तभी चलेगा स्कूल जब होगा सरकारी बुक का रूल
- CBSE Board के तहत संचालित private schools की नहीं चलेगी मनमानी
- Syllabus में NCERT की किताबें ही करनी होंगी शामिलGORAKHPUR: सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएटेड कोई स्कूल अब एनसीईआरटी की किताबों की जगह मार्केट की किताबें थमाने की मनमानी नहीं कर सकेगा। अगर आपके बच्चे के स्कूल में भी ऐसा हो रहा हो तो आप ऑब्जेक्शन कर सकते हैं। स्कूल्स द्वारा कमीशन के नाम पर बाहरी किताबें थमाने के खेल से सीबीएसई बोर्ड ने सख्ती से निपटने का फैसला किया है। बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक, प्राइवेट स्कूल्स को अब अनिवार्य रूप से एनसीईआरटी की ही किताबों से पढ़ाना होगा। बोर्ड ने इसे लेकर स्कूल्स को निर्देश जारी किया है कि नए सेशन से उन्हें एनसीईआरटी किताबों को ही कोर्स में चलाना होगा। अगर कोई स्कूल ऐसा नहीं करता है तो पैरेंट्स सीधे इसकी शिकायत बोर्ड से कर सकते हैं।
चलता है Commission का खेलवतर्मान में ज्यादातर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारियां करते हैं। इसके लिए एक्सपर्ट भी यही सलाह देते हैं कि स्टूडेंट्स एनसीईआरटी की किताबों से ही तैयारी करें। सीबीएसई बोर्ड का भी मानना है कि सिलैबस, कंटेंट और क्वालिटी के मामले में एनसीईआरटी बुक्स बेस्ट मानी जाती हैं। सीबीएसई अपने स्कूल्स में भी इन बुक्स को ही प्रिफर करता है। लेकिन ज्यादातर पब्लिक स्कूल्स मोटे कमीशन के चक्कर में जबरन पैरेंट्स से प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने को कहते हैं
सस्ती हैं NCERT Books प्राइवेट स्कूल्स की बात करें तो यहां क्लास फर्स्ट के बच्चे पर पढ़ाई का जितना बोझ होना चाहिए, उस हिसाब से एनसीईआरटी की बुक्स में कोई बुराई नहीं। रेट्स के हिसाब से भी पैरेंट्स इनसे महंगाई की मार से बच सकते हैं। लेकिन स्कूल्स, क्वालिटी और कंटेंट की दुहाई देकर प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी बुक्स खरीदने के लिए पैरेंट्स को मजबूर करते हैं। पैरेंट्स भी हर साल 500 का सिलैबस पांच हजार रुपए तक में खरीदने को मजबूर हो जाते हैं। बॉक्स यहां भी है दिक्कत प्राइवेट स्कूल्स की बाहरी किताबें थमाने की मनमानी यहां भी चल रही है। जिले के कई प्राइवेट सीबीएसई स्कूल्स में भी एनसीईआरटी बुक्स की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए स्टूडेंट्स को मजबूर किया जा रहा है। ऐसे करते हैं मनमानी - स्कूल अपने मन मुताबिक सिलैबस में लगाते थे महंगी किताबें - एनसीईआरटी की तुलना में दस गुनी तक महंगी हैं प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स- कमीशन के चलते खास दुकानों पर ही उपलब्ध होती थीं किताबें
- जिलेभर के सीबीएसई बोर्ड के स्कूल्स में भी होता है लाखों का कारोबार - 50-60 परसेंट के कमीशन पर चलता है यह खेल कोट कई जगह ऐसी शिकायतें आती हैं। हमारे पास भी कई पब्लिशर्स स्कीम लेकर आते हैं लेकिन हम उन्हें तवज्जो नहीं देते। हमारे यहां एनसीईआरटी की बुक्स पहले ही लगाई गई हैं। बोर्ड के इस फैसले से मनमानी बंद होने के साथ ही पैरेंट्स को आर्थिक रूप से भी फायदा होगा। - गिरीश चंद्र मिश्रा, प्रिंसिपल ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल