अस्पताल पहुंचाया पर नहीं बची जान
- जंगल से भटककर आबादी में पहुंचा हिरन
- भाला और कुत्तों के हमले में हो गई मौत GORAKHPUR: पीपीगंज एरिया के जंगल कौडि़या में भटककर पहुंचे हिरन की जान चली गई। किसी ने भाला से उस पर हमला कर दिया। जान बचाकर भागे हिरन को कुत्तों ने नोंच खाया। घायल हिरन को पब्लिक ने पशु अस्पताल पहुंचाया। वहां उपचार के बाद भी डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा सके। डीएफओ के निर्देश पर हिरन का पोस्टमार्टम कराया गया। दो दिन बाद रिपोर्ट आने उसके मौत की सही वजह सामने आ सकेगी।संडे दोपहर जंगल कौडि़या के कहरपुरवा में हिरन भटक पहुंचा। कुत्तों के झुंड ने उसको घेर रखा था। पब्लिक की नजर पड़ी तो लोगों ने उसको कुत्तों से बचाया। हिरन के शरीर पर भाला घोंपे जाने के निशान थे। कड़ाके की ठंड में कुत्ते के हमले से उसकी हालत गंभीर हो गई थी। पब्लिक ने उसे जंगल कौडि़या स्थित पशु चिकित्सालय पहुंचाया। वहां डॉक्टर्स ने उपचार किया लेकिन हिरन की मौत हो गई। पोस्टमार्टम कराने के बाद हिरन को कैंपियरगंज जंगल में दफना दिया गया।
जंगल से भटक कर गांवों में पहुंचते हैं हिरनसिटी के आसपास जंगलों के हिरनों की भारी तादाद है। कुसम्ही जंगल, टिकरिया, कैंपियरगंज, फरेंदा सहित अन्य जगहों से भटके हिरन गांवों में पहुंच जाते हैं। आबादी की तरफ बढ़ने पर हिरन खतरे में पड़ जाते हैं। अकेला पाकर कुत्ते और सियार हमला कर देते हैं। ऐसे में उनकी जान चली जाती है। बीते दो साल के भीतर जिले में अलग- अलग जगहों पर आधा दर्जन से अधिक हिरनों की मौत हो गई। कैंपियरगंज और कुसम्ही जंगल में सड़क पर कुचलकर हिरनों की मौत हो चुकी है।
हिरन का पोस्टमार्टम कराया गया है। दो दिन बाद रिपोर्ट आने पर मौत की वजह सामने आ सकेगी। हिरन पर नुकीले हथियार से हमले के निशान भी थे। डॉक्टर जनार्दन, डीएफओ गोरखपुर