यूपी एटीएस की गिरफ्त में आए गोरखपुर के ख़ूनीपुर निवासी तारिक अतहर उर्फ मोटू से कुछ अहम जानकारियां मिली हैं. तारिक के कुछ अन्य दोस्त भी एटीएस व एलआईयू के रडार पर हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)।अतहर मुजाहिद बन जेहाद कर भारत मे शरिया कानून लागू कराना चाहता था। इसलिए वह ग्रुप बनाकर पूर्वांचल के युवाओं को जोड़कर अपनी तरह-तरह की पोस्ट के माध्यम से उनका ब्रेन वाश कर रहा था। अब एटीएस यह जांच कर रही है कि कितनों का ब्रेन वाश हुआ या इस काम में उसके मददगार कौन कौन हैं? क्योंकि वह अकेले इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा नहीं कर सकता। पड़ोसी हैरान, कैसे बहक गया शिक्षक का बेटा


उधर, मोहल्ले के लोग उसके आतंकी होने से हैरान हैं। कुछ मोहल्लेवासियों ने बताया कि कभी उसपर इस तरह के काम में शामिल होने का शक नहीं हुआ। वहीं, तारिक अतहर इधर कुछ वर्षों से गोरखपुर कम ही रहता था। उसके घरवाले भी उसके इस कृत्य से हैरान हैं। हालांकि परिजनों व मोहल्ले वालों ने ज्यादा बात करने से मना कर दिया। लोगों का कहना है कि उन्हें विश्वास नहीं होता कि शिक्षक का बेटा कैसे आईएसआईएस के वीडियो देख इस कदर बहक गया। पूछताछ में एटीएस को मिले इनपुट

बता दें कि इनपुट मिलने के बाद अतहर को नोटिस देकर एटीएस ने पूछताछ के लिए लखनऊ बुलाया था। वह आईएसआईएस के आतंकी और उनकी बंदूकों से प्रभावित था। पूछताछ में उसने बताया कि वह अबू बकर अल बगदादी के वीडियो भी देखता है, जिससे प्रभावित होकर वह मुजाहिद बनकर भारत में जिहाद करना चाहता है और शरिया कानून लागू कराना चाहता है। इसके लिए उसने प्रतिबंधित संगठन आईएसआईएस की शपथ भी ली है। एटीएस के मुताबिक, अतहर ने आईएसआईएस की विचारधारा से जुड़े व्यक्तियों के ग्रुप में जुड़े होने और उनकी विचारधारा को प्रसारित करने और नौजवानों को ग्रुप में जोड़कर जिहाद के लिए तैयार करने की बात स्वीकार की है। साथ ही टेलीग्राम के विभिन्न ग्रुपों से राष्ट्र विरोधी आपत्तिजनक कंटेंट डाउनलोड कर पढऩे, अपने पास रखने और उसे शेयर करने की बात भी बताई। उसने यह भी बताया कि वह आईएसआईएस के मुजाहिद अबु सईद अल ब्रितानी, अल अदनानी द्वारा हिजरा के महत्व, जिहाद से पहले की तैयारी और जिहाद के लिए सुरक्षा मानक आदि विषयों पर लिखे गए लेखों से प्रभावित है। वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय रहकर नौजवानों को जिहादी विचाराधारा से जोड़कर यूपी में आईएसकेपी का एक मॉड्यूल खड़ा कर उनको जिहाद के लिए देश के बाहर ले जाना चाहता है। उसके मोबाइल से एक नक्शा मिला और कुछ गन के साथ आतंकी की फोटो व उर्दू में लिखा हुआ मिला। अब जल्द ही एटीएस उसकी रिमांड लेकर पूछताछ करेगी। वहीं चर्चा है कि तुर्कमानपुर का रहने वाले उसके एक दोस्त को भी एटीएस ने उठाया था। साथ ही एक अन्य युवक को भी, लेकिन उनके खिलाफ कुछ पुख्ता साक्ष्य न मिलने से छोड़ दिया गया, लेकिन उन्हें पूरी तरह से अभी क्लीन चिट नहीं मिली है। नेपाल आतंकियों का महफूज ठिकानादरअसल, नेपाल बॉर्डर से सटे होने की वजह से गोरखपुर जिले में भी आतंकी अपनी गहरी पैठ जमा चुके हैं। साल 2022 में गोरखनाथ मंदिर पर हुए आतंकी हमले से पहले भी हमले का आरोपी मुर्तजा अहमद अब्बासी पहले नेपाल ही गया था। वहां जब उसे हथियार नहीं मिला तो वह बांकी लेकर गोरखपुर पहुंचा और यहां मंदिर की सुरक्षा में तैनात जवानों पर हमला कर दिया। जबकि, इससे पहले राजधानी लखनऊ में रविवार को अलकायदा की विंग अंसार अलकायदा हिंद (एजीएच) के आतंकी मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर के पकड़े जाने के बाद भी आतंकियों का गोरखपुर कनेक्शन सामने आ चुका है। उस वक्त इस मामले में खुफिया एजेंसियों का दावा था कि करीब दो साल पहले ही नेपाल वाया गोरखपुर के रास्ते आतंकियों ने प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों की रेकी की थी। इसके बाद ही गोरखनाथ मंदिर पर हमला भी हुआ था।

गोरखपुर के शख्स ने रेकी कर पाकिस्तान भेजी थी फोटोवहीं, अगस्त 2020 में कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले एक शख्स को एटीएस ने पकड़ा था। पूछताछ में उसने कबूल किया था कि उसने यहां एयरफोर्स स्टेशन, कूड़ाघाट स्थित गोरखा रेजीमेंट और रेलवे स्टेशन की फोटो पाकिस्तान में बैठे अपने आका को भेजी थी। 2014 से 2018 के बीच वह कई बार अपने पाकिस्तानी रिश्तेदार के यहां पाकिस्तान भी गया। इसी दौरान आईएसआई ने उसे हनीट्रैप में फंसा लिया। उसे ब्लैकमेल किया गया और वापस लौटने पर जासूसी के काम में लगा दिया गया। 3 साल पहले ही जुड़े थे गोरखपुर से तारदिसंबर 2019 में राम मंदिर फैसले के बाद उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने कुख्यात आतंकी जलीस अंसारी उर्फ डॉ। बम को कानपुर में गिरफ्तार किया था। तभी इस साजिश का खुलासा हो गया था। डॉ। बम यहां संतकबीर नगर नगर जिले के बखिरा अमर डोभा का रहने वाला है। जलीस का एक चचेरा भाई आज भी यहां बखिरा में रह रहा है। पेरोल तोड़कर भागे जलीस ने बताया था कि नागरिकता संशोधन कानून और राममंदिर फैसले को लेकर आतंकी संगठनों में आक्रोश है। इसलिए यूपी में सीरियल ब्लास्ट की तैयारी चल रही है।
अब तक भारत-नेपाल सीमा से पकड़े गए प्रमुख आतंकी- 1991 मे खालिस्तान एरिया फोर्स का डिप्टी कमांडर सुखबीर सिंह।- 1991 में ही नेपाल की बढऩी सीमा पर खालिस्तान लिबरेशन फ्र ंट के भागा सिंह और अजमेर सिंह की गिरफ्तारी हुई थी।-1993 में आतंकी टाइगर मेमन।-1995 में आईएसआई एजेंट यासिया बेगम।-2000 में आसिम अली और चार आतंकी।-2002 में परसामलिक थाने के पास कारतूसों का जखीरा पकड़ा गया था जो कि बिहार के उग्रवादियों ने नेपाल के माओवादियों के लिए भेजा था।- 2007 में लश्कर के आतंकी सादात रशीद मसूद आलम की गिरफ्तारी।- 2009 में मुंबई के आतंकी नूरबक्श और इश्तियाक उर्फ शैतान की गिरफ्तारी।-2013 में आतंकी लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी।-2013 में आतंकी हमलों में 140 लोगों की हत्या के आरोपी और मोस्ट वॉन्टेड आंतकवादी यासीन भटकल की गिरफ्तारी।- अब्दुल करीम टुंडा को भी उत्तराखंड में नेपाल की खुली सीमा पर ही गिरफ्तार किया गया था।-2022 में गोरखनाथ मंदिर का हमलावर मुर्तजा अहमद अब्बासी गोरखपुर से पकड़ा गया।-27 जनवरी 2023 में एनआईए ने गोरखपुर से आतंकी दीपक रंगा को अरेस्ट किया था। दीपक रंगा ने पंजाब के मोहाली स्थित खुफिया विभाग के मुख्यालय पर 9 मई 2022 को रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से हमला किया था।

Posted By: Inextlive