दुनिया में जिसका सिक्का चलता है..
- दीक्षांत समारोह सप्ताह के दौरान संवाद भवन में वर्ल्ड लिटरेचर -कान्सेप्ट एंड प्रैक्टिस सब्जेक्ट पर सेमिनार
- गुजरात के एक्स वीसी और देश के जाने माने अंग्रेजी साहित्य के विद्वान प्रो। एके सिंह ने रखे अपने विचार GORAKHPUR: डीडीयूजीयू के फ्फ्वें दीक्षांत समारोह सप्ताह के दौरान थर्सडे को वर्ल्ड लिटरेचर-कान्सेप्ट एंड प्रैक्टिस सब्जेक्ट पर सेमिनार का आयोजन किया गया। चीफ गेस्ट डॉ। भीम राव अम्बेडकर मुक्त यूनिवर्सिटी अहमदाबाद, गुजरात के एक्स वीसी और देश के जाने माने अंग्रेजी साहित्य के विद्वान प्रो। एके सिंह रहे। सेमिनार अंग्रेजी विभाग की तरफ से आयोजित किया गया। अध्यक्षता डीडीयू वीसी प्रो। अशोक कुमार ने की। साहित्य पर डाला प्रकाशवर्ल्ड लिटरेचर-कान्सेप्ट एंड प्रेक्टिस सब्जेक्ट पर मुख्य वक्ता प्रो। एके सिंह ने विश्व साहित्य की परिकल्पना एवं अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तर औपनिवेशिक साहित्य समाज में इसकी नई व्याख्या होनी चाहिए। विश्व साहित्य की आधुनिक अवधारणा समय के सापेक्ष साहित्य की स्वीकृति की पुरानी संधि को खारिज करते हुए एक नई व्याख्या प्रस्तुत करता है। जिसमें कृतियों की बिक्री को मानक माना जाता है।
साहित्य भाषा से ऊपर हैकार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वीसी ने बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य का कार्य साहित्य के अवधारणा की प्रासंगिकता रेखांकित करते हुए उत्तर औपनिवेशिक दृष्टि से उसकी विवेचना की। वहीं प्रो। सुरेंद्र दुबे ने बताया कि मनुष्य को अंदर से बदलने का कार्य साहित्य करता है। यदि किसी पुस्तक को पाठक मिल जाए तो वह साहित्य उत्कृष्ट नहीं हो जाता है। दुनिया में जिसका सिक्का चलता है, उसकी भाषा चलती है। साहित्य भाषा से ऊपर है। गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने कहा है कि विश्व के हर देश में हमारे देश का साहित्य है। एक व्यक्ति द्वारा रचित साहित्य ने भी यदि दुनिया को बेहतर बनाया तो वही विश्व साहित्य है।
और किया उनका स्वागत अंग्रेजी डिपार्टमेंट की अध्यक्ष प्रो। नंदिता सिंह ने मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत और स्वागत किया। यूनिवर्सिटी ललित कला एवं संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना और कुलगीत गाया। इस मौके पर एसोसिएट प्रो। डॉ। हुमा जावेद ने वीसी का स्वागत और एसोसिएट प्रो। डॉ। अवनीश राय ने प्रो। सुरेंद्र दुबे को बुके देकर स्वागत किया।