जिले के ग्रामीण एरिया में संचालित सीएचसी व पीएचसी सफेद हाथी बने हुए हैं. इन अस्पतालों में घायलों का प्राथमिक इलाज तक नहीं हो रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।इतना ही नहीं अस्पतालों में मेडिकोलीगल जांच भी ठप पड़ी है। इसका पूरा भार जिला अस्पताल पर पड़ रहा है। पुलिस भी गांव के अस्पतालों में मेडिकोलीगल के लिए नहीं जा रही है, जिसके बाद जिला अस्पताल प्रशासन ने सीएमओ से कंप्लेन की है। मामले पर चर्चा होने के बाद सीएमओ ने सभी प्रभारियों को मेडिकोलीगल करने का आदेश जारी किया है। 22 दिन में 1172 मेडिकोलीगल


जिला अस्पताल में इस महीने के 22 दिनों में 1172 मेडिकोलीगल हुए हैं। जिसमें विभिन्न थाना एरियाज में मारपीट के 1124 मेडिकोलीगल और रोड-एक्सीडेंट के 48 मामले पहुंचे। इसके कारण अस्पताल के इमरजेंसी में होने वाला दूसरे मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। अस्पताल प्रशासन ने इसको लेकर सीएमओ से कंप्लेन की है। जिला अस्पताल के रिकार्ड के मुताबिक तीन अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल के बीच में 1172 मेडिकोलीगल किए गए। औसतन 45 से 50 मेडिकोलीगल डेली हुए। इसमें से 80 परसेंट मेडिकोलीगल ग्रामीण एरिया के रहे। यह है नियम

जिला अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ। शाहनवाज ने बताया कि जिस थाना एरिया में घटना हुई उसी से संबंधित सीएचसी या पीएचसी मेडिकोलीगल कराना चाहिए। इसको लेकर कई बार हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है। इसके बावजूद पुलिस कर्मी घायलों को लेकर जिला अस्पताल से चले आते हैं। इससे घायलों को समय पर प्राथमिक इलाज नहीं मिलता। अदालती कार्रवाई में कानूनी अड़चन भी आती है। मेडिकोलीगल में उलझे डॉक्टरइस मामले को लेकर जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ। राजेंद्र ठाकुर व ईएमओ डॉ। शाहनवाज ने सीएमओ डॉ। आशुतोष कुमार दुबे से मुलाकात की। उन्हें मामले की गंभीरता से अवगत कराया। अधिकारियों ने सीएमओ को बताया कि अस्पताल के इमरजेंसी में एक शिफ्ट में एक ही डॉक्टर तैनात रहता है। वह मेडिकोलीगल में ही उलझा रहता है। घायलों के साथ मौजूद पुलिस कर्मी भी दबाव बनाते हैं। इस वजह से दूसरे मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। जबकि उसकी प्राथमिक ड््यूटी मरीजों का इलाज करने की है। सीएमओ ने मामले की गंभीरता को समझा है। उनसे इस मामले में विस्तार से चर्चा हुई है। उन्होंने इस पर सभी सीएचसी-पीएचसी प्रभारियों को आदेश जारी किया है। जिसमें साफ निर्देश दिए हैं कि सीएचसी-पीएचसी में घायलों का प्राथमिक इलाज कर मेडिकोलीगल किया जाए। - डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी

Posted By: Inextlive