घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
- सुबह में उगते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य
- प्रसाद ग्रहण कर तोड़ा छठ का कठिन व्रतGORAKHPUR: लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन बुधवार को सुबह घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा। नदी, पोखरों के जल में घंटों खड़े होकर व्रतियों ने सूर्य के उदय होने की प्रतीक्षा की। इसके बाद दूध, जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और छठी मईया से मनोकामनाएं पूरी करने की कामना की। इसके बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर कठिन निर्जला व्रत तोड़ा। प्रसाद वितरण के साथ ही यह लोकपर्व संपन्न हो गया। उरुवा बाजार कस्बे में शिव मंदिर के सामने स्थित ऐतिहासिक पोखरे बिराई, किशुनपुर पोखरा, धुरियापार, मलौलि, हरिहरपुर, दुघरा आदि जगहों पर नदी घाट पर व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। गोला क्षेत्र में सरयू नदी के तट पर पक्का घाट, वरदेशिया बाबा घाट, वेवरी आदि घाटों पर हजारों की संख्या में व्रतियों ने अर्घ्य दिया। साथ ही सूरज, अवरूस, भर्रोह, गोपालपुर आदि जगहों के तालाबों में खड़े होकर व्रतियों ने अर्घ्य दिया। बांसगांव, सहजनवां आदि क्षेत्रों में भी व्रतियों ने पवित्रता के साथ व्रत रखा और अर्घ्य तथा प्रसाद ग्रहण करने के साथ व्रत तोड़ा।
जमुनारा में हुआ मां का जगराताचरगावां ब्लाक क्षेत्र के जमुनारा में मंगलवार की रात छठ के मौके पर मां का जगराता किया गया। जगराता में आए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक भजन गाए। शिवमंदिर पर आयोजित जगराता की शुरुआत सुनील निराला ने गणेश वंदना से की। गायकों ने आवे के पड़ी मईया बहंगिया लचकत जाये अढउल के फूलवा में कवन गुनवा आदि गीतों पर लोग बुधवार की अहले सुबह तक झूमते रहे। गायिका अनुपमा यादव ने सइया जी बाजार से लाई दिही चुनरी शेर पे सवार होके आजा माई आदि गीत गाकर समां बांध दिया। इस मौके पर आयोजक ब्लॉक प्रमुख महेन्द्रपाल सिंह, महेन्द्र यादव, ईश्वरचंद, विद्यासागर, कपिल सिंह, प्रदीप सिंह, राजन सिंह आदि मौजूद रहे।
पिपराइच में मुस्लिम महिला ने दिया अर्घ्य PIPRAICH: छठी मईया की पूजा में विशेष तौर पर महिलाएं पुत्री की मांग कर करती हैं। यह हिंदुओं का पहला त्योहार हैं, जिसमें लोग बेटा नहीं, बेटी की मन्नत मांगते हैं। पिपराइच क्षेत्र में इस व्रत को करने के बाद एक मुस्लिम महिला को बेटी हुई तो वह भी छठी मईया की भक्ति में रच-बस गई। बुधवार को क्षेत्र के सोनराईच बड़ागांव घाट पर उसने भी हिंदू महिलाओं के साथ उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया। इस दौरान उसने कठिन निर्जला व्रत भी रखा और पूरी परंपरा का निर्वाह किया।छठी मईया ने दी बेटी, कैसे न रखें व्रत
सोनराईच, बड़ागांव निवासी अली हसन की बेटी फातिमा की शादी पांच साल पहले महमूद गांव मदरहा उर्फ सरैयां में हुई थी। दो-तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई औलाद नहीं हुई तो घर वालों को चिंता हो गई। दवा से लेकर कई सारे उपाय कर लिए लेकिन फायदा नहीं हुआ। हिंदू महिलाओं ने फातिमा को बताया कि यदि वह छठ व्रत रखे तो उसकी जरूर बेटी मिल जाएगी। छठी मईया सबकी मुराद पूरी करती है। इसके बाद दो साल पहले फातिमा ने छठ व्रत रखा। अगले साल ही फातिमा को एक बेटी हुई जो अब एक साल की हो गई है। फातिमा ने बताया कि पहले समाज के लोगों ने अचरज किया था लेकिन जब छठी मईया ने मुझे बेटी दी है तो मैं उनका व्रत कैसे न रखूंगी।