विस मैनेजर, रोडवेज बिना भेदभाव के टेंडर प्रक्रिया पूरी कराई गई थी। रीटेंडर क्यों हो रहा, इस बारे में मुख्यालय से आए लेटर में कुछ नहीं लिखा है। आदेश के मुताबिक रीटेंडर की डेट जल्द जारी की जाएगी। - एसके राय, आरएम, रोडवेज