ऑनलाइन चालान ने पब्लिक का दर्द बढ़ा दिया है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी से एमए कर चुके स्टूडेंट रमेश चौहान की बाइक का ऑनलाइन चालान वाराणसी के अस्सी घाट में कर दिया गया. जब रमेश के मोबाइल पर मैसेज आया तो उनका होश उड़ गए.


गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।आनन-फानन में उन्होंने गोरखपुर ट्रैफिक कार्यालय पर इसकी जानकारी दी तो उनसे बनारस ऑफिस में संपर्क करने को कहा गया है। बेमतलब के इस चालान की वजह से अब रमेश बनारस जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह तो केवल एक मामला है, ऐसे और भी मामले हैं, जिन्हें पढ़कर आप चौंक जाएंगे। 'एक बार ट्रेन से गया हूं बनारस'


पादरी बाजार निवासी रमेश चौहान के मोबाइल पर 19 जुलाई को वाराणसी प्रवर्तन कार्यालय का मैसेज आया। जिसमें उनकी बाइक का बिना हेलमेट और गलत तरीके से गाड़ी मोडऩे पर 1500 रुपए का चालान अस्सी रोड पर किया गया था। रमेश ने बताया कि वह केवल एक बार साल 2022 में यूपी पुलिस का एग्जाम देने बनारस गया है। रमेश की गाड़ी का नंबर यूपी 53 ईसी 8755 है। जबकि रमेश के पास जो चालान आया है उसमें क्लियर दिख रहा है कि उस गाड़ी का नंबर यूपी 53 सीई 8755 है। एक नंबर के हेरफेर में रमेश की गाड़ी का चालान कर दिया गया। गोरखपुर मेें कार, दिल्ली हुआ चालान

इसी तरह शाहपुर एरिया के घोषीपुरवा निवासी मो। मोहसिन की कार का बिना बिना हेलमेट के चालान दिल्ली में काट दिया गया है। जिसे देखकर वह हैरान परेशान हैं। मो। मोहसिन की कार नंबर यूपी 16 के 1972 पर 28 जून 2023 को दिल्ली के बॉटनिकल गार्डेन के पास एक हजार का चालान किया गया, जबकि मोहसीन ने मोबाइल पर आया चालान डाउनलोड किया तो उसमें बाइक का बिना हेलमेट चालान किया गया था, लेकिन नंबर उनकी कार का था। कार से मिलते जुलते ही बाइक का नंबर यूपी 16 बीके 1972 भी फोटो में नजर आ रहा है। जिसकी वजह से यह मिस्टेक हुई। लेकिन अब यह मिस्टेक मो। मोहसिन के लिए जी का जंजाल बन गई है। कैटेगरी चालान नो हेलमेट 1000नो सीट बेल्ट 1000नो पार्किंग 500स्टॉप लाइन उल्लंघन 1000दोष पूर्ण नंबर प्लेट- 5000वन वे 500ओवर स्पीड 2000-4000मोबाइल का यूज 1000

गोरखपुर में ऐसे कोई भी चालान होते हैं तो उन्हें सॉर्ट आउट कर दिया जाता है। ऑनलाइन चालान में ऐसे मामले आ रहे हैं, लेकिन जो चालान बनारस या दिल्ली से काटा गया होगा। उसका समाधान भी वहीं से होगा। आप सोशल मीडिया पर भी वहां के संबंधित विभाग को टैग कर अपनी प्रॉब्लम शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा अधिकारी का गूगल से नंबर निकालकर बात करके अपनी बात समझा सकते है। इससे भी उनका समाधान हो सकता है। - श्याम देव, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive