Gorakhpur News: दागदार हो रही बेसिक शिक्षा
गोरखपुर (ब्यूरो).सूत्रों की माने तो टीचर्स द्वारा गलत काम करने की शिकायत के पीछे अधिकारियो का भी अहम रोल है। गोरखपुर में 2500 परिषदीय स्कूल हैं। जिनकी प्रॉपर निगरानी या चेकिंग नहीं होती है। इस वजह से स्कूलों से डिसिप्लिन खत्म होती जा रही है। स्कूल स्टाफ की मानें तो बीएसए ऑफिस में सेटिंग का खेल चलता है। बहुत से ऐसे टीचर हैं, जो रेग्युलर स्कूल में भी अवेलबल नहीं होते हैं। उनके फेसबुक से पता चलता है कि वे स्कूल में तो कभी नहीं लेकिन हिल स्टेशन और घूमने वाली जगहों से अधिक लाइव रहते हैं। सही से जांच हो तो कई ऐसे टीचर मिलेंगे जो केवल अटेंडेंस तक ही सीमित रहते है, उनका पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं है। केस 1टीचर को अकेला पाकर प्रधानाध्यापक ने की छेड़खानी
कैंपियरगंज इलाके के स्कूल से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। यहां पर एक प्रधानाध्यापक ने सहायक महिला टीचर को अकेले पाकर स्कूल के अंदर छेडऩे लगा। किसी तरह महिला टीचर ने खुद की इज्जत बचाई। बाद में बीएसए ऑफिस तक शिकायत पहुंचने पर अधिकारी ने प्रधानाध्यापक को सस्पेंड कर अपना पल्ला झाड़ लिया। केस 2टीचर मांग रहा था रंगदारी
एसटीएफ और कैंट थाने की पुलिस ने मंगलवार को टीचर्स की एक गैंग पकड़ी जो परिषदीय स्कूलों शिक्षकों को ब्लैकमेल कर पैसे की डिमांड करते थे। इसमे एक टीचर जो कि जानीपुर प्राइमरी स्कूल के टीचर ने जब इसकी शिकायत की तब जाकर रंगदारी मांगने वाली गैंग पकड़ी गई। इसमे एक टीचर महेंद्र प्रताप सिंह फर्जी डॉक्यूमेंट में एक स्कूल से बर्खास्त हो चुका है। महेन्द्र दो स्कूलों में टीचर बनकर पैसे उठा रहा था। जबकि एक टीचर गिरधारी लाल माध्यमिक विद्यालय जंगल डुमरी नं। 1 भटहट ब्लॉक में टीचर है। ये इस गैंग में शामिल होकर अपने नाम से किसी भी टीचर के खिलाफ शिकायत करता था। इसके बाद उससे रंगदारी वसूली जाती थी। कैंपियरगंज छेड़खानी वाल मामले में प्रधानाध्यापक पर तत्काल कार्रवाई की गई। इसके बाद एसटीएफ ने रंगदारी मांगने के आरोप में टीचर को अरेस्ट किया। उसपर भी कार्रवाई की गई है। जहां भी ऐसी शिकायत आती है, उसे बख्शा नहीं जाता है।रमेन्द्र कुमार सिंह, बीएसए