बेजुबानों की जान से हो रहा खिलवाड़
- क्षेत्र के पशु चिकित्सालयों में सुविधाओं सहित संसाधनों का भारी अभाव
- बिजली नदारद, धूल फांक रहे लाखों के उपकरण DHURIYAPAR: उरुवा विकास खंड क्षेत्र में पशुओं के इलाज के लिए यूं तो शासन की ओर से दो उपकेंद्रों सहित चार पशु अस्पतालों की व्यवस्था की गई है। इसके बाद भी बिजली सहित अन्य संसाधनों के अभाव में सभी अस्पताल पशुपालकों के लिए बेकार ही साबित हो रहे हैं। नतीजन चिकित्सा के अभाव में बेजुबानों की मौत हो रही है।दशकों पूर्व ब्लॉक मुख्यालय पर स्थापित पशु अस्पताल की स्थिति यह है की अभी तक बिजली की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इससे पांच वर्ष पूर्व केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराए गए लाखों के उपकरण धूल फांक रहे हैं। वहीं, वैक्सीनेशन की ऑनलाइन रिपोर्टिग भी नहीं हो पा रही है। हालत ये है कि एक हॉलनुमा कमरे में किसी तरह अस्पताल चलाया जा रहा है। इसी कमरे में चिकित्सक, फार्मासिस्ट सहित सभी लोग बैठते हैं। पशुओं के इलाज को आने वाले किसानों के लिए न तो बैठने और ना ही पेयजल के लिए कोई सुविधा ही यहां मौजूद है। कमोवेश यही स्थिति इलाके में स्थापित उपकेंद्र लाखून खुर्द और मलहानपार और सिकरीगंज स्थित भरवलिया पशु अस्पताल की भी है।
नदारद हैं ये संसाधनक्षेत्र के दो उप केंद्रों सहित चारों अस्पतालों पर जिन संसाधनों का घोर अभाव है उनमें फ्रिज मुख्य है। कारण यह कि इसके अभाव में कई दवाओं और टीकों का चाहकर भी चिकित्सक इस्तेमाल नहीं कर पाते। पशु अस्पतालों में तैनात कर्मचारियों के लिए आवासीय भवनों का निर्माण भी नहीं कराया जा सका है। इस कारण वे रात को अस्पताल में नहीं रुकते। इसका खामियाजा पशुपालकों को भुगतना पड़ता है।
जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ। केपी सिंह ने बताया कि पशु अस्पताल में बिजली, हैंड पम्प और चहार दीवारी की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारी की है। जबकि खंड विकास अधिकारी एसके मौर्या का कहना है कि अस्पताल में बिजली और पानी के लिए हैंडपम्प की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग की है, उनकी नहीं। बाकी चहारदीवारी निर्माण के लिए क्षेत्र पंचायत में प्रस्ताव पास हो गया है। शीघ्र ही उसका निर्माण हो जाएगा।