सेल्स टैक्स में अधिकारियों और वकीलों में भिडं़त
-ऑनलाइन पंजीयन के सही कराने को लेकर हुआ विवाद
- वकीलों ने खोराबार थाने में असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ दी तहरीर GORAKHPUR: गलत आवेदन को सही करने के लिए पैसे को मांगने को लेकर मंगलवार को सेल्स टैक्स विभाग में जमकर हंगामा हुआ। अधिकारियों और वकीलों के बीच बहस हो गई। दोनों पक्ष एक घंटे तक सेल्स टैक्स में हंगामा किया और एक दूसरे के खिलाफ नारे लगाए। उसके बाद वकील पक्ष की तरफ से खोराबार थाने में जाकर असिस्टेंट कमिश्नर पर तीन हजार रुपए मांगने का आरोप लगाते हुए तहरीर दे दी। वहीं वकीलों के साथ इस घटना के बाद सेल्स टैक्स के अफसरों और कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया। रुपए लेने का आरोपवकीलों का आरोप है कि सेल्स टैक्स के अधिकारी या कर्मचारी बिना पैसा लिए कोई काम नहीं करते हैं। मंगलवार को वकील शशिकांत मिश्रा अपने फर्म के पंजीयन के लिए असिस्टेंट कमिश्नर विनय कुमार गुप्ता के पास गए थे। वकील शशिकांत मिश्रा का कहना है कि सेल्स टैक्स का आन लाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बटा का चिन्ह नहीं लेता है, इसलिए हमने जो आवेदन किया था, उसमें पता गलत हो गया था। उसको हमने सही करके देने गए थे, जिस पर असिस्टेंट कमिश्नर ने तीन हजार रुपए की मांग की, जिसका हमने विरोध किया तो हमारे साथ अभद्रता करने लगे और उनके साथ अन्य कर्मचारी भी हमारे साथ अभद्रता करने लगे। हमारे साथ मारपीट करने पर उतर आए किसी तरह वहां से भाग और इसकी जानकारी अपने साथियों को दी।
काली पट्टी बांधकर किया कामसेल्स टैक्स में हंगामे के बाद विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया। कर्मचारियों का कहना है कि वकील यहां पूरी तरह से मनमानी पर उतर आते हैं और बिना नियम कानून के ही काम करने का आरोप लगाते हैं। अगर कभी अफसर या कर्मचारी वकीलों के काम करने से मना कर देते हैं तो वह अभद्रता करने लगते हैं। असिस्टेंट कमिश्नर विनय कुमार गुप्ता का कहना है कि मंगलवार की दोपहर को वकील शशिकांत मिश्रा हमारे पास आए। उन्होंने एक आन लाइन पंजीयन के आवेदक के बारे में जानकारी ले रहे थे, जिस पर हमने बताया कि इस आवेदन में आवेदक का नाम और पता गलत है। इसे सही कराकर लाएं। इसी बात पर उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। वह चाह रहे थे कि जो आवेदक है उसका मैनुअल पंजीयन कर दिया जाए। आवेदक का पता सहारा एस्टेट मकान नंबर 145 दर्ज था, जबकि सहारा में 145 है ही नहीं।
अधिकारी हर काम के लिए पैसा मांगते हैं। पैसा न देने पर कर्मचारी या अधिकारी कार्य ही नहीं करते हैं। मंगलवार को वकील के कार्य के लिए अधिकारी ने पैसा मांगा और पैसा न देने पर वकील के साथ अभद्रता करने लगे। यही नहंी अधिकारी तो मारने पर उतर आए थे। विजय प्रकाश दूबे, महामंत्री, टैक्स एडवोकेट एसोसिएशन