- लगातार बरसात हुई तो चेन्नई से भी बदतर हो जाएगा शहर का हाल

- बेतरतीब विकास से खतरे के मुहाने पर खड़ा गोरखपुर

GORAKHPUR:

पिछले दिनों चेन्नई में लगातार बारिश के बाद हालात अभी तक बेकाबू हैं। लोगों के सामने जीने-खाने का संकट फैला हुआ है। हर तरफ सिर्फ पानी ही पानी है और पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में अगर कभी गोरखपुर में चेन्नई जैसी मुश्किल खड़ी हो गई तो उबरना मुश्किल हो जाएगा। वजह, इस कटोरेनुमा शहर की और जल निकासी की व्यवस्था और भी बदहाल है। नाले और नालियां जाम हैं। नालों की क्षमता भी कम है, लेकिन हर किसी ने इस संभावित त्रासदी की तरफ से आंखें मूंद रखी हैं। फिलहाल की स्थिति तो यह है कि हल्की बारिश होते ही शहर की सड़कों घुटने भर पानी जमा हो जाता है और लोग घरों में नजरबंद हो जाते हैं।

ये बन जाएंगे 'दर्द के नाले'

शहर में कुल 239 नाले हैं। नगर निगम इस वित्तीय वर्ष में 49 नाले और बनाने की तैयारी में है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर एसके केसरी का कहना है कि शहर के जल निकासी सही हो इसके लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसी के तहत 49 नए नाले बनाने की योजना बनी है। गोरखपुर मौसम विभाग का कहना है कि गोरखपुर में बारिश के मौसम में औसतन 160 से 170 मिमी तक बारिश होती है, जबकि नगर आयुक्त राजेश कुमार त्यागी का कहना है कि शहर के जो नाले हैं, उनकी क्षमता 110 से 120 मिमी औसतन जल निकासी की है। ऐसे में सामान्य दिन में इन नालों से डेली 80 से 100 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) पानी की निकासी होती है।

यह हालत है शहर के नालों की

1- कौआदह से रामगढ़ ताल तक

यह शहर का सबसे बड़ा नाला है। इस नाले से शहर के लगभग 20 प्रतिशत एरिया का पानी निकलता है। लेकिन इस नाले का डिजाइन भी 1980 के लगभग किया गया है। इस कारण बारिश होते ही साहबगंज मंडी से लेकर बेतियाहाता तक का एरिया डूब जाता है। वर्तमान में यह नाला इस एरिया का पानी निकालने के लिए बहुत पतला पड़ जा रहा है।

2- सुमेरसागर से इलाहीबाग बंधा

शहर का प्रमुख नाला है। इससे शहर के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से का पानी निकलता है। यह नाला वर्तमान में सबसे अधिक अतिक्रमण की चपेट में है। अतिक्रमण होने के कारण इस नाले की ठीक से सफाई नहीं हो पाती है। जिसके कारण अली नगर, धर्मशाला, सुमेरसागर में जल जमाव होता है

3- बसंतपुर खास से हार्बट बंधा

यह लगभग 600 मीटर लंबा नाला है, लेकिन पिछले दो साल से इस नाले के 400 मीटर हिस्से की सफाई नहीं हो पाई है। नाले की सफाई न होने के कारण बारिश होते ही बसंतपुर खास का पानी गीता प्रेस की तरफ उल्टा बहने लगता है और गीता प्रेस एरिया में जल जमाव का कारण बन जाता है।

4- धर्मशाला पुल से डोमिनगढ़ पुल

रेलवे लाइन के किनारे इस नाले की सफाई साल में कभी-कभार होती है। नाले की सफाई न होने के कारण हुमायूंपुर उत्तरी, धर्मशाला बाजार, रामलीला मैदान, जटाशंकर, तरंग क्रॉसिंग, दुर्गाबाड़ी आदि एरिया में जल जमाव हो जाता है।

आजादी के समय का है सीवरेज

गोरखपुर में 1958 से 60 के बीच में सीवरेज सिस्टम बिछाया गया था। जब यह 55 किमी लंबा सीवरेज सिस्टम लगा तब शहर की आबादी लगभग दो लाख थी और गोरखपुर की जल निकासी भी बहुत कम थी। अब आबादी बढ़कर 13 लाख (नगर निगम की अनुमानित जनसंख्या) हो गई है। जलकल के जेई पीएन मिश्रा के मुताबिक वर्तमान में 2.5 मीटर गहरा सीवरेज सिस्टम बिछाया गया है। जबकि गोरखपुर को फिलहाल पांच मीटर गहरे सीवरेज सिस्टम की जरूरत है।

अप्रैल से जून तक चलता है अभियान

बारिश के पहले जल जमाव न हो इसके लिए नगर निगम हर साल अप्रैल से जून तक नालों की सफाई कराता है। इस अभियान में पिछले और इस वित्तीय वर्ष में नगर निगम की तरफ से लगभग 15 लाख रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन जैसे ही बारिश होती है नगर निगम की पोल खुलनी शुरू हो जाती है। नाले का पानी सड़कों पर नजर आने लगता है।

यहां तो जल जमाव में कैद जिंदगी

शहर के पॉश कॉलोनी गोलघर, सिविल लाइंस, बेतियाहाता हो या कोई अन्य वीआईपी मोहल्ला। हल्की बारिश होने के बाद भी इन एरियाज का पानी निकलने में घंटों लग जाते हैं। शहर के बाहरी एरियाज की हालत यह होती है कि पूरे बरसात यहां जल जमाव की स्थिति बनी रहती है। चिलमापुर से भरवलिया, रानीबाग और फुलवरिया एरिया में 200 मीटर से अधिक दूर तक सड़क पर 3 से 4 फीट तक पानी लग जाता है। वहीं सिंघाडिया के अशोक गैस गोदाम गली में 5 फीट तक पानी पूरे बारिश के मौसम में लगा रहता है। शहर के चक्सा हुसैन की कहानी तो और ही गजब है। यहां बारिश हो या कोई सामान्य मौसम पूरे साल जल-जमाव से जनता त्रस्त रहती है। यहां का पानी निकालने के लिए पूरे साल नगर निगम की तरफ से पंपिंग सेट चलाए जाते हैं। रसूलपुर के अजय नगर भट्टा और दरिया चक में तो बारिश के मौसम में चेन्नई जैसी त्रासदी देखने को मिल जाती है। इन एरियाज में रहने वाले लोग अपने घर को छोड़कर स्कूल या किसी अन्य जगह शरण लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

शहर में जल निकासी की एक झलक

नालों की क्षमता बारिश के समय- 110 से 120 मिमी तक

गोरखपुर में औसतन बारिश - 160 से 170 मिमी तक

सामान्य मौसम में शहर वेस्टेज जल- 80 से 100 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली)

यहां जाता है शहर का पानी- रोहिन में 3 जगह, राप्ती नदी में 6 जगह और रामगढ़ताल में 4 जगह से गिराया जाता है शहर का पानी

पंपिंग स्टेशन- बाढ़ आने के बाद बांधों पर लगे 7 पंपिंग स्टेशन की मदद से निकाला जाता है पानी

शहर में बने नाले

नाले का प्रकार चौड़ाई गहराई

बड़ा नाला 3 फीट 5 से 7 फीट

मध्यम नाला 2 फीट 3 से 4 फीट

छोटा नाला 1 फीट 2 से 2.5 फीट

नालियां .5 फीट 1 फीट

नोट- आवश्यकता के अनुसार कहीं-कहीं नालों और नालियों की गहराई में परिवर्तन हो किया जाता है।

नगर निगम के पास जो संसाधन हैं वह सामान्य हालात से निपटने के लिए ठीक हैं, लेकिन आपदाओं से निपटने के बहुत कम संसाधन हैं। ऐसे में कुछ प्रयास किया जा रहा है।

-राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive