Gorakhpur News : हे भगवान! घर में दौड़ता रहता बच्चा, नहीं होती थकान, वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे डेढ़ से 5 साल तक के बच्चे
गोरखपुर (ब्यूरो)।अगर ऐसा ही कुछ आपका बच्चा भी कर रहा है तो आपको अलर्ट हो जाने की जरूरत है। साइकोलॉजिस्ट के पास ऐसे बच्चों की ढेरों कंप्लेन लेकर डेली पेरेंट्स पहुंच रहे हैं। साइकोलॉजिस्ट की मानें तो मोबाइल के साइड इफेक्ट की वजह से बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं। इसलिए हो रहे शिकारसाइकोलॉजिस्ट की मानें तो कोरोना की वजह से बुजुर्गो, व्यस्क और नौनिहालों में मोबाइल का यूज बढ़ा है। इसलिए सभी आयु वर्ग में अलग-अलग तरह की समस्याएं आ रही हैं। वहीं बच्चों में यह समस्या वर्चुअल ऑटिज्म के रूप में तेजी से फैलती जा रही है। आराम के लिए बच्चों को मोबाइल
साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि अवेयरनेस के अभाव में पेरेंट्स खुद के आराम के लिए बच्चों को मोबाइल या टीवी में व्यस्त कर दे रहे हैं। इससे वह खुद तो शांति से अपना काम कर ले रहे हैं, लेकिन इसकी वजह से बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है। ऐसी कंडीशन में बच्चा केवल मोबाइल के संपर्क में रहता है। जिससे बच्चा बोलना, सुनना और समझना बंद कर देता है। इसी को वर्चुअल ऑटिज्म कहते हैं। इसके लक्षण-अत्याधिक चंचलता- सामाजिक दुराव- गुस्सा- चिढ़चिढ़ापन- दौड़ते रहना इसके उपाय
ऐसे लक्षण बच्चों में दिखे तो तत्काल साइकोलॉजिस्ट से बच्चे की जांच कराएं। वहां थेरेपी की मदद से उसका इलाज कराएं। ऐसी कंडीशन में मोबाइल और टीवी को प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें। बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं।बच्चों के साथ आधे घंटे जरूर खेलेंपेरेंट्स ये भी कर सकते हैं कि वे बच्चे को लेकर किसी मैदान में आउट डोर गेम इंगेज करें। ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो घर पर ही आधे घंटे बच्चे के साथ क्रिकेट, फुटबॉल या उसका कोई भी पसंदीदा गेम जरूर खेलें। केस-1बच्चा सोता ही नहीं हैशाहपुर की नीलम (काल्पनिक) अपने चार साल के बेटे से परेशान थीं। वो पूरा दिन खेलने के बाद भी सोता नहीं थी। नीलम को किसी ने राय दी कि वे बच्चे को साइकोलॉजिस्ट को दिखाएं। साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि बच्चा घर पर रहने की वजह से उसका दिमाग थक नहीं रहा है। इस वजह से वो सोने को तैयार नहीं है। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट ने उन्हें राय दी कि बच्चे को बाहर ले जाकर आउट डोर गेम में इंगेज करें। साइकोलॉजिस्ट की राय उनके काम आई। केस 2डर लगता है ऊपर ही ना कूद जाए बच्चा
पादरी बाजार की एक महिला अपने पांच वर्षीय बेटे से बहुत परेशान थी। उनका बेटा घर पर कूद फांद मचाए रहता है। देर रात तक सोता नहीं है। ऐसे में पेरेंट्स सोना भी चाहते थे तो वे बच्चे की हरकत से परेशान होकर नींद नहीं ले पाते है। उन्हें डर लगता है कि बच्चा उनके ऊपर ही ना कूद जाए। बहुत परेशान होकर वे साइकोलॉस्टि के पास पहुंची। अब बच्चे को वहां थेरेपी दी जा रही है, जिससे बच्चे की हरकत में सुधार आ रहा है। बच्चे घर के अंदर बंद रहने की वजह से उनका ब्रेन थकता नहीं है। वहीं बाहर जाने पर तरह-तरह के लोग दिखते हैं, इससे बच्चे के दिमाग में ढेर सारी बातें आती हैं। जिससे दिमाग पर जोर पड़ता है। तब दिमाग थकने लगता है। बच्चे की चंचलता देर रात तक चल रही है तो ये घातक है। पेरेंट्स को तत्काल परामर्श लेना चाहिए। मेरे पास इधर काफी केस आएं हैं, जिसमे सबसे अधिक 45 केस वर्चुअल ऑटिज्म के हैं। डॉ। आकृति पांडेय, साइकोलॉजिस्ट