गंदगी में रहते हैं लोग और मौज करते हैं पार्षद
- वार्ड नंबर 13 और 17 में पब्लिक का कोई सुनने वाला
- घूमते सुअर गंदगी की दे रहे गवाही GORAKHPUR: शहर की कॉलोनियां कूड़ेदान बनी हुई हैं। गलियों में लबालब पानी भरा हुआ है। दिन हो या रात गलियों में आवारा जानवरों का आतंक छाया रहता है। गलियों में नालियों का पानी सड़क पर बहता है और कूड़े का ढेर लगा रहता है। ट्यूज्डे को आई नेक्स्ट की टीम ने जब वार्ड 13 और 17 का जायजा लिया तो पब्लिक ने कहा कि कूड़ा का ढेर और ओवरफ्लो नालियों के बीच से होकर गुजरना पड़ रहा है। यहां के गंदगी भरे रास्ते लगातार बीमारी को दावत दे रहे हैं। जब आंदोलन होता है तो सफाई होती है और उसके बाद फिर से गायब हो जाते हैं। ---------------- वार्ड नं - 17, लोहिया नगर वार्ड एरिया- लगभग ढाई वर्ग किमी जनसंख्या- लगभग 24 हजार मोहल्ले - 8तैनात सफाई कर्मचारी- 23 आउटसोर्सिग
सफाई कर्मचारियों पर खर्च वेतन- आउटसोर्सिग पर परमंथ 195615 रुपएसिटी के नए बस रहे एरिया में इसकी गिनती होती है। यहां लगभग 70 प्रतिशत मकान नए बने हुए हैं, जिसके कारण घनी आबादी है। सभी चाहते हैं कि हमारे घर के सामने बनी गली में कोई कूड़ा न हो और नालियों का पानी निकलता रहे, लेकिन हो उल्टा रहा है। कूड़ा उठता नहीं है और न ही नाली का पानी सड़क पर बहता है। इस कारण लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है। कूष्णा नगर एल्यूमिनियम फ्रैक्ट्री के पीछे गलियों की सफाई की हालत है कि बिना बारिश के ही पानी का लेवल सड़क के बराबर दिख रहा है। पार्षद कभी गलियों में नहीं दिखती हैं। जब कोई इनके पास कंप्लेन करने के लिए जाता है तो आश्वासन देती हैं कि जल्द सफाई हो जाएगी, लेकिन कोई आता नहीं है।
नगर निगम की सफाई की हालत देखनी हो तो लोहिया नगर के किसी भी एरिया में आकर देख सकता है। वार्ड की गलियों की सफाई के लिए हर बार कंप्लेन होती है, लेकिन केवल आश्वासन मिलता है। गली हो या मुख्य सड़क कहीं भी कूड़ा दिख सकता है। - सुरेश चौधरी, रेजीडेंट नाले और नालियों की सफाई न होने के कारण सुबह सड़कों पर गंदा पानी फैल जाता है। इस कारण आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दिन में आवारा जानवरों का भी आतंक कायम रहता है। पिछले दो माह में तीन लोगों को आवारा जानवर मारकर घायल कर चुके हैं।- संजय शिलांकुर, रेजीडेंट
नगर निगम में कोई भी व्यक्ति सुनने वाला नहीं है। सफाई की हालत यह है कि सफाई कर्मचारी डेली जाते ही नहीं हैं। एक गली की सफाई के लिए उन्हें कई बार टोकना पड़ता है। वहीं अगर नालियों की सफाई करानी हो, तो उनके साथ खुद ही खड़े होना पड़ता है। 5 कर्मचारियों को कई बार हटाने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक नहीं हटाए गए हैं। सिरताज, पार्षदनगर निगम के अफसर और कर्मचारी किसी की सुनते नहीं हैं। 10 बार से अधिक सफाई सुपरवाइजर और ठेकेदार पर कार्रवाई के लिए पत्र लिख चुकी हूं, लेकिन कोई सुनता ही नहीं है।
ज्ञानमति देवी, पार्षद ------------- वार्ड नं.- 13, जटेपुर उत्तरी वार्ड एरिया- लगभग दो वर्ग किमी जनसंख्या- 20 हजार मोहल्ले - 6 तैनात सफाई कर्मचारी- 23 आउटसोर्सिग सफाई कर्मचारियों पर खर्च वेतन- आउटसोर्सिग पर मंथ 195546 रुपएइस वार्ड के दोनों तरफ रेलवे लाइन है। फिर भी वार्ड में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। दिन हो या रात वार्ड की गलियों में आवारा जानवरों का आतंक छाया रहता है। दिन में गाय, सांड़ और सुअर तो रात को सुबह और कुत्तों की भरमार शहर में रहती है। वार्ड के काली मंदिर के पास एक पूर्व मंत्री भी रहते हैं, लेकिन महीनों हो जाते हैं सफाईकर्मियों की झाड़ू गली में नहीं दिखती है। काली मंदिर से बौलिया रेलवे कॉलोनी वाले रास्ते पर सभी मौसम में जल-जमाव की हालत बनी रहती है। बारिश के दौरान यहां सड़क पर तीन से चार फीट तक पानी जमा हो जाता है। सफाईकर्मियों की हालत यह है कि वार्ड में दिखते ही नहीं हैं, अगर कहीं दिख भी गए तो वह भी केवल 10 बजे तक उसके बाद गायब हो जाते हैं। संक्रामक विभाग की मानें तो पिछले साल में हर मंथ इस वार्ड से कम से कम 5 से 7 डायरिया के मरीज भर्ती होते रहे हैं।
मेरे मोहल्ले में छह माह पहले सफाईकर्मी दिखे थे, उसके बाद से आज तक नहीं दिखे। दिन में सुअर और आवारा जानवरों की भीड़ गली में लगी रहती है। कई बार तो यह लोगों को घायल भी कर देते हैं। जिम्मेदार से कंप्लेन करने पर अगले दिन सफाईकर्मी भेजने की बात कही जाती है, लेकिन उनका कल अब तक नहीं आ सका है। - शंकर गुप्ता, रेजीडेंट पूरे मोहल्ले में शाम को एक जगह खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। नालियों में बदबू उठती है और पूरे दिन सुअर इन नालियों में घूमते रहते हैं। अगर दिन में घर का गेट खुला हो तो नाली से निकलकर सुअर घरों में घुस जाते हैं। -राजकुमार, रेजीडेंट