सबको चुकाना चाहिए समाज का कर्ज
- पं। दीनदयाल उपाध्याय जयंती के मौके पर प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने रखे अपने-अपने विचार
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : डीडीयूजीयू के संवाद भवन में दीन दयाल उपाध्याय जयंती मनाई गई। इस मौके पर दीन दयाल जी के सपनों का भारत विषय पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर बतौर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे सांसद तरूण विजय ने कहा कि व्यक्ति समाज के सहयोग के बिना विकास नहीं कर सकता। व्यक्ति को यह मानना चाहिए कि वह अकेला नहीं है, समाज उसके साथ है। उसके विकास में समाज का योगदान है। वह समाज का ऋणी है इसलिए उसे समाज ऋण को चुकाना चाहिए। आध्यामिक ही भारत की मूल प्रवृत्ति हैचीफ गेस्ट रहे गोरक्षपीठीधीश्वर एवं सांसद महंत आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की मूल प्रवृत्ति आध्यात्मिक है इसलिए हमें अपने विकास मॉडल में अध्यात्म को स्थान देना होगा। यह कार्य सर्वप्रथम दीनदयाल उपाध्याय द्वारा किया गया। दीनदयाल जी समाज के अंतिम व्यक्ति की चिंता करते थे। इसी क्रम में वीसी प्रो। अशोक कुमार ने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम सब दीनदयाल जी के नाम से जानने वाले संस्थान से संबद्ध है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय दीनदयाल उपाध्याय के शताब्दी वर्ष को धूमधाम से मनाएगा, साथ ही विश्वविद्यालय की प्रतिमा स्थापित किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन आयोजन समिति के संयोजक प्रो। ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने किया।
एक लाख देने की घोषणा आभार ज्ञापन आयोजन समिति के सदस्य प्रो। श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा किया गया। वहीं मुख्य वक्ता ने सांसद निधि से एक लाख रुपए विश्वविद्यालय को दीन दयाल जी के साहित्य हेतु लिए देने की घोषणा की। इस मौके पर एक्स वीसी प्रो। यूपी सिंह, प्रो। जितेंद्र तिवारी, प्रो। विपुला दुबे, प्रो। राजवंत राव, प्रो। गोपीनाथ, धर्मराज त्रिपाठी, डॉ। सतीश द्विवेदी, डॉ। उमेश सिंह, जितेंद्र वर्मा, डॉ। राजेश सिंह, डॉ। नित्यानंद श्रीवास्तव, डॉ। सुधीर श्रीवास्तव, डॉ। संजीत कुमार गुप्ता व डॉ। उमा श्रीवास्तव आदि मौजूद रहीं।