- प्राइवेट वार्ड नंबर 6 में एडमिट था बुलंदशहर का कुख्यात मुकेश हजारपुरिया

- महराजगंज जेल से इलाज के लिए लाया गया था मेडिकल कॉलेज

GORAKHPUR: इन दिनों बीआरडी भी अजब खेल कर रहा है। किसी को इलाज के नाम पर मौज करा रहा है तो किसी को जबरन बिना इलाज के ही डिस्चार्ज कर रहा है। इसका उदाहरण है कुख्यात मुकेश हजारपुरिया का मामला। दरअसल हुआ यह कि बीआरडी ने मुकेश को अस्पताल से बिना ऑपरेशन के ही डिस्चार्ज कर दिया। जबकि, उसके पैर के ऑपरेशन की सख्त जरूरत है।

महराजगंज जेल में बंद कुख्यात मुकेश हजारपुरिया के बाएं पैर में फ्रैक्चर होने पर उसे मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराया गया था पहले तो डॉक्टर्स ने उसके ऑपरेशन की सलाह दी। लेकिन फिर, मंगलवार शाम बिना ऑपरेशन के ही डिस्चाजर्1 कर दिया।

पैर में लगी थी गोली

बुलंदशहर के शिकारपुर का रहने वाला मुकेश हजारपुरिया अपने एरिया का कुख्यात है। पिता यशपाल भी कुख्यात है। गुप्त सूचना पर 1 जनवरी 2016 को पुलिस मुकेश के ठिकाने पर पहुंची थी। सरेंडर के लिए कहने पर उसने गोली चला दी। पुलिस ने भी गोली चलाई। उसके पैर में गोली लगी। डॉक्टर ने गोली निकाल दी। इसके बाद पुलिस ने बेहतर इलाज कराए बिना ही उसे बुलंदशहर के जिला जेल में बंद कर दिया। फिर उसे महराजगंज के जिला कारागार भेज दिया गया।

12 मई को कराया एडमिट

महराजगंज जेल में शिफ्ट होने के बाद उसके पैर में दिक्कत शुरू हो गई। डॉक्टर ने उसके पैर में रॉड लगाने की सलाह दी थी लेकिन पुलिस ने इलाज नहीं कराया। तकलीफ बढ़ी तो महराजगंज जेल प्रशासन ने 12 मई को उसे मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में एडमिट कराया। जहां मेडिकल कॉलेज के आर्थो विशेषज्ञ उसका इलाज कर रहे थे। 13 मई को उसे प्राइवेट वार्ड नंबर 6 में भेज दिया गया।

बीआरडी में हुआ चिकनपॉक्स

प्राइवेट वार्ड में ही उसे चिकनपॉक्स हो गया। इस वजह से उसके पैर का ऑपरेशन टाल दिया गया। डॉक्टर ने ऑपरेशन को दस दिन के लिए रोक दिया। उधर, एसएसपी अनंत देव के संज्ञान में जब मामला आया तो उन्होंने प्राइवेट वार्ड में इलाज करा रहे अन्य कैदियों की निगरानी बढ़ा दी और उसका पूरा खाका तैयार का रिपोर्ट मांगी। इससे मेडिकल कॉलेज में खलबली मच गई। घबराए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बिना ऑपरेशन ही कैदी को डिस्चाजर्1 कर दिया।

प्राइवेट वार्ड से मांग रहा था रंगदारी

मुकेश प्राइवेट वार्ड से ही अपना नेटवर्क चला रहा था। उसने बुलंदशहर के दो चीनी मिल कारोबारियों से रंगदारी मांगी थी। यह मामला एसएसपी अनंद देव की जांच में सामने आई तो उन्होंने उसकी निगरानी बढ़ा दी थी। बताया कि मुकेश अपने एरिया के चीनी मिल में दखल रखता था और किसानों को धमकाकर कम कीमत में गन्ना लेता रहा। मामले में जब गन्ना निरीक्षण ने आपत्ति जताई तो नवंबर 2015 में उसकी हत्या कर दी। इसके बाद से ही वह फरार था।

वर्जन

मरीज के बाएं पैर में फै्रक्चर था। उसका ऑपरेशन होना था। मगर इसी बीच चिकनपॉक्स हो गया। इससे ऑपरेशन नहीं हो सका। ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन व जेल प्रशासन को अवगत कराया गया लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं होने से ऑपरेशन नहीं हो सका। फिलहाल प्लास्टर लगाकर उसे भेज दिया गया है।

- डॉ। अशोक यादव, आर्थो विभागाध्यक्ष

ऑपरेशन करने के लिए जेल प्रशासन की ओर से कोई प्रबंध नहीं किया गया। मरीज ऑपरेशन लगाने वाला रॉड व दवाइयां देने को तैयार था। इस संबंध में प्राचार्य से भी बात की गई थी लेकिन इसी दौरान उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

डॉ। एके श्रीवास्तव, कार्यवाहक एसआईसी

जेल में बंद कैदी का पैर फैक्चर था। उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया। जहां डॉक्टर इलाज कर रहे थे। उसके स्वस्थ होने की जानकारी के लिए लेटर भी लिखा गया, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कोई जवाब नहीं दिया। अचानक उसे मंगलवार की शाम डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉक्टर ने उससे एक माह भेजने को कहा है।

अनिल राय, जेल अधीक्षक, महराजगंज

Posted By: Inextlive