अमरमणि की चमक पर गर्दिशों का साया
- प्राइवेट वार्ड में पसरा सारा का सन्नाटा
- मुहब्बत की राह में बर्बादी की भेंट चढ़ा कुनबा द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : गोरखपुर की सियासत में उभरी मणि की चमक पर गर्दिशों का साया पड़ गया है। मोहब्बत के फेर में अमरमणि का कुनबा बर्बादी की भेंट चढ़ गया। कवयित्री के प्रेम में जहां अमरमणि का कैरियर चौपट हुआ, वहीं सारा की मौत के बाद अमनमणि भी मुश्किल में पड़ गए हैं। एक्सीडेंट को शक की नजरों से देखा जा रहा है। खोई हुई राजनीतिक हैसियत पाने की कोशिशों में लगे अमनमणि के जेल जाने से शुभचिंतक मायूस हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में पसरा सन्नाटा, मुश्किलों के बवंडर में घिरे अमरमणि की कहानी बया कर रहा है। मोहब्बत की आंच में झुलस रहा कुनबागोरखपुर की राजनीति में अमरमणि तेजी के साथ उभरे। 80-90 के दशक में जब गोरखपुर का गैंगवार कुख्यात हो चुका था। तब अमरमणि का राजनीतिक करियर शुरू हुआ। बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही और पंडित हरिशंकर तिवारी के बीच टशन बढ़ने पर अमरमणि को राजनीतिक उड़ान मिली। महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर विधान सभा क्षेत्र से वर्ष 1981 में विधायक बनने का प्रयास किया। वीरेंद्र प्रताप शाही के विरोध में अमरमणि को पंडित हरिशंकर तिवारी का साथ मिला। वर्ष 1989 अमरमणि विधायक बने। राजनीतिक उठापठक के दांवपेंच में अमरमणि को मंत्री बनने का मौका मिला। विधायक से मंत्री तक सफर तय करने वाले अमरमणि की मुश्किलें वर्ष 2003 में बढ़ गई। कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में अमरमणि का नाम सामने आया। मामला शुरू होने पर अमरमणि का राजनीतिक करियर दांव पर लग गया। इस बीच वर्ष 2006 में विधान सभा जीतकर खुद को मजबूत करने का प्रयास किया, लेकिन मर्डर में आजीवन कारावास की सजा से मणि की चमक फीकी पड़ गई। उधर एक्सीडेंट में पत्नी की मौत के बाद अमनमणि भी शक के दायरे में आ गए हैं।
कोशिशें बहुत की, पर संभली न सियासतआजीवन कारावास की सजा के कुछ दिनों बाद अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि मेडिकल कॉलेज चले गए। बीमार होने की वजह से दोनों को मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में रखा गया। प्राइवेट वार्ड के रूम नंबर 8 और 16 अमरमणि को एलॉट किया गया। मेडिकल कॉलेज में रहकर अमरमणि ने खुद को कमजोर नहीं होने दिया। खोई हुई सियासत पाने के लिए लोगों से मिलते जुलते रहे। इकलौते बेटे अमनमणि को राजनीतिक विरासत सौपने की तैयारी कर ली। भाई अजीतमणि को भी लोकसभा इलेक्शन में उतारा, लेकिन अजीतमणि को कामयाबी नहीं मिल सकी। उधर पूर्व मंत्री श्याम नारायण तिवारी के साथ रहकर अमनमणि सियासी गलियों चमकने की कोशिश में लग गए। लेकिन लखनऊ में ठेकेदार अपहरण कांड का दाग लगने पर मामला बिगड गया। इन सबके बीच अमन को सारा नाम की लड़की से प्रेम हो गया। दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी पूरे परिवार को हुई तो वे साथ रहने लगे।
बहू की मौत, बेटे के जेल जाने का गहरा सदमाअमरमणि के करीबियों की मानें तो शुरू में इस रिश्ते को किसी ने स्वीकार नहीं किया। बाद में अमरमणि ने भी बेटे के फैसले पर सहमति जता दी। थर्सडे को एक्सीडेंट में बहू की मौत की सूचना से अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि दंग रह गए। एक्सीडेंट के बाद पुलिस ने अमनमणि को ठेकेदार अपहरण के मामले में अरेस्ट कर लिया। बेटे के अरेस्ट होने की खबर मिलने पर गहरा सदमा पहुंचा। मामला बिगड़ने पर परिवार के करीबी, शुभचिंतक लखनऊ रवाना हो गए। उधर मेडिकल कॉलेज में अमरमणि से मिलने जुलने वालों की तादाद बहुत कम हो गई। सैटर्डे को प्राइवेट वार्ड के गलियारे में सन्नाटा पसरा रहा। अस्पताल कर्मचारियों ने बताया कि अमरमणि ने लोगों से मिलना जुलना बंद कर दिया है। बेहद ही करीबी व्यक्ति से वह मिल रहे हैं। बहू की मौत और बेटे के जेल से जाने से वह गमजदा हैं।
इनको भी किया गया है एडमिट प्राइवेट वार्ड के रुम नंबर 8 और 16 में अमनमणि और मधुमणि, 14 में गोपाल यादव, तीन नंबर में मारकंडेय शाही, सात नंबर रुम में रामवृक्ष, 19 में राम मिलन यादव और 30 नंबर में रामानयन यादव को एडमिट किया गया है। इन लोगों से मिलने-जुलने वालों का आना जाना लगा रहा। इनके अलावा अन्य कुछ पेशेंट्स भी प्राइवेट वार्ड में एडमिट हैं।