चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है..
-दाउदपुर स्थित मां काली मंदिर में जनपद के अलावा दूसरे प्रदेश और नेपाल देश से आते हैं श्रद्धालु
- मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को पूरी होती है मन की मुरादें GORAKHPUR सिंह पर सवार दाउदपुर स्थित काली जी जहां शांति मुद्रा में हमेशा रहना पसंद करती हैं। वहीं इस मंदिर में आने वाले हर एक श्रद्धालु के मन की मुराद पूरी हो जाती है। सुख समृद्धि की प्रतीक मां काली के दर्शन के लिए न सिर्फ गोरखपुर जिले के श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, बल्कि बिहार और नेपाल देश से भी श्रद्धालु नवरात्र में दर्शन करने आते हैं। शरदीय नवरात्र में चूंकि पूरे शहर में मेले जैसा आयोजन होता है, इसलिए इन दिनों में मां काली के श्रद्धालुओं का तांता लगना भी शुरू हो गया है। 1822 में हुई मां काली मंदिर की स्थापनादाउदपुर स्थित महाकाली मंदिर की स्थापना 1822 में हुई थी। वर्ष 2005 में मां काली और 2010 में दुर्गा मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। यहां 24 घंटे में दो बार मां काली की आरती होती है। ऐसी मान्यता है कि मां काली की आराधना करने वाले श्रद्धालुओं के मन की मुराद पूरी हो जाती है। खास बात यह है कि हर सोमवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन-अर्चन के लिए आते हैं। नवरात्र में दशमी के दिन सामूहिक हवन होता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। मंदिर के पुजारी आचार्य पं। विजय शंकर पांडेय ने बताया कि मंदिर के लिए मां का रंग-रोगन पहले ही करा दिया गया था। सुबह चार बजे भक्तों के दर्शन के लिए मां का द्वार खोल दिया जाता है। मां काली मंदिर के सामने एक हवन कुंड बना है। वहीं सामूहिक रूप से हवन होता है।
पूरी होती हैं मन की मुरादें काली मंदिर में आने वाले शहर के श्रद्धालुओं की मानें तो नवरात्र में वह हर साल मां काली की दर्शन करने आते हैं। उनकी मुरादें पूरी हो जाती हैं। छोटेकाजीपुर की रहने वाले सुमन बताती हैं कि शरदीय व चैत्र रामनवमी में वह मां काली की पूजा अर्चना के लिए सुबह और शाम पूजन के आती हैं। सोमवार और शनिवार के दिन के आरती में वह जरूर शामिल होती है। वहीं रूस्तमपुर के रहने वाले रूपेश कुमार बताते हैं वे मां काली के भक्त हैं। उन्होंने अब तक जितनी भी कामनाएं की हैं, वह पूरी हुई हैं।