कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में कारावास की सजा काटने के दौरान पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि ने जेल में कोई काम यानी श्रम नही किया जिससे उन्हें एक भी रुपया पारिश्रमिक नहीं मिला.


गोरखपुर (ब्यूरो)। अमरमणि ने 18 साल 7 माह तो मधुमणि ने 17 साल 9 माह की अपरिहार सजा जेल में पूरी की है। इसके बाद उनकी बाकी की सजा माफ कर समय पूर्व रिहाई शुक्रवार को हुई। हालांकि, कस्टडी से रिहाई के बाद भी दोनों शनिवार को भी मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे। उनका अभी भी इलाज चल रहा है। माना जा रहा है कि दोनों अभी कुछ दिन और अस्पताल में रहेंगे और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही डॉक्टरों की सलाह पर घर जाएंगे।


बता दें, सजा होने के बाद जेल जाने पर कैदियों से कोई न कोई काम कराया जाता है, जिसका उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है जो उनके खाते में जाता है। लेकिन दोनों सजा के दौरान अधिकांश समय मेडिकल कॉलेज में रहे। स्वास्थ्य खराब रहा। इस नाते जब वह जेल में भी कभी कभार रहते तो डॉक्टरों की सलाह पर उनसे काम नहीं लिया जाता था। लिहाजा उन्हें एक भी रुपए का पारिश्रमिक गोरखपुर जेल में नहीं मिला।हत्याकांड में हुई थी जेल

बता दें, लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में मधुमिता शुक्ला की हत्या हुई थी, जिसमें मधुमणि व पूर्व मंत्री अमरमणि को उत्तराखंड कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा हुई थी। कुछ दिन वह देहरादून जेल में रहे। फिर उन्हें गोरखपुर जेल शिफ्ट किया गया था। 2013 से गोरखपुर में वह अधिकांश समय जेल में न रहकर मेडिकल कॉलेज में ही रहे। लिहाजा स्वास्थ्य को देखते हुए दोनो से कोई काम नही कराया गया। इधर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में बाकी कि सजा माफ कर दोनों की समय पूर्व रिहाई के आदेश शासन ने शुक्रवार को दिया। डीएम का आदेश मिलने पर सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर जेल प्रशासन ने दोनों को मेडिकल कॉलेज से रिहा कर उनके बेटे अमनमणि त्रिपाठी को सौंप दिया।

Posted By: Inextlive