फिल्मी दुनिया में मुन्ना भाई एमबीबीएस ने उल्टा-सीधा इलाज कर लोगों की जिंदगी बचाई. लेकिन असल जिंदगी के मुन्ना भाई एमबीबीएस डिग्री न होने के बाद भी लोगों की जिंदगी से खेलता रहा. लापरवाही से हुई मौत के बाद जब अस्पताल की जांच हुई तो हकीकत सामने आई.


गोरखपुर (ब्यूरो)। जांच में यह पता चला कि यहां अरुण सिंह उर्फ काजू फर्जी तरीके से डॉक्टर बन लोगों का उपचार कर रहा था। उसने झंगहा क्षेत्र के मोतीराम अड्डा चौराहे के पास जनसेवा अस्पताल खोल रखा था। जबकि उसके पास सिर्फ ग्रेजुएशन की डिग्री ही है। इसने मेडिकल से संबंधित कोई पढ़ाई नहीं की है। डॉक्टर्स के साथ रहते-रहते इसने पहले किराए पर अस्पताल खोला। आमदनी होने के बाद उसने जमीन खरीद खुद का अस्पताल खोल लिया।डॉ। शारिक के नाम से रजिस्ट्रेशन


पुलिस की जांच में यह मामला सामने आया कि जिस डॉ। शारिक के नाम पर इसने रजिस्ट्रेशन कराया है, वह डॉक्टर शहर के दो-तीन अस्पतालों में काम करते हैं। आरोपित काजू डॉ। शारिक को प्रति मरीज 15 से 21 हजार रुपया देता था। उपचार के दौरान मरीज के गंभीर होने पर काजू रजिस्टर्ड डॉक्टर के बताए अस्पताल लेकर पहुंचता था और मरीजों के परिजन को बताता था कि वह खुद की निगरानी में उपचार कर रहा है। प्रेग्नेंट महिला की ऑपरेशन से हुई मौत

बता दें कि 27 जून को झंगहा क्षेत्र के लक्ष्मीपुर शिऊंवा टोला की प्रेग्नेंट महिला मंजू देवी का आपरेशन आरोपित अरुण सिंह ने किया था, जिससे एक बच्ची का जन्म हुआ। आपरेशन के बाद मंजू की तबीयत बिगडऩे लगी तो आरोपित डॉक्टर ने तीन दिनों तक शहर के दो तीन अस्पताल में घूम-घूम कर उपचारा कराया। पांच जुलाई को मंजू की मौत हो गई। इसके बाद आरोपित शव लेकर अस्पताल पहुंचा और उसके स्वजन को सुपुर्द कर दिया। मंजू की मां विमला देवी की तहरीर पर पुलिस ने आरोपित काजू के विरुद्ध केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।सीएमओ कार्यालय से कैसे हो गया रजिस्ट्रेशनसीएमओ कार्यालय की तरफ से जनसेवा अस्पताल का रजिस्ट्रेशन पूर्णकालिक और अंशकालिक के रूप में हुआ है। पुलिस के अनुसार दोनों रूप से रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है। वहीं सीएमओ कार्यालय का कहना है कि अंशकालिक रजिस्ट्रेशन पहले होता था। इसके माध्यम से एक डॉक्टर अपने नाम से कई अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन करा लेते थे। गड़बड़ी मिलने के बाद इसे बंद करते हुए पूर्णकालिक रजिस्ट्रेशन किया जाने लगा।जांच नहीं करता स्वास्थ्य विभागपुलिस के अनुसार रजिस्ट्रेशन के समय स्वास्थ्य विभाग की टीम स्थलीय निरीक्षण नहीं करती है। बीते दिनों जितने भी अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई हुई है वह मानके अनुसार नहीं मिले। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिये गये नियमों के अनुसार किसी जगह सुविधा नहीं मिली।दूसरे अस्पताल को मिल गया रजिस्ट्रेशन

चौरी चौरा क्षेत्र में आरपी अस्पताल के संचालक पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसे बंद कराया था। एएसपी मानुष पारीख का कहना है कि इस समय उस भवन में दूसरा अस्पताल चल रहा है। कुछ ही दिनों बाद सीएमओ कार्यालय से उसका रजिस्ट्रेशन दे दिया गया।

Posted By: Inextlive