फेस्टिव सीजन शुरु होते ही ई-टिकटों का खेल शुरू हो गया है. शातिर नए-नए हथकंडे अपनाकर टिकट बना रहे हैं और जरूरतमंद पैसेंजस की जेबें ढीली कर रहे हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। इस बार आरपीएफ की सीआईबी टीम के हत्थे चढ़े टिकट दलाल नए 'सीपीआरओÓ और डिसेंट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गए हैैं। इन आरोपियों ने 39 पर्सनल आईडी भी बना रखी थी। आरपीएफ इंस्पेक्टर दशरथ प्रसाद ने बताया कि प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर सीपीआरओ और डिसेंट में एक साथ 36-36 विंडो खुल जाते हैं। जिसमें पहले से ग्राहकों का डाटा फीड करके रखा जाता है। इसमें टिकटों की बुकिंग के लिए ओटीपी की जरूरत भी नहीं पड़ती है। बुकिंग खुलते ही आरोपी एक साथ 36 से अधिक टिकट बुक कर लिया करता था। इसके एवज में जरुरतमंदों से 500 से 1000 रुपए तक की वसूली करता था। एजेंट करते हैैं मनमानी


दशहरा और दीवाली पर्व पर लोग अपने घर लौट रहे हैं। टिकट की कंडीशन यह है कि ज्यादातर ट्रेनों में नो रूम है, जिससे ई-टिकट दलालों की खूब चांदी हो गई है। आईआरसीटीसी एजेंट भी मनमानी कर रहे हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर दशरथ प्रसाद ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर शाहपुर इलाके के करीम नगर चौराहे पर खुशी मोबाइल एंड ट्रेवल्स नाम की दुकान पर छापेमारी की गई। मौके पर दुकान का संचालक 37 वर्षीय अमित कुमार श्रीवास्तव अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए टिकटों की बुकिंग करते रंगे हाथ पकड़ा गया। उसके पास से टिकट बुकिंग के लिए 39 पर्सनल आईडी भी बरामद हुई है। अलग सॉफ्टवेयर का इस्तेमालआरपीएफ साइबर सेल की इंस्पेक्टर रवि रोशन ने बताया कि रेड मिर्ची, कोविड-19, एएनएमएस, ब्लैक टाइगर व मैैंगो ऐसे सॉफ्टवेयर हैं, जिनका इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इस बार जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया है, वह एकदम अलग है। इस तरह से पर्सनल आईडी से टिकट बुक करके बेचना भी 143 रेल अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। अरेस्ट किए गए एजेंट अमित कुमार श्रीवास्तव को रेलवे न्यायाधीश के न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि आरोपी टिकट के एवज में प्रति व्यक्ति 500 से 1000 रुपए तक की अवैध वसूली भी किया करता था। उन्होंने बताया कि पर्सनल आईडी से केवल अपना और अपने ब्लड रिलेटिव का टिकट ही बुक किया जा सकता है। किसी अन्य का टिकट बुक करना अपराध की श्रेणी में आता है।आरोपी के पास बरामद समान - - रेलवे का 1 ई-टिकट जिसकी कीमत 2183.95 रुपए है।- यात्रा की डेट समाप्त होने के बाद की अवधि के 16 ई-टिकट जिसकी कीमत 37503.4 रुपए है। - दोनों बरामद टिकटों का कुल मूल्य 39687.40 रुपए है।- एक अदद लैपटॉप, प्रिंटर, मोबाइल

टिकट दलालों पर नकेल कसने के लिए आरपीएफ व इंटेलिजेंस की टीम लगी हुई है। जो भी प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर हैैं, उन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर टिकटों का अवैध कारोबार करना रेल अधिनियम के तहत अपराध है। ऐसे आरोपियों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहा है। - चंद्रमोहन मिश्रा, सीनियर कमांडेंट, आरपीएफ

Posted By: Inextlive