टफ क्वेश्चन के लिए खुद को कर लें तैयार, बिना सॉल्व किए नहीं मिलेंगे 15 परसेंट मार्क्स
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- CBSE में खत्म हुई मॉडरेशन पॉलिसी, जारी रहेगा ग्रेस के रूप में 5 मार्क्स देकर पास करने का नियम - अभी तक टफ क्वेश्चन आने पर वैसे क्वेश्चन के लिए दिए जाते थे फुल मार्क्स, स्टूडेंट्स को यूंही मिल जाते थे 15 परसेंट मार्क्सGORAKHPUR: सीबीएसई स्कूल्स में पढ़ने वाले वैसे स्टूडेंट्स, जो बोर्ड एग्जाम में बैठने वाले हैं, वे ध्यान दें। सीबीएसई ने नए सत्र से मॉडरेशन पॉलिसी खत्म कर दी है। यानी कि अब आपको एग्जाम की तैयारी तो ठीक से करनी ही होगी, एग्जाम में आने वाले उन टफ क्वेंश्चंस के लिए भी खुद को तैयार कर लेना होगा, जिनके लिए पहले बिना किसी मेहनत के बोर्ड की तरफ से 15 परसेंट मार्क्स तक दे दिए जाते थे। हालांकि 5 मार्क्स तक गे्रस के रूप में दिए जाने की पॉलिसी बनी रहेगी। सीबीएसई ने यह सब इसलिए किया है ताकि बाकी बोर्ड से पॉलिसी की एकरुपता बनी रहे और अन्य बोर्ड के स्टूडेंट्स खुद को उपेक्षित महसूस न करें। साथ ही इधर कुछ वर्षो से 90 परसेंट से अधिक मार्क्स स्कोरिंग वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ जाने के चलते भी यह निर्णय लिया गया है। सीबीएसई की इस सिफारिश को एमएचआरडी ने मान लिया है।
यह है मॉडरेशन पॉलिसीसीबीएसई की मॉडरेशन पॉलिसी के तहत स्टूडेंट्स को 15 परसेंट तक मार्क्स बोर्ड की तरफ से यूंही मिल जाते थे। होता यह था कि बोर्ड एग्जाम में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स द्वारा जब बोर्ड में यह आपत्ति की जाती थी कि क्वेश्चन पेपर उम्मीद से ज्यादा टफ थे तो बोर्ड की विशेष कमेटी क्वेश्चन पेपर की समीक्षा करती थी। आपत्ति को सही पाए जाने पर बोर्ड द्वारा संबंधित पेपर में ऐसे सवालों के एवज में स्टूडेंट्स को फुल मार्क्स दे दिए जाते थे। हालांकि यह मार्क्स सिर्फ उन स्टूडेंट्स को दिए जाते थे जिन्होंने ऐसे सवालों को अटेंप्ट करने का प्रयास किया होता था।
बढ़ गई है स्कोरिंगसीबीएसई की मॉडरेशन पॉलिसी के तहत क्वेश्चन पेपर में मुश्किल सवालों के आने पर उनके एवज में 15 परसेंट तक एक्स्ट्रा मार्क्स दिए जाते थे। इधर बीते कुछ साल में देखा गया कि मॉडरेशन पॉलिसी के कारण 90 परसेंट से अधिक मार्क्स स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या काफी बढ़ गई है। इसके चलते कॉम्प्टीशन का लेवल भी हाई हो गया है। ऐसे में अब मॉडरेशन पॉलिसी की जरूरत महसूस नहीं हो रही। साथ ही कॉम्प्टीशन व एडमिशन पॉलिसी में ट्रांसपेरेंसी लाने व अन्य बोर्ड से एकरुपता लाने के लिए सीबीएसई ने इस पॉलिसी को खत्म करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट से सिफारिश की। मिनिस्ट्री ने इस सिफारिश को मान लिया।
ताकि सभी बोर्ड में हो एक जैसी पॉलिसी एमएचआरडी ने बीते दिनों एक विशेष बैठक आयोजित की थी। देश के सभी शिक्षा बोर्ड के साथ हुई बैठक में उन्हें एक नीति पर आम सहमति बनाने को कहा था। जिसमें मॉडरेशन पालिसी को खत्म किए जाने की बात कही गई थी ताकि तमाम बोर्ड के बीच रिजल्ट को लेकर असमानता नहीं रहे। बैठक में सीबीएसई के प्रस्ताव पर विचार करते हुए मॉडरेशन समाप्त करने का फैसला लिया गया है। परसेंटेज पर पड़ेगा असर मॉडरेशन पॉलिसी खत्म होने से सीबीएसई स्टूडेंट्स को बड़ा झटका लगना स्वाभाविक है। हालांकि सीबीएसई ने यह साफ किया है कि जिन स्टूडेंट्स को पास होने के लिए ग्रेस मार्क्स की जरूरत होगी, उन्हें 5 नंबर के ग्रेस मार्क्स पहले के नियम के तहत ही दिए जाने का प्रावधान रहेगा। जानकारों की मानें तो नई व्यवस्था मौजूदा वक्त में एग्जाम दे रहे स्टूडेंट्स पर भारी पड़ेगी। 15 परसेंट मार्क्स के नहीं मिलने पर ओवर ऑल परसेंटेज पर भी असर पड़ेगा। जिस कारण पासिंग परसेंटेज में भी गिरावट दर्ज की जाएगी। वर्जनबोर्ड चेयरमैन निरंतर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। इसी क्रम में मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने की बात कही गई थी। स्टूडेंट्स को निराश नहीं होना चाहिए इससे आगे चलकर उन्हें निश्चित रूप से लाभ होगा।
विजय सिंह यादव, असिस्टेंट सेक्रेटरी, सीबीएसई