यहां मिलती है भ्रष्टाचार की सीख
-शिक्षा के मंदिर में भी चढ़ता है चढ़ावा
- स्टूडेंट्स से लेकर विभाग के कर्मचारियों को भी काम कराने के लिए देनी पड़ती है रिश्वतGORAKHPUR: बड़ों का आदर करना चाहिए। डिसीप्लीन में रहना चाहिए। गलत कामों से दूर रहना चाहिए। बुराई के खिलाफ लड़ना चाहिए। ऐसी शिक्षाएं तो स्कूल्स में पहले से मिलती थी। मगर अब शिक्षा विभाग एक नई शिक्षा दे रहा है करप्शन। दूसरे विभागों की तरह शिक्षा विभाग में भी भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है। यहां एक भी काम बिना रिश्वत के करवाना मुश्किल है। फिर चाहे स्टूडेंट्स को मार्कशीट में करेक्शन कराना हो या फिर कोई फॉर्म जमा करना हो। स्कूल ओनर को मान्यता लेनी हो या फिर विभाग के किसी इंप्लाई को अपनी पेंशन के कागजात पूरे कराने हो। इसका खुलासा आई नेक्स्ट ऑफिस में आ रहे फोन कॉल्स से हुआ। रीडर्स की शिकायतों की तस्दीक करने के लिए जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने शिक्षा विभाग के ऑफिस गया तो वहां जो मिला वह चौंकाने वाला था। यह हाल सिर्फ बेसिक, माध्यमिक शिक्षा विभाग का नहीं बल्कि उच्च शिक्षा विभाग का भी था। सभी कागजात लेकर एक कॉमनमैन शिक्षा विभाग के चक्कर काटता रहता है और वहीं कागजों में कमी होने के बावजूद कुछ लोग मिनटों में काम निपटा कर घर चले जाते हैं।
हमें नहीं पता कहां होता है करेक्शन प्लेस - जिला विद्यालय निरीक्षक का ऑफिस हाल-ए-सॉल्यूशन - आई नेक्स्ट रिपोर्टर फ्राइडे को करीब साढ़े क्ख् बजे जिला विद्यालय निरीक्षक ऑफिस पहुंचा। रिपोर्टर ने मार्कशीट में करेक्शन की हकीकत जानने की कोशिश की। एक कॉमनमैन के रूप में रिपोर्टर सरकारी दफ्तर के बाबूओं के बीच भटकता रहा। मगर कोई भी सही प्रोसेस बताने के तैयार नहीं था। आखिरकार कॉमनमैन के रूप में भटकते हुए रिपोर्टर को निराशा ही हाथ लगी। हालांकि ये करेक्शन क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी में होता है, मगर सिर्फ ये बताने को कोई तैयार नहीं था। रिपोर्टर - मेरी हाईस्कूल की मार्कशीट में नाम गलत हो गया है? कैसे चेंज होगा। पहला क्लर्क - मुझे नहीं मालूम। यहां मार्कशीट में चेंज का काम नहीं होता। रिपोर्टर - नाम कैसे चेंज होगा? प्रॉसेस बता दीजिए। पहला क्लर्क - मुझे नहीं पता बगल वाले से पूछो। रिपोर्टर - आप बता दीजिए। दूसरा क्लर्क - दिमाग न खाओ। यहां नहीं होता। रिपोर्टर - अच्छा आप बता दीजिए। तीसरा क्लर्क - जाओ वाराणसी चले जाओ। वहां ठीक हो जाएगा। रिपोर्टर - क्या करना पड़ेगा? तीसरा क्लर्क - वहीं जाकर पूछ लेना। अब यहां से जाओ। ---------आई नेक्स्ट रिपोर्टर डिग्री निकलवाने में आने वाली समस्या को लेकर डीडीयू के परीक्षा सामान्य विभाग पहुंचा। वहां कुछ स्टूडेंट्स डिग्री निकलवाने को लेकर काफी परेशान दिखे। तभी कुछ देर बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने भी डिग्री निकलवाने को लेकर पूछताछ की।
परीक्षा सामान्य विभाग, डीडीयू एडी बिल्िडग रिपोर्टर - डिग्री निकलवानी है। क्लर्क - किस क्लास की? रिपोर्टर - एमए समाजशास्त्र। क्लर्क - पहले फार्म भरिए। रिपोर्टर - सर कितनी फीस लगेगी? क्लर्क - फ्00 रुपए फीस है। रिपोर्टर - ठीक है, पैसा लेकर आते हैं। अब तक नहीं मिली डिग्री आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब परीक्षा सामान्य विभाग में डिग्री निकलवाने आए दो स्टूडेंट्स अभिषेक कुमार और सुजीत सिंह के पास पहुंचा। उन्होंने बताया कि फरवरी में डिग्री के लिए अप्लाइ किया था, लेकिन अब तक डिग्री नहीं मिली है। अभिषेक को लॉ की डिग्री निकलवानी है तो सुजीत को बीए थर्ड इयर की। परीक्षा नियंत्रक ऑफिसजब रिपोर्टर परीक्षा नियंत्रक ऑफिस पहुंचा तो वहां काफी तादाद में ऐसे स्टूडेंट्स मिले जो परेशान था। जब इन स्टूडेंट्स से आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उनकी समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश की तो उनमें से एक स्टूडेंट सुधीर चौहान ने बताया कि वह देवरिया के बीआरडी पीजी कॉलेज का स्टूडेंट है। उसकी बीए की मार्कशीट इनकंप्लीट के चलते अब तक पूरी नहीं हो सकी है। इसके लिए वह आने जाने में काफी रुपए खर्च कर चुका है। बीए मार्कशीट न मिलने से वह अभी तक एमए और बीएड में एडमिशन नहीं ले सका है।
यहां करें शिकायत अगर डिग्री निकलवाने से संबंधित किसी प्रकार की कोई प्रॉब्लम आती है। स्टूडेंट्स कुलसचिव या फिर वीसी से डायरेक्ट कंप्लेंट कर सकते हैं। इन प्रॉब्लम में भी नहीं मिलता सॉल्यूशन पेंशन - विभाग के इंप्लाई भी इस दुर्दशा के शिकार हैं। रिटायर होने के बाद पेंशन के लिए इंप्लाई भटकते रहते हैं। कभी उन्हें कर्मचारी की कमी तो कभी पेंडिंग फाइल के नाते टाल दिया जाता है। जबकि कमिश्नर ने पेंशन संबंधी कामों को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद रिटायर कर्मचारी भटकता रहता है। उसका दोष सिर्फ इतना होता है कि उसने इस काम के लिए किसी को संबंधिक बाबू को रिश्वत नहींदी। डेली ऐसे दर्जनों लोग शिक्षा विभाग में चक्कर लगाते मिल जाते हैं।मान्यता - स्कूल की मान्यता बिना प्रसाद चढ़ाए मिल ही नहीं सकती। विभिन्न स्कूल चला रहे संचालकों का कहना है कि अगर सभी मानक पूरा कर लिया जाए तो भी मान्यता नहीं मिलती। मगर इन्हें चढ़ावा चढ़ा दिया जाए तो कुछ मानकों की कमी भी नजरअंदाज हो जाती है।
न हो काम तो यहां करें कंप्लेंट -वाइस चांसलर, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी 0भ्भ्क्-ख्ख्0क्भ्77 -रजिस्ट्रार, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी 0भ्भ्क्-ख्फ्ब्0फ्म्फ् -जिला विद्यालय निरीक्षक 9ब्भ्ब्ब्भ्7फ्ब्ख् -बेसिक शिक्षा अधिकारी 9ब्भ्फ्00ब्क्ब्7 ---------- वर्जन- पब्लिक की हर समस्या को सॉल्व किया जाता है। कर्मचारी को शिकायत संबंधित जानकारी देनी चाहिए। वैसे मार्कशीट में करेक्शन यहां नहीं होता है। एएन मौर्य, जिला विद्यालय निरीक्षक