पूर्वांचल में मिले डेंगू के खतरनाक वेरिएंट ने खलबली मचा दी है. सबसे खतरनाक डेन-2 वेरिएंट 48 परसेंट सैंपल में मिला. बावजूद इसके डेंगू के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए कोई प्रोग्राम नहीं चलाया जा रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से संचारी रोग अभियान तो चलाया जा रहा है लेकिन पानी की टंकियों, कूलरों और टायर की दुकानों को साफ रखने जैसी कोई अवेयरनेस सार्वजनिक स्थलों पर नहीं दिख रही। टीपीनगर में दुकानों के सामने टायरों पर पानी जमा हो रहा है। वहीं, लालडिग्गी पार्क के तालाब में पानी का जमा है। ऐसे में यदि डेंगू फैलता है इसकी चपेट में ज्यादा लोग आ सकते हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शनिवार को टीपी नगर स्थित टायर के दुकानों को देखा तो हैरान कर देने वाला दृश्य सामने आया। दुकानों के आसपास टायरों का ढेर लगा मिला। कुछ टायरों में पानी भरा था। वहीं, लालडिग्गी पार्क तालाब में पानी का ठहराव था। उसमें काई जमा मिली। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि टायरों व लालडिग्गी पार्क में जलभराव में लार्वा पनप सकते हैं, जिस पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है।


इस साल मिले डेंगू के 3 केस मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया, 2022 में जिले में 318 डेंगू के केस मिले हैं। जबकि अभी तक शहर में लगभग तीन डेंगू के केस मिले हैं। साफ पानी में पनपता डेंगू का लार्वा

साफ व ठहरे हुए पानी में डेंगू के लार्वा पनपते और पलते हैं। बारिश की वजह से जगह जगह जलजमाव हो रहा है। जलजमाव की वजह से मच्छर का प्रकोप भी बढऩे लगा है। लोग मलेरिया और डेंगू बीमरी फैलने को लेकर सशंकित हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट का दावाहेल्थ डिपार्टमेंट संचारी रोग अभियान चला रहा है। इसके तहत इलाके में टीम एंटी लार्वा के साथ नगर निगम के सहयोग से साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे रही है और लोगों को जागरूक भी कर रही है। मलेरिया विभाग की ओर से लोगों को समझाया जा रहा है कि हफ्ते में एक बार कूलर का पानी बदलें। टंकियों का पानी साफ रखें तथा गमलों का पानी भी बदलते रहें। ऐसा न करने पर लार्वा पनप सकते हैं। सेंसेटिव एरिया टीपीनगर, लालडिग्गी पार्क, बशारतपुर, भटहट, बिछिया कॉलोनी, छोटेकाजीपुर, दीवान बाजार, गोरखनाथ, ईस्लामचक, झरना टोला, मोहद्दीपुर, नथमलपुर, निजामपुर, पुर्दिलपुर, शाहपुर, तारामंडल, जाफराबाजार आदि। 48 परसेंट सैंपल में डेन-2 वेरिएंट

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के विशेषज्ञों ने डेंगू के सौ नमूनों पर अध्ययन कर स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वांचल में डेंगू के खतरनाक वेरिएंट मौजूद हैं। ये नमूने एलाइजा जांच में पाजिटिव आए डेंगू रोगियों के थे। इनमें चार वेरिएंट की जांच की गई, जिसमें सबसे खतरनाक डेन-2 वेरिएंट 48 प्रतिशत नमूनों में पाया गया है। इसके अलावा डेन-2 व डेन- 3 का संयुक्त संक्रमण भी 12 प्रतिशत नमूनों में मिला है। बचाव के तरीके- मच्छर भगाने वाले रेपेल्लेंट का यूज करें।- मच्छरदानी का उपयोग करें।- नेटिंग या स्क्रीन, खिड़की और दरवाजों में होनी चाहिए।- सुगंधित साबुन और इत्र मच्छरों को आकर्षित कर सकते हैं।- रुके हुए पानी को समय पर निकालना आवश्यक है। डेंगू बुखार के लक्षणजब डेंगू बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होता है तो बच्चों या किशोर में मुश्किल से इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यदि लक्षण होते भी हैं, तो यह संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के चार से सात दिनों तक रहते हैं। डेंगू बुखार में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी आना, ग्रंथियों में सूजन आना और आंखों में दर्द की शिकायत होती है। लगाया जाएगा जुर्मानाहेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से संचारी रोग अभियान चलाया जा रहा है। टायरों में जमा पानी से एडीज मच्छर के लार्वा पनपते हैं। इस कारण डेंगू के मामले सामने आते हैं। नगर निगम अब टायरों में पानी एकत्र होने के मामले में सख्ती करेगा, जिन दुकानों के सामने रखे टायर या कबाड़ की दुकान में जलभराव मिला तो मालिक पर जुर्माना लगाया जाएगा। डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ गोरखपुर

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