नगर निगम को एक साल बाद याद आए बिस्मिल
- जेल रोड पर एक साल पहले बिस्मिल द्वार का हुआ था शिलान्यास
- इसके बाद गायब हो गई थी फाइल, ठप हो गया था काम - पब्लिक भी नगर निगम से लगा चुकी गुहार, फिर भी नहीं शुरू हो पाया निर्माणGORAKHPUR: आजादी के परवानों ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। लोगों ने कुर्बानी इसलिए दी कि वह रहें या न रहें, उनकी यह कुर्बानी याद की जाएगी। देश उन्हें सम्मान की नजरों से देखेगा। कागजों में ऐसा होता भी है, लेकिन अगर इसकी हकीकत पर नजर डाली जाए, तो शहीदों के साथ ही उनकी कुर्बानी भी किसी को याद नहीं। गोरखपुर जेल में शहीद हुए पं। राम प्रसाद बिस्मिल को याद करने के तरीके को लेकर उनकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान देने वाले पं। बिस्मिल के सम्मान में नगर निगम ने जेल रोड पर एक भव्य गेट बनाने का फैसला किया। कागज तैयार हुए, शिलान्यास और पूजन भी हो गया, लेकिन उसके बाद से निर्माण कार्य पर ब्रेक लग गया और उसकी फाइल भी गायब हो गई।
एक साथ तक गायब रही और ठीक एक साल बाद 18 दिसंबर को गेट के निर्माण का कार्य शुरू हो पाया।खेल का शिकार हो गए बिस्मिल
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नाम से जेल रोड पर बनने वाला गेट शुरू से ही जिम्मेदारों के खेल का शिकार रहा। गेट की फाइल अभी बनी भी नहीं थी कि तभी से जिम्मेदारों ने उपलब्धियां गिनाने के चक्कर में गेट का शिलान्यास कर दिया। दो माह बाद फाइल बनी, जेई नर्वदेश्वर पांडेय ने बताया कि उसके बाद जब एक्सईएन आते तो मार्च इसका टेंडर कराया गया। टेंडर निकलने के बाद आरके इंटप्राइजेज को इसका काम भी मिल गया। काम मिलने के बाद जब वर्कआर्डर जारी होने की बात आयी, तभी इस एरिया के एक्सईएन का तबादला हो गया। मार्च में नए इंजीनियर को एक्सईएन की जिम्मेदारी मिल गई, लेकिन अभी तक वर्कऑर्डर जारी नहीं हो पाया है। पार्षद मंतालाल यादव ने बताया कि स्थानीय नागरिक और मैंने मेयर, नगर आयुक्त को चीफ इंजीनियर को पांच बार से अधिक बार पत्र लिखकर फाइल देखने की बात कही, लेकिन नगर निगम के निर्माण विभाग से यह फाइल गायब हो गई है। चीफ इंजीनियर कहते हैं कि फाइल मिले तो वर्कऑर्डर जारी करें, जबकि निर्माण विभाग के बाबू के यहां यह फाइल है ही नहीं। 19 दिसंबर 2014 को हुआ था शिलान्यायपं। रामप्रसाद बिस्मिल को अंग्रेजों ने 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर के जेल में फांसी दी गई थी। फांसी देने वाली जगह पर आजाद भारत में पार्क का निर्माण कराया गया है। 2014 में नगर निगम बोर्ड ने जेल रोड पर एक बिस्मिल द्वार का निर्माण उनकासम्मान करने का निर्णय लिया। 19 दिसंबर 2014 को मेयर डॉ। सत्या पांडेय और स्थानीय पार्षद मंतालाल यादव ने इसका शिलान्यास किया। इसके नगर निगम के अफसरों ने वादा किया कि 11 जून को बिस्मिल जी के जन्मदिन के अवसर पर इस गेट का उद्घाटन किया जाएगा।
फाइल गायब, नहीं होती कार्रवाई नगर निगम में फाइल गायब होना कोई नई बात नहीं है। जिम्मेदार अक्सर जिन कामों को पूरा नहीं करवाना चाहते, उन फाइलों को गायब कर देते हैं। कार्रवाई न होने से उनके हौसले भी लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। पिछले साल इसी बात को लेकर कई बार पार्षद, ठेकेदार और निर्माण विभाग के कर्मचारियों के बीच विवाद भी हो चुका है। फरवरी में वार्ड नं 68 की एक फाइल गायब हो गई, जिसको लेकर पूर्व डिप्टी मेयर जियाउल इस्लाम ने कई कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोलने की धमकी भी दे दी। इन सबके बाद भी नगर निगम प्रशासन एक्टिव नहीं हो रहा है।काम शुरू हो गया है, जल्द ही गेट बन कर तैयार हो जाएगा। यह कोशिश यह रहेगी कि उनके जन्म दिन पर इसका लोकार्पण किया जाएगा।
नर्वदेश्वर पांडेय, जेई, नगर निगम