GORAKHPUR : मेडिसिन की जब बात होती है तो प्लांट्स का जिक्र जरुर होता है. हो भी क्यों न? देखने में छोटे लगने वाले इन प्लांट्स की खूबियों पर नजर डालें तो पूरा दिन निकल जाए और उनकी खूबियां खत्म न हों लेकिन प्लांट्स की यह तमाम खूबियां ही उनकी जान की दुश्मन बन चुकी हैं और कई प्लांट एंडेंजर्ड कैटेगरी में आ चुके हैं वहीं कुछ प्लांट का तो अस्तित्व ही खत्म हो चुका है. ऐसे में अगर इन्हें बचाया नहीं गया तो न सिर्फ पृथ्वी से इनका नामो-निशान मिट जाएगा बल्कि ह्यूमन लाइफ भी खतरे में आ जाएगी. सिटी के सेंट एंड्रयूज कॉलेज में अपना वजूद खो रहे प्लांट्स को बचाए रखने के लिए मंथन किया गया.


एंडेंजर्ड प्लांट पर हुआ डिस्कशनसेंट एंड्रयूज कॉलेज में वेंस्डे को एक नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइज की गई। 'ड्रग डिस्कवरी, थ्रेटेंड मेडिसिनल प्लांट्स एंड स्टै्रटजीज फॉर सस्टेनेबल यूज' टॉपिक पर ऑर्गेनाइज इस कॉन्फ्रेंस में न सिर्फ प्लांट की मेडिसिनल क्वॉलिटीज पर डिस्कशन किया गया, बल्कि एंडेंजर्ड हो रहे मेडिसिनल प्लांट्स को कैसे बचाया जा सकता है, इस पर भी डिस्कशन हुआ। इसमें हाइपरटेंशन में सबसे ज्यादा यूज होने वाले सर्पगंधा और रजनीगंधा को बचाने के लिए बातें हुई, साथ ही हार्मोनल कंट्रोल के लिए कारगर सफेद मूसली को भी बचाने के लिए टिप्स दिए गए।आंवला भी एंडेंजर्ड कैटेगरी में


एक तरफ जहां इतने ज्यादा मेडिसिनल प्लांट लोगों की जान बचाए हुए हैं, वहीं दूसरी ओर सबसे ज्यादा यूज होने वाला और आसानी से अवेलबल होने वाला आंवला भी एंडेंजर्ड कैटेगरी में आ चुका है। एक्पट्र्स की मानें तो आंवले का च्यवनप्राश, तेल और कई चीजों में बढ़ रहा यूज आंवले के लिए खतरा बनता जा रहा है। अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब लोगों को आंवला देखने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।जिनसे दवाएं, उन्हीं का खत्मा

प्लांट की मेडिसिनल क्वालिटीज पर चर्चा के दौरान टैक्सस बेलाटा और एबीस के मेडिसिनल गुणों पर चर्चा की गई। इसमें बतौर चीफ गेस्ट बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ। आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि एक तरफ जहां हम प्लांट्स से दवाएं निकालते हैं, वहीं दूसरी ओर हम उन्हें मारते भी जा रहे हैं, क्योंकि लगातार बढ़ रहे इन प्लांट्स के यूज से यह प्लांट एंडेंजर्ड होते जा रहे हैं। इसके लिए जरूरत है प्लांट को पूरी तरह से डिस्ट्रॉय न करें। इसे बचाने के लिए जहां तक पॉसिबल हो टिश्यू कल्चर या अदर रास्तों का इस्तेमाल कर इनको बचाएं, ताकि फ्यूचर में हमें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।80 रिसर्च स्कॉलर्स हुए शामिलसेंट एंड्रयूज कॉलेज में ऑर्गेनाइज इस नेशनल कॉन्फ्रेंस में 80 रिसर्च स्कॉलर्स ने पार्टिसिपेट किया। पार्टिसिपेंट्स ने अपने रिसर्च वक्र्स को पेपर रीडिंग के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया। प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रिंसिपल डॉ। जेके लाल ने की। प्रोग्राम का संचालन डॉ। परवीन अब्बासी ने किया। डॉ। नीरज श्रीवास्तव ने प्रोग्राम की आउटलाइन पेश की, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। एसडी राजकुमार ने गेस्ट का वेलकम किया। इस दौरान कॉलेज के टीचर्स, रिसर्च स्कॉलर्स के साथ एमएससी और बीएससी के स्टूडेंट्स मौजूद रहे।कल्चरल ईव में मचा धमाल

एक तरफ जहां प्लांट्स के मेडिसिनल प्रॉपर्टीज पर सीरियस डिस्कशन हुआ, वहीं दूसरी ओर थोड़ा रिलैक्स होने के लिए कल्चरल ईव ऑर्गेनाइज की गई। इसमें प्रोग्राफ की शुरुआत में 'हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया' पर जहां रवि और जुहेब ने समां बांधा, वहीं 'चुरा के दिल मेरा' के रीमिक्स वर्जन पर शोभित ने परफॉर्मेंस दी। 'छलका-छलका' पर अरुणिमा, अस्मिता, अंकिता, साक्षी, शालिनी और नीलम ने परफॉर्म किया। इसके साथ ही राजस्थानी, पंजाबी के साथ अदर बीट्स पर लोगों ने खूब धमाल मचाया।

Posted By: Inextlive