एक्सीडेंट के बाद लापरवाही ने ले ली हिरण की जान
- कैंपियरगंज-सोनौली रोड पर बोलेरो ने मारी टक्कर
- घंटों रोड पर तड़पता रहा घायल हिरण, लोग देखते रहे तमाशा - सूचना के घंटों बाद जागा वन विभाग, स्वास्थ्य केन्द्र पर नहीं था कोई कर्मी CAMPIERGANJ: कैम्पियरगंज वन क्षेत्र अंतर्गत कैम्पियरगंज-सोनौली रोड पर गुरुवार को शाम में एक हिरण को बोलेरो ने टक्कर मार दी। किसी राहगीर ने वन विभाग को सूचना दी लेकिन घंटों मौके पर कोई नहीं पहुंचा। रोड पर पड़ा घायल हिरण तड़पता रहा और लोग तमाशा देखते रहे। मौके पर पहुंचे वन क्षेत्राधिकारी ने फरेंदा से कंपाउंडर बुलाया लेकिन तब तक हिरण ने दम तोड़ दिया। शुक्रवार को सुबह हिरण का पोस्टमार्टम किया गया। जंगल से आ गया था हिरणकैंपियरगंज वन क्षेत्र में स्थित सोनौली रोड पर गुरुवार को शाम में 6 बजे कहीं से हिरण आ गया। एलबीएस डिग्री कॉलेज के पास रोड पर तेज रफ्तार बोलेरो ने हिरण को टक्कर मार दी। हिरण रोड किनारे जा गिरा। टक्कर मारने के बाद बोलेरो गायब हो गई। धीरे-धीरे राहगीर जुटते गए। स्थानीय लोग भी जमा होने लगे लेकिन किसी ने हिरण को बचाने के लिए कुछ नहीं किया।
200 मीटर की दूरी पर है ऑफिसमौके पर चन्द्रप्रकाश हरी का कहना था कि वे उसी रास्ते से फरेंदा जा रहे थे। देखा कि हिरण तड़प रहा है। वहां कोई वनकर्मी मौजूद रहीं था। उन्होंने डीएफओ फरेंदा, वन क्षेत्राधिकारी कैंपियरगंज को सूचना दी लेकिन घंटों कोई नहीं पहुंचा। जबकि घटनास्थल से मात्र 200 मीटर की दूरी पर वन विभाग का ऑफिस है। दर्जनों राहगीर तमाशा देख रहे थे। जो भी रोड से गुजरता, भीड़ देखकर रुक जाता। फिर वहां से चला जाता था। चन्द्रप्रकाश का कहना था कि अंधेरा होने लगा तो वे भी वहां से चले गए।
स्वास्थ्य केन्द्र पर नहीं था कर्मचारी करीब दो घंटे बाद वन क्षेत्राधिकारी साजिद मौके पर पहुंचे। हिरण तब भी वहां तड़प रहा था। उन्होंने मौके से पशुचिकित्सा अधिकारी से संपर्क किया। लेकिन कैम्पियरगंज स्वास्थ्य केन्द्र पर उस समय कोई डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं था। इस कारण फरेंदा से कंपाउंडर बुलाना पड़ा। इसमें काफी देर हो गई और हिरण को बचाया नहीं जा सका। सीने और सिर में चोट शुक्रवार को सुबह 9 बजे डॉ। उपेन्द्र शर्मा ने हिरण का पोस्टमार्टम किया। डॉक्टर के मुताबिक हिरण के सीने और सिर में गंभीर चोट लगी थी। चोट के कारण ही उसकी मौत हो गई। बच सकती थी जानप्रत्यक्षदर्शी चन्द्रप्रकाश व अन्य लोगों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी तत्परता दिखाते तो हिरण को बचाया जा सकता था। वहीं स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर व कर्मचारियों के नहीं रहने के कारण भी दिक्कत हुई। लोगों का कहना है कि इसी तरह की लापरवाही के कारण इसके पहले भी एक बंदर व अन्य जानवरों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य केन्द्र पर अक्सर कोई डॉक्टर नहीं रहता। वहीं रात में सभी कर्मचारी भी गायब रहते हैं।
मुझे जैसे ही सूचना मिली, मैं मौके पर गया था। स्वास्थ्य केन्द्र पर कोई कर्मचारी नहीं होने के कारण दिक्कत हुई। फरेंदा से कंपाउंडर को बुलाना पड़ गया। काफी कोशिश की लेकिन हिरण को बचा नहीं सका। - साजिद, वन क्षेत्राधिकारी, कैंपियरगंज