डेंगू के पौ बारह, व्यवस्था 'नौ दो ग्यारह'
- जिला अस्पताल के पैथोलॉजी में तीन और पेशेंट्स में डेंगू की पुष्टि
- 23 की एलाइजा टेस्ट में अब तक 9 डेंगू के मरीज मिले GORAKHPUR: स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही के कारण अब इंसेफेलाइटिस के बाद डेंगू भी डराने लगा है। गुरुवार को जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में हुई जांच में तीन और पेशेंट्स में डेंगू होने की पुष्टि हुई। इस तरह अब तक 23 संभावित मरीज की जांच में कुल 9 पेशेंट्स डेंगू के सामने आए हैं। बरसात के मौसम की शुरुआत के साथ ही डेंगू को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किए जाने का दावा हेल्थ डिपार्टमेंट ने किया था, लेकिन अब उसकी दावों की पोल खुद-ब-खुद खुल रही है। इस समय देवरिया और गोरखपुर के एक-एक मरीज का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। डेंगू के आंकड़े में इजाफाजिला अस्पताल के पैथोलॉजी रिपोर्ट में गुरुवार को डेंगू के तीन और मरीजों की पुष्टि हुई। सहजनवां एरिया के जैतपुर निवासी 17 वर्षीय अंकित पुत्र सीताराम भट्ट, उरुवा एरिया के अहिंसा गांव के मुकेश चंद पुत्र विजय बहादुर, शाहपुर के आजाद नगर बिछिया निवासी रामसुमेर सिंह के एलाइजा टेस्ट की रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई। अब तक 23 मरीजों का टेस्ट कराया जा चुका है। इनमें 7 पेशेंट्स का प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। वहीं जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में देवरिया की प्रियंका और राम सुमेर एडमिट हैं।
बीमारी को लेकर अलर्ट रिपोर्ट में बिहार, देवरिया समेत गोरखपुर जिले के नौ बुखार के मरीजों में डेंगू पाया गया। पूर्वाचल के जिलों में तेजी से बढ़ते डेंगू के प्रसार को देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट के हाथ-पांव फूल रहे हैं। अभी एक दिन पूर्व ही सीएमओ ने जिले में अलर्ट जारी किया है। सभी डॉक्टर्स और हेल्थ एंप्लाइज को सचेत किया है कि वे मरीज में डेंगू की पुष्टि होने के बाद उसके घर पर दवा का छिड़काव कराएं। इलाज में किसी प्रकार का चूक न करें और मरीज की बराबर देखरेख करें। यह हो तो समझें हो सकता डेंगू - तेज बुखार, जो 3 से 7 दिन तक रह सकता है। - जी मिचलाना या उल्टी होना। - सिर, आंख, बदन, जोड़ों में दर्द। - शरीर में लाल चक्कते पड़ना। - भूख न लगना। - चिड़चिड़ापन महसूस होना। - ब्लड प्रेशर में गिरावट। - आंख या नाक से खून आना। ऐसे करें बचाव - घर आस-पास पानी एकत्र न होने दें। - साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें।- घर में बर्तन में पानी भर कर रखते हैं तो उसे ढक कर रखें।
- खाली बर्तन को कोशिश करें कि ढककर रखें। - कूलर, गमले का पानी रोज बदलते रहें। यदि जरूरत न हो तो कूलर में पानी भरकर न रखें। - ऐसे कपड़े पहने जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढककर रखें। - सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।