Kawad Yatra Bags by Muslims: सर्वधर्म के भोले, मुस्लिम समाज ने गढ़े कांवडिय़ों के चोले
गोरखपुर (ब्यूरो).भोले की भक्ति में इस्तेमाल होने वाले इन झोलों से जहां धर्मों के प्रति सम्मान नजर आता है। वहीं, उनके रोजगार का एक बेहतर जरिया भी हो गया है। यहां बनते हैं झोलेपिपरापुर, जफर कॉलोनी, इलाहीबाग आदि इलाकों में दर्जनों परिवार इस काम में लगे हुए हैं। इसी काम पर उनकी रोजी रोटी निर्भर है। सावन का सामान तैयार करने में इन परिवारों के पुरुष एवं महिलाएं लगी हुई हैं। इस साल बढ़ी डिमांडपिपरापुर निवासी सादिक ने बताया, दो साल कोविड के कारण डिमांड काफी कम रही। मगर इस साल पाबंदियां कम हो गई हैं तो झोले और कपड़ों की डिमांड में काफी इजाफा हुआ है। इसके लिए प्री-ऑर्डर भी आए थे, जिन्हें बनाकर दिया गया। भारी संख्या में कांवडिय़ों के कपड़े बनाने की डिमांड है। बाबा भोले के श्रद्धालुओं के वस्त्र बनाने में महिलाओं का अधिक योगदान रहता है।झोले पर भोलेनाथ की फोटो
बाबाधाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कपड़े, झोले व अन्य सामान बनाए जा रहे हैं। झोले पर बाबा भोलेनाथ की फोटो छापने, कपड़े काटने व सिलने का काम महिलाओं की ओर से किया जा रहा है।चोले से आतीं बकरीद की खुशियां
बाबा भोलेनाथ के भक्तों के लिए कपड़े और झोले तैयार करने का काम यहां हर दूसरे घर में होता है। अधिकतर काम यहां लेडीज ही करती हैं। हर साल यह काम सावन से पहले ही शुरू कर दिया जाता है। पिछले कई सालों से बकरीद का त्योहार सावन के पहले ही पड़ रहा है। ऐसे में सावन से पहले से ही भगवा कपड़ों की सिलाई से हुई आय से इन घरों में बकरीद की खुशियां आती हैं।श्रद्धालुओं को मिलती है विशेष छूटशिवभक्तों के लिए कपड़े और झोले तैयार करने वाली इन मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि वह जाति धर्म से ऊपर उठकर इस काम को करती हैं। यही उनके रोजी-रोटी का जरिया भी है। ऐसे में यहां पर बाबाधाम जाने वाले भक्तों के लिए विशेष छूट दी जाती है। केवल नाममात्र का मुनाफा लेकर ही यह सभी कपड़े और झोले बना रहे हैं। खलीलाबाद में सजती है मार्केटइन कपड़ों और झोलों के लिए खलीलाबाद में शनिवार और रविवार को एक खास मार्केट लगती है। हफ्ते भर में सिला हुआ माल यह लोग उसी मार्केट में जाकर बेच देते हैं। वहां से यह कपड़े और झोले आस-पास के जिलों और देश के कई कोने तक सप्लाई होता है। आस-पास के काफी सारे लोग अपना पर्सनल ऑर्डर देकर भी इन झोलों को बनवाते हैं।