Gorakhpur University News : 2019-20 प्री-पीएचडी स्टूडेंट्स को राहत, यूनिवर्सिटी ने वापस लिया टर्मिनेशन
गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 2019 में रेट का एग्जाम हुआ। इसमें नेट, जेआरएफ और अन्य लोग भी शामिल हुए। 6 महीने बाद प्री-पीएचडी का एग्जाम होना था, लेकिन कोविड-19 के चलते परीक्षा नहीं हुई। दोबारा जब यूनिवर्सिटी खुली तब भी एग्जाम नहीं हुआ और जेआरएफ की फेलोशिप रोक दी गई। एग्जाम के लिए प्रदर्शनप्री-पीएचडी की परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स ने धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन तत्कालीन कुलपति प्रो। राजेश सिंह ने सभी शोध छात्रों को नए एजुकेशन पॉलिसी के तहत सीबीसीएस में ले जाने की कोशिश की, जिसको लेकर शोध छात्रों से विवाद बढ़ता चला गया। उनसे सीबीसीएस के तहत रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया। शोध छात्रों ने मामले को लेकर अनवरत धरना शुरू कर दिया। धरने के 15वें दिन नोटिस जारी हुआ कि प्री-पीएचडी की परीक्षा होगी, जिसमें 45 अंक लिखित और 55 का आंतरिक मूल्यांकन होगा। बदल गया प्रारूप
7 जनवरी 2022 के दिन परीक्षा का स्वरूप बदल गया और पेपर 20 नंबर का विषय से जबकि 45 नंबर के सवाल कोर्स के बाहर से आ गए। इसे देख कर अधिकतम शोध छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद उन्होंने एसडीएम सदर के माध्यम से कमिश्नर को ज्ञापन दिया। रात में 11 बजे 17 शोध छात्रों के ऊपर नामजद मुकदमा दर्ज कर उन्हें यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया। हाईकोर्ट तक पहुंचा मामलामामले को लेकर शोध छात्रों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इसमें कमलकांत राव व 3 अन्य लोग थे। हाईकोर्ट ने टर्मिनेशन पर रोक लगा दी और मामले को एक तार्किक रूप से समाप्त करने का निर्देश दिया। इसके बाद एफआईआर को खत्म करने की दोबारा अपील की गई। हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब मांगा, लेकिन अंतिम निर्देश के बाद भी यूनिवर्सिटी ने जवाब नहीं दिया। आखिर में न्यायालय ने मामले को समाप्त करते हुए निर्देशित किया की कोई भी गिरफ्तारी या एक्शन छात्रों के खिलाफ नहीं होगा। नहीं माना आदेश
आदेश की कॉपी छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को दिखाई, लेकिन फिर भी टर्मिनेशन वापस नहीं हुआ। इसके बाद कमलकांत राव ने याचिका दायर कर कोर्ट से अनुरोध किया कि टर्मिनेशन वापस लिया जाए। कोर्ट ने अनंत नारायण मिश्रा केस का उदाहरण देते हुए यूनिवर्सिटी को टर्मिनेशन वापस लेने का सुझाव दिया। इसी बीच कुलपति प्रो। पूनम टंडन ने कार्यभार ग्रहण किया। सभी शोध छात्रों ने उनको मामले को अवगत कराया और 1 साल 9 महीने 3 दिन के बाद कुलपति ने राहत देते हुए टर्मिनेशन वापस करने का आदेश दिया। इस जीत के बाद कमलकांत राव, कृतिका सिंह, अंजली पांडेय, अन्नू जायसवाल आदि शोध छात्रों ने सभी प्रोफेसर से मिलकर आशीर्वाद लिया और अपने पीएचडी कार्य को जल्द समाप्त करने का सुझाव भी लिया।