कोतवाल बेकार है, लाइन में भेजिए
- अचानक कोतवाली थाना पर पहुंचे एडीजी
- सीसीटीएनएस की दुर्गति देखकर हुए दुखी द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ आर्डर मुकुल गोयल सैटर्डे को अचानक कोतवाली पहुंचे। सर्किट हाउस से निकलने पर उन्होंने अचानक अपना प्रोग्राम तय कर लिया। एडीजी के थाने पर पहुंचने पर पुलिसवालों की घिग्घी बंधी रही। करीब 40 मिनट तक एडीजी ने थाने का इंस्पेक्शन किया। अंत में नतीजा निकला कि कोतवाल बेकार हैं, उसको लाइन में भेज दिया जाए। कम से कम आज न पसारते कपड़ेसुबह 10 बजकर 42 मिनट पर कोतवाली पहुंचे तो अफरातफरा मची रही। गेट से भीतर पहुंचते ही उनकी नजर छत पर पसरे कपड़ों पर पड़ गई। उन्होंने अरगन पर झूलते कपड़े पसारने पर आपत्ति जताई। कहा कि कम से कम आज तो इनको हटा देते। इसके बाद सीधे सीसीटीएनएस के सवाल पर पहुंच गए। एडीजी ने पूछा कि आखिर यहां किस कमरे में कंप्यूटर लगे हैं।
ताला खोलने में कांपें हाथ, अंधेरा देख बिफरेकोतवाल महेंद्र दुबे ने बताया कि एक कंप्यूटर उनके दफ्तर में लगा है। बाकी सिस्टम को अलग कमरे में लगाया गया है। एडीजी ने तत्काल कमरा खोलने को कहा तो चाभी खोजने में पसीना छूट गया। चाभी लेकर आने वाला कर्मचारी काफी देर तक ताला नहीं खोल पाया। उसके हाथ कांपने लगे। ताला खुलते ही कमरे में एडीजी दाखिल हुए। कमरे में फैला अंधेरा असलियत बयां कर रहा था। सीसीटीएनएस के लिए क्या-क्या आया है? किस-किस को ट्रेनिंग दी गई है? मुआयना कब-कब हुआ है? आखिर नये लड़के जिनकों ट्रेनिंग दी गई है, वे लोग क्या कर रहे हैं। आखिर जनरेटर क्यों नहीं चल रहा है? सीलन भरे कमरे में दीमक तो सारी चीजें चट कर जाएंगे। कमरा इस तरह का क्यों हैं, सहित एडीजी के कई सवालों का जवाब अफसर नहीं दे पाए।
सॉरी सर, मैं इसको देख नहीं पाया एडीजी के कुपित होने पर एक पुलिस अधिकारी ने मामला मैनेज किया। उन्होंने तत्काल गलती मानते हुए कहा कि सॉरी सर, मैं इसका इंस्पेक्शन नहीं कर पाया। एडीजी ने आईजी को निर्देश देते हुए कहा कि पूरे जोन में कंप्यूटर पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। यहां पर काफी कमियां हैं, इनको दूर कराया जाएं। उन्होंने प्रभारी एसपी ट्रैफिक से भी इस मामले पर बात की। एसपी सिटी को कहा कि नये अफसर हो। शहर के थाना में यह हाल है, इसको जरा अपने स्तर से देखकर ठीक कराओ। सभी थानों में ऑनलाइन एफआईआर होनी चाहिए। लापरवाह कोतवाल की होगी विभागीय जांचथाने के दफ्तर में जांच के दौरान एडीजी को तमाम खामियां मिली। आंगतुक रजिस्टर, निरीक्षण रजिस्टर, एफआईआर जिल्द सहित अन्य दस्तावेजों की हालत देखकर एडीजी भड़क गए। उन्होंने सवाल पूछा कि थाने का मुआयना नहीं होता क्या। तभी किसी अफसर ने जवाब दिया कि सर, त्योहारों की वजह से नहीं हो पाया। इस पर एडीजी ने नियमानुसार मुआयना करने का निर्देश दिया। थाने की निरीक्षण पुस्तिका में अप्रैल के बाद किसी प्रकार की इंट्री न हुई थी। इसको एडीजी ने गंभीरता से लिया। उन्होंने कोतवाल को लाइन हाजिर करने के साथ विभागीय जांच का निर्देश डीआईजी को दिया।