फिर दगा दे गया 100 नंबर
- काफी प्रयास पर ऑपरेटर से हो सकी बात
- प्रॉपर रिस्पांस न मिलने की हुई थी शिकायत 8 GORAKHPUR: जिले के पुलिस कंट्रोल रूम की व्यवस्था सुधर नहीं पा रही। शुक्रवार की रात बेतियाहाता में लूट के बाद लोग सूचना देने के लिए परेशान रहे। करीब आधे घंटे की कोशिश के बाद कंट्रोल रूम के ऑपरेटर से बात हो सकी। प्रॉपर रिस्पांस के अभाव में घटनास्थल पर पुलिस के पहुंचने में काफी विलंब हुआ। डॉयल 100 की व्यवस्था खराब होने को लेकर व्यापारियों ने आक्रोश जताया। पुलिस अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराकर व्यवस्था ठीक कराने को कहा। 20 मिनट बाद हो सकी बातबेतियाहाता निवासी दवा कारोबारी सुशील कुमार तुलस्यान को बदमाशों ने लूट लिया। शुक्रवार की रात करीब पौने नौ बजे वह घर के पास पहुंचे। तभी पहले से मौजूद चार बदमाशों ने आंख में मिर्ची पाउडर डाल दी। उनकी स्कूटी लेकर फरार हो गए। स्कूटी की डिक्की में करीब पांच लाख रुपए थे। लूट की सूचना देने के लिए मोहल्ले के अतुल ने कंट्रोल रूम को कॉल करना शुरू किया। कंट्रोल रूम से फोन मिलने में 20 मिनट से अधिक का समय लग गया। नौ बजकर 06 मिनट पर पुलिस कंट्रोल रूम के ऑपरेटर से बात हो सकी। सूचना देने के करीब 25 मिनट बाद नौ बजकर 31 मिनट पर पुलिस पहुंची। कंट्रोल रूम की लापरवाही को लेकर लोगों ने सीओ से शिकायत दर्ज कराई।
इतने में तो निकल जाएं बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की अव्यवस्था पर लोगों ने नाराजगी जताई। कहा कि कंट्रोल रूम से प्रॉपर रिस्पांस भी नहीं दिया गया। ऑपरेटर आराम से हर जानकारी पूछते रहे। इन परिस्थितियों में किसी घटनास्थल से बदमाशों को भागने का पूरा मौका है। इसलिए कंट्रोल रूम की व्यवस्था को स्मार्ट बनाने की जरूरत है। इसके पहले भी कंट्रोल रूम का फोन न मिलने की शिकायत हो चुकी है। 18 फरवरी की देर रात एक्सीडेंट की सूचना देने पर कंट्रोल का फोन न उठने पर आईजी जोन ने जांच की। 19 फरवरी की दोपहर अचानक कंट्रोल रूम पहुंचे आईजी ने व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया। आईजी ने वीटी मैसेज सेवा को फिर से चालू करने को कहा। बावजूद इसके व्यवस्था सुचारू नहीं हो सकी। पांच मिनट में पहुंची थी पुलिसपूर्व में कंट्रोल रूम को स्ट्रांग बनाने की कोशिश हो चुकी है। पूर्व डीआईजी असीम अरुण ने कंट्रोल रूम को हाईटेक बनाने के साथ-साथ ऑपरेटिंग सिस्टम को दुरुस्त किया था। आवेदन मांगकर पुलिस कर्मचारियों को ट्रेनिंग दिलाई गई। फिर प्रशिक्षित पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी कंट्रोल रूम में लगाई गई। किसी सूचना के मिलने पर ऑपरेटर उसे फार्म में दर्ज करते हुए घटनास्थल के नजदीकी अपाची दस्ता को फॉरवर्ड करते रहते थे। इससे पुलिस को मौके पर पहुंचने में कम समय लगता था। मौके पर पहुंचने के बाद अपाची दस्ता आगे की कार्रवाई के लिए सूचना देते। इसकी बदौलत कई बार बदमाशों को दबोचने में कामयाबी मिली। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि कंट्रोल रूम में 10 टेलीफोन लाइन स्थापित हैं।