गोरखपुर में डेंगु के प्रकोप से बचने के लिए निगम लगातार फागिंग करा रहा है लेकिन पब्लिक का कहना है कि लगातार फागिंग के बाद भी सिटी से मच्छर गायब नहीं हो रहे है.

मच्छरों के प्रकोप से पूरा शहर परेशान है। नगर निगम का दावा है कि हर जगह फॉगिंग कराई जा रही है, लेकिन इसकी सच्चाई गोरखपुराइट्स भलीभांति जान रहे हैं। परेशान लोग नगर निगम को कोस रहे हैं। हालांकि जिस फॉगिंग के लिए पब्लिक परेशान है, उसका असर मच्छरों पर नहीं होता है। धुएं से सिर्फ थोड़ी देर के लिए मच्छर भाग जाते हैं। धुआं हटते ही फिर मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है।

फांगिग केमिकल में क्या मिलाया जाता है

गोरखपुराइट्स को मच्छर के प्रकोप से बचाने के लिए नगर निगम की ओर से फॉगिंग कराई जाती है। मौजूदा समय में निगम के पास 60 छोटी मशीनें (साइकिल) और 10 बड़ी फॉगिंग मशीन वाहन हैं। छोटी मशीन में 5 लीटर डीजल, 250 एमएल मैलाथियान और एक लीटर पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, बड़ी फॉगिंग मशीन वाहन में 50 लीटर डीजल, 5 लीटर पेट्रोल और एक लीटर मैलाथियान लिक्विड का प्रयोग किया जाता है। मिली जानकारी के अनुसार डीजल, पेट्रोल के साथ 95 परसेंट केमिकल के तौर पर मैलाथियान मिलाया जाता है। इसके साथ ही मशीन में वाटर टैंक भी लगा होता है। जो फॉगिंग मशीन के लिए कूलेंट का काम करता है।

गायब नहीं हो रहे मच्छर

रोज एक फॉगिंग वाहन को एक वार्ड में भेजा जाता है। वहीं छोटी फॉगिंग मशीन आंधे घंटे में एक मोहल्ले को कवर करता है। शहर के 80 वार्ड में फॉगिंग मशीन भेजने का दावा किया जाता है, लेकिन बाहरी वार्ड में फॉगिंग मशीन नहीं भेजी जाती।

धुएं से खतरनाक बीमारी

सिटी के लोगों ने बताया कि फॉगिंग पर भरोसा करना गलत है। इसके धुएं से मच्छरों की बजाय खुद को ज्यादा खतरा है। फॉगिंग मशीनों में 95 लीटर डीजल में कीटनाशक और मैलाथियान को मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है।

कई इलाकों में फॉगिंग नहीं

नगर निगम में 60 साइकिल वाली मशीन और 10 बड़ी मशीनें हैं, लेकिन इसके बाद भी सिटी केबाहरी इलाके में फॉगिंग के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। इलाके के लोग शिकायत भी करते हैं, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं।

हर महीने लाखों खर्च

निगम हर महीने मच्छर भगाने में लगभग 5 से 6 लाख रुपये खर्च करने का दावा करता है। 60 साइकिल वाली मशीन और 10 बड़ी मशीन है। यही अभी 80 वार्ड में मच्छर भगाने का काम कर रही है। लोगों का कहना है नगर निगम फॉगिंग करने में जिस केमिकल का प्रयोग करता है, यह बेअसर है न मच्छर मरता है न ही भागता है। दवा का मच्छरों पर कोई असर नहीं होता।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। राजेश कुमार ने कहा, 'वार्डो में रोस्टरवार फॉगिंग कराई जाती है। यदि कहीं से शिकायत मिलती है तो वहां पर फॉगिग की जाती है। इसके लिए अलग से इंस्पेक्टर तैनात किए गए हैं। इनकी मानिटरिंग में फॉगिंग कार्य कराया जाता है.'

Posted By: Inextlive