रेसिस्टेंट टीबी डीआर टीबी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली साइक्लोसिरिन दवा की सरकारी अस्पतालों में संकट गहरा गया है. दवा न मिलने से लगभग 385 डीआर टीबी पेशेंट्स की परेशानी बढ़ गई है. उन्हें सिर्फ चार दवाएं ही मिल पा रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। डीआर टीबी के उन्मूलन में दवा का संकट बरकरार है। सरकारी अस्पताल में साइक्लोसिरिन की दवा छोड़ कर बाकी दवाएं उपलब्ध है। जबकि अस्पताल में डीआर टीबी के 385 पेशेंट्स अपना इलाज करवा रहे हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट के जिम्मेदार अफसरों का दावा है कि टीबी पेशेंट उपलब्ध दवाओं का भी नियमित सेवन करें तो वह ठीक हो सकता है। लेकिन दवाओं के संकट के बीच टीबी पेशेंट्स को अक्सर जूझना पड़ रहा है। आये दिन अस्पताल में दवा के लिए पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें चार दवा छोड़ कर साइक्लोसिरिन दवा नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। न बंद करें दवाएं


विशेषज्ञों के मुताबिक डीआर टीबी के पेशेंट जब दवाओं का सेवन करते हैं तो मिचली आना, पेशाब के रंग में बदलाव और पेट दर्द जैसे कुछ प्रभाव भी नजर आते हैं। घबरा कर कई बार व दवा बंद कर देते हैं। ऐसा किसी को नहीं करना है। पेशेंट के परिवार के लोग सुनिश्चित करें कि किसी भी दशा में दवा बंद न करें। अगर परेशानी ज्यादा हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए ओर उनके परामर्श के अनुसार इलाज जारी रखना चाहिए।

टीबी पेशेंट्स के इलाज और दवाएं सरकारी अस्पतालों पर उपलब्ध हैं। सिर्फ एक दवा नहीं हैं जिसकी डिमांड भेजी गई है। दो सप्ताह से अधिक की खांसी, शाम को बुखार, बुखार के साथ पसीना, बलगम में ब्लड आना, वजन घटना, भूख न लगना और सीने में दर्द जैसे लक्षण हों तो नजदीकी अस्पताल पहुंच कर टीबी की जांच कराएं। टीबी पेशेंट्स को इलाज और दवा के साथ-साथ 500 रुपए प्रति माह पोषण के लिए उनके खाते में भी दिए जाते हैं। - डॉ। गणेश यादव, जिला क्षयरोग अधिकारी

Posted By: Inextlive