पुराना छोड़कर नए तरीके अपना रहे जालसाज
- खुद को अपडेट करके लोगों को बना रहे शिकार
- एप डाउनलोड करने से लेकर हेल्प लाइन तक खतरा GORAKHPUR: जिले में रोजाना किसी न किसी के साथ साइबर ठगी हो रही है। टेक्नोलॉजी संग साइबर क्रिमिनल अपने तरीके बदल रहे हैं। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि नए-नए तरीकों को अपनाकर जालसाज लोगों को शिकार बनाने में लगे हैं। पूर्व में पैन कार्ड बनाने से लेकर क्रेडिट या डेबिट कार्ड के प्वाइंट रिडीम करने, नौकरी दिलाने या साक्षात्कार कराने के नाम पर ठगी की जाती थी। लेकिन नए-नए मामले भी सामने आने लगे हैं। साइबर क्राइम के दो दर्जन से अधिक तरीकों को ट्रेस कर पुलिस छानबीन कर रही है। साइबर सेल से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे बचाव का सिर्फ एक तरीका पूरी सावधानी बरतना। ज्यादातर लोग किसी लालच में फंसकर ही जालसाजों के शिकार बनते हैं।जांच में ये तरीके आए सामने
- सीवीवी/ओटीपी शेयरिंग से ठगी - यूपीआई फिशिंग फर्जीवाड़ा - रिक्वेस्ट मनी/क्यूआर कोड/लिंक के जरिए गूगल पे/फोनपे/पेटीएम - गूगल डॉक्स एप के जरिए जालसाजी - ओएलएक्स/ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स बहाने ठगी - फर्जी कैश बैक आफर्स देकर जालसाजी - स्क्रीन शेयरिंग एप का यूज - सिम कार्ड स्वैपिंगसोशल मीडिया से ठगी
फर्जी सोशल मीडिया बनाकर रुपए की मांग फेसबुक पर सेक्सटार्शन कैटफिशिंग साइबर बुलिंग साइबर स्टॉकिंग अन्य तरह के साइबर फर्जीवाड़ा एटीएम/डेबिट कार्ड क्लोनिंग फर्जीवाड़ा एडिटेड गूगल कस्टमर केयर से ठगी रैमसवेयर हमला ज्यूस जैकिंग लॉटरी फर्जीवाड़ा/नाइजेरियन जालसाजी ऑनलाइन नौकरी फर्जीवाड़ा कंप्यूटर, डिवाइस हैकिंग मोबाइल एप्लीकेशन फर्जीवाड़ा ये बरतें सावधानी - अपनी कोई भी प्राइवेट जानकारी साझा न करें। - पता, फोन नंबर, आधार नंबर, फोटो, जन्मतिथि की जानकारी न दें। - कोई अन्य गोपनीय जानकारी साझा नहीं करना चाहिए। - सोशल मीडिया से साइबर क्रिमिनल जानकारी चुराते हैं। -प्राइवेसी सेटिंग्स का इस्तेमाल करें, इससे बचाव होगा। वर्जन साइबर जालसाज रोजाना नए-नए तरीके अपना रहे हैं। अब रिश्तेदार बनकर फोन करने लगे हैं। किसी भी अंजान फोन से सजग रहें। किसी इनाम, लाभ या अन्य के लालच में आकर कोई जानकारी साझा न करें। किसी भी तरह के अंजान लिंक को ओपेन करने से बचें। शशि शंकर राय, साइबर एक्सपर्ट