- सीएमओ ऑफिस की छत पर फेंके गए जेई वैक्सीन के डायलुएंट से मचा हड़कंप

- छत से हटाई डायलुएंट की 6400 शीशियां

GORAKHPUR: आई नेक्स्ट के खुलासे के बाद सोमवार को दिनभर सीएमओ ऑफिस में गहमागहमी रही। सुबह उठते ही सबसे पहले सीएमओ ऑफिस की छत पर फेंकी गई जेई के इलाज में उपयोग होने वाली वैक्सीन के साथ मिलाए जाने वाले डायलुएंट की शीशियों को हटाया गया। उसके बाद अधिकारी दिनभर अपने बचाव में बयानबाजी करते रहे।

आई नेक्स्ट ने सोमवार के अंक में खुलासा किया था कि यहां 6400 शीशियां फेंकी गई थी। इसका सीधा मतलब है कि इतनी ही वैक्सीन भी कहीं गायब कर दी गई। क्योंकि इन डायलुएंट के बगैर वैक्सीन किसी काम की नहीं है। महकमे में चर्चा होने लगी है कि कहीं ये वैक्सीन बेच तो नहीं दी गई।

काफी मेहनत से िमलती वैक्सीन

जेई की वैक्सीन और डायलुएंट केन्द्र सरकार की ओर से भेजी जाती है। सीएमओ ऑफिस की छत पर मिले डायलुएंट को जापान की चेंगडू इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलॉजिकल प्रोडक्ट लि। कंपनी में तैयार किया गया। वहां से इसे तिरुवनंतपुरम की एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड कंपनी ने आयात किया। फिर यह केन्द्र सरकार की तरफ से देश के जेई प्रभावित राज्यों के विभिन्न जिलों में भिजवा दी गई। इसी तरह यह गोरखपुर के जिला अस्पताल में भी पहुंची। एक्सप‌र्ट्स बताते हैं कि डायलुएंट के साथ जेई की वैक्सीन पाउडर के रूप में आती है। जेई की वैक्सीन का पाउडर इस डायलुएंट के बगैर बेकार है। दोनों मिलकर ही टीका का काम करते हैं।

ऐसे रखना था डायलुएंट

जेई की वैक्सीन में मिश्रित किए जाने वाले डायलुएंट को जिलों में भेजे जाने से लेकर वहां इसके रख-रखाव में बड़ी सावधानी बरतनी है लेकिन जिला अस्पताल में इसे यूं ही फेंक दिया गया। जेई की वैक्सीन व इसके डायलुएंट को एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है। इसमें सावधानी नहीं बरतने पर यह खराब हो सकता है। इससे टीकाकरण निष्प्रभावी हो जाता है। यानी तब इस वैक्सीन को लगाने के बाद भी इसका कोई फायदा नहीं होता। इसीलिए वैक्सीन और डायलुएंट को जिला चिकित्सालय में सीएमओ ऑफिस के पीछे बने कंट्रोल रूम में रखा जाता है। फिर दोनों को मिलाकर टीका तैयार किया जाता है।

वर्जन

2002 और 2015 में जेई टीकाकरण का अभियान चलाया गया था। तभी वैक्सीन और डायलुएंट आए थे। आने के क्रम में जेई की वैक्सीन नष्ट होने के कारण उसका डायलुएंट किसी काम का नहीं रह गया। इसी कारण उसे फेंक दिया गया था। हालांकि नियमत: डायलुएंट को खराब वैक्सीन के साथ ही वापस भेज देना चाहिए था।

- डॉ। आईबी विश्वकर्मा, एडिशनल सीएमओ

जेई के टीकाकरण के समय मेरी तैनाती यहां नहीं थी। इस कारण इस बारे में विशेष जानकारी नहीं है। संबंधित अधिकारियों से जानकारी मिली है कि वैक्सीन एक्सपायर होने के बाद उसे वापस कर दिया गया, मगर बचे डायुलेएंट यहीं रह गए। इस मामले की जांच कराई जा रही है।

- डॉ। रविंद्र कुमार, सीएमओ

Posted By: Inextlive