- रोहिन नदी के मानीराम कुदरिहा बंधे पर पानी के दबाव से टूट गया था फाटक

- फसलों को डूबोकर नदी का पानी पहुंच गया आबादी वाले इलाके तक, जिम्मेदार कुछ न कर सके

SARAHRI: रोहिन में पानी घटने के साथ ही बाढ़ का खतरा टलने लगा है। इसी तरह पानी घटता रहा तो अब भी जल्द ही प्रभावित एरिया से भी पानी निकल जाने की उम्मीद है। इसके पहले पानी के दबाव के कारण रोहिन नदी के मानीराम कुदरिहा बंधे पर रेगुलेटर का फाटक टूट गया था। इससे नदी का पानी जहदा ताल में भर गया। सैकड़ों एकड़ में लगी फसल जलमग्न हो गई। आबादी वाले एरिया में पानी भरना शुरू हुआ था कि नदी में पानी घटने लगा। इससे फसलों को तो नुकसान हुआ है लेकिन आबादी वाला एरिया बाढ़ का कहर झेलने से बच गया। लोगों का कहना है कि कुछ दिनों तक इसी तरह पानी घटा तो खेतों से भी पानी निकल जाएगा और कुछ फसल बच सकती है। वहीं अभी भी लोग इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं नदी में पानी फिर बढ़ न जाए।

याद है 2001 की तबाही

2001 में आई बाढ़ से हुई तबाही को यहां के लोग भूले नहीं हैं। 2001 में मानीराम बंधा टूट गया था और दर्जनों गांव बाढ़ के पानी में डूब गए थे। बाढ़ का जिक्र होते ही वह भयानक मंजर यहां के लोगों की आंखों के सामने आ जाता है। रोहिन नदी का रेगुलेटर टूटने के बाद लोग फिर डर गए थे। पानी खेतों को भरते हुए आबादी वाले इलाके में बढ़ने लगा था। शुक्र रहा कि आबादी वाले एरिया को डूबोने से पहले ही पानी लौटने लगा है।

विभाग का दावा झूठा

बाढ़ की स्थिति बनने से पहले ही विभाग ने तैयारी के दावे किए थे। कहा था कि बाढ़ न आए, इसके लिए सारे बंधे मजबूत करा लिए गए हैं। रेगुलेटर सही हो गए हैं। सवाल यह है कि यदि सबकुछ ठीक ही करा लिया था तो फाटक से रिसाव कैसे होने लगा? रिसाव होता रहा, किसी जिम्मेदार ने सुधि क्यों नहीं ली। आखिरकार फाटक टूट गया। फाटक टूटने के बाद भी लगातार नदी का पानी इलाकों में फैलता रहा लेकिन विभाग कुछ नहीं कर सका। मौके पर पहुंचे अवर अभियन्ता सुरेन्द्र मोहन वर्मा को भी ग्रामीणों ने खूब खरी खोटी सुनाई लेकिन तब भी विभाग सोया ही रहा। गांव वालों की फसल कई दिनों से पानी में डूबी हुई है। उनकी क्षति की भरपाई कौन करेगा? ताल के किनारे मानीराम रहमत नगर, जमुनिया, विशुनपुर, करहिया, भगवानपुर, शिवपुर, गोनरपुर, सेमरहवा, घोलहवा आदि गांव हैं। सभी गांवों के लोगों की फसल नष्ट हुई है।

वर्जन

8 किमी बंधे की मरम्मत के लिए 25 हजार रुपए मिले थे। इसमें कैसी मरम्मत होगी, आपको भी पता है और मुझे भी। धन की समस्या उठाने पर अधिकारी ध्यान नहीं देते। हमने बंधे का मरम्मत कराया था। मछली मारने वालों के कारण फाटक टूट गया।

- सुरेन्द्र मोहन वर्मा, अवर अभियन्ता, सिंचाई विभाग

Posted By: Inextlive