फिर बे-पटरी हुई ट्रेन
- पूर्वी यार्ड में शंटिंग के दौरान पैसेंजर ट्रेन के दो पहिए हुए बे-पटरी
-बे-पटरी हुई बोगी को काबू में लाने के लिए कोचिंग डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को लगे एक घंटे से ज्यादा का वक्त GORAKHPUR: यार्ड से शंटिंग के दौरान ट्रेंस का बे-पटरी होना लगता है आम बात हो गई है। ट्यूज्डे को एक बार फिर पूर्वी यार्ड में शंटिंग के दौरान पैसेंजर ट्रेन की एक बोगी के दो पहिए बे-पटरी हो गए। हालांकि घटना के बाद ही ट्रैफिक व सिग्नलिंग डिपार्टमेंट के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गए और संचालन बाधित नहीं होने दिया। शंटिंग के दौरान बे-पटरी हो गई बोगीट्यूज्डे की दोपहर करीब ख् बजे पैसेंजर ट्रेन की दो बोगियां समेत एसएलआर की बोगियां शंटिंग हो रही थी। तभी इंजन से लगे दूसरी बोगी के दो पहिये पटरी से उतर गए। बोगी के पटरी से उतरते ही मौके पर ट्रैफिक और सिग्निलिंग के सभी अधिकारी पहुंच गए। बे पटरी हुई बोगी को पटरी पर लाने में करीब डेढ़ घंटे का वक्त लग गया। अब सवाल उठता है कि आखिरकार रेल प्रशासन डिरेल्ड की घटनाओं पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहा है, जबकि रेलवे बोर्ड के सर्कुलर में डिरेल्ड की घटना को गंभीरता से लिये जाने का निर्देश है, लेकिन बार-बार इस तरह की घटना होना एनई रेलवे प्रशासन की लापरवाही को दर्शा रहा है।
क्यों होती है डिरेल्ड कोचिंग यार्ड में काम करने वाले सुप्रीटेंडेंट की माने तो शंटिंग के दौरान डिरेल्ड की कई वजहें होती हैं। रीजन- ट्रैक में कमी, जर्क, टूटा ट्रैक और बेंट की कंडीशन में रिस्पांसिबिल्टी- इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट। रीजन- प्वाइंट सही नहीं, प्वाइंट बना ही नहीं, शंट सिग्नल नहीं रिस्पांसिबिल्टी - स्टेशन मास्टर रीजन - कॉशन स्पीड क्भ् किमी-घंटे से ओवर स्पीड रिस्पांसबिल्टी - ड्राइवर कुछ इस तरह से हुईं डिरेल्ड की घटनाएं - क्9 नवंबर को यार्ड में शंटिंग के दौरान मालगाड़ी के दो पहिए पटरी से उतर गए थे। - ख्भ् अगस्त ख्0क्ब् गोरखपुर यार्ड में कोच लेकर आ रहा इंजन बेपटरी हुआ। - ख्भ् अगस्त ख्0क्ब् को घुघली स्टेशन के पास मालगाड़ी के 9 वैगन पटरी से उतरे, नरकटियागंज रूट रहा डिस्टर्ब। - क्म् फरवरी ख्0क्ब् को गोरखधाम बेपटरी हो गई थी। वॉशिंप पिट से लाने के दौरान दो वैगन हुई थी बे पटरी। - क्ख् सितंबर ख्0क्फ् को गोरखपुर जंक्शन पर मालगाड़ी हुई बेपटरी, कई ट्रेंस हो गई लेट- ख्8 दिसंबर ख्0क्फ् को नंदानगर एफसीआई गोदाम के पास इंजन पटरी से उतरा।
शंटिंग के दौरान दो पहिए बे-पटरी हुए थे। इसके चलते संचलन में कोई बाधा नहीं हुई थी। रहा सवाल डिरेल्ड का तो यह एक आकास्मिक घटना है। आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे