- बीएससी कंप्यूटर साइंस स्टूडेंट्स के स्टूडेंट्स को लेनी पड़ी हाईकोर्ट की शरण

- मई-2015 यूनिवर्सिटी की कार्यकारिणी सदस्यों ने रिजल्ट डिक्लेयर कर यूनिवर्सिटी में समायोजित करने का लिया था फैसला

GORAKHPUR:

वादे कर मुकर जाना तो कोई डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी से सीखे। रिजल्ट डिक्लेयर करने का वादा कर यूनिवर्सिटी उसे भूल गया है। सेंट एंड्रयूज कॉलेज के बीएससी कंप्यूटर साइंस स्टूडेंट्स अपने रिजल्ट के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इसके लिए गोरखपुर यूनिवर्सिटी की कार्यकारिणी बैठक में रिजल्ट डिक्लेयर कर यूनिवर्सिटी में समायोजित करने का फैसला लिया था। इसके बाद भी न तो रिजल्ट डिक्लेयर किए गए और ना ही इस पर कोई विचार किया गया। आलम यह है कि स्टूडेंट्स ने थक हार कर हाईकोर्ट की शरण में जा चुके हैं।

78 स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में

सेंट एंड्रयूज कॉलेज के 78 बीएससी कंप्यूटर साइंस स्टूडेंट्स परेशान हैं। सेशन 2013-14 के स्टूडेंट्स की मानें तो 2 मई 2015 को हुई कार्यकारिणी मीटिंग में उनके फेवर में फैसला लिया गया, लेकिन इसके बाद भी यूनिवर्सिटी की तरफ से न तो स्टूडेंट्स को समायोजित किया गया और ना ही इस मामले पर कोई अग्रिम कार्रवाई की गई। स्टूडेंट्स का कहना है कि यूनिवर्सिटी उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ तो कर ही रही है, साथ ही यूनिवर्सिटी ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। काफी भागदौड़ के बाद राज्यपाल के आदेश पर यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद की बैठक बुलाकर छात्र हित में निर्णय लिया गया, लेकिन उसके बाद भी स्टूडेंट्स को समायोजित नहीं किया गया। स्टूडेंट्स की मानें तो जब उन्हें यूनिवर्सिटी से न्याय मिलने की उम्मीद समाप्त होती दिखी तो उन्होंने मजबूरन हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन यहां से भी अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है।

क्या कहना है यूनिवर्सिटी का

इस मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन का मानना है कि गवर्नर के आदेश पर तो कार्यपरिषद की बैठक बुलाकर छात्र हित में निर्णय ले लिया गया है। इसकी रिपोर्ट भी महामहिम को भेज दी गई, लेकिन इस मामले में कोई निर्देश न मिलने से मामला अटका पड़ा हुआ है। जिम्मेदारों की मानें तो समय रहते अगर निर्णय आ गए होते तो स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी में समायोजित कर रिजल्ट डिक्लेयर कर दिए जाते, लेकिन स्टूडेंट्स की तरफ से हाईकोर्ट में रिट दायर के बाद से मामला हाईकोर्ट में विचारधीन है।

पिछले डेढ़ साल से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अब तक रिजल्ट डिक्लेयर नहीं हुए। पहले तो कॉलेज का चक्कर लगाए। उसके बाद यूनिवर्सिटी का, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। अब तो मामला हाईकोर्ट में है।

चंदन सिंह

जब गवर्नर के आदेश पर यूनिवर्सिटी ने कार्यपरिषद की बैठक बुलाई थी और छात्र हित में निर्णय लिया था। इसके बाद भी छात्रों को समायोजित नहीं किया गया। इसका भी जवाब यूनिवर्सिटी नहीं देता है। वीसी से मिलने पहुंचे तो वह मिलते नहीं।

शिवम

बीएससी कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लेकर बहुत पछतावा होता है। कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से यूनिवर्सिटी और कोर्ट के चक्कर लगाना पडे़गा। अब तक लाखों रुपए खर्च हो गए, लेकिन न तो रिजल्ट नहीं मिला और ना ही आगे की पढ़ाई हो पाई। पूरे डेढ़ साल बर्बाद हो गए।

हरिशंकर शर्मा

यूनिवर्सिटी की लापरवाही से आज भी हम रोड पर है। भविष्य कहां जाएगा। कुछ पता नहीं। अब तो लड़ाई छेड़ दी है, जीत और हार के फैसले के बाद ही फ्यूचर की दिशा तय होगी।

शिवेंदु सिंह

प्रो। अशोक कुमार, वीसी डीडीयूजीयू

Posted By: Inextlive