Bareilly: देखना है अगर मेरी उड़ान को तो जाओ और ऊंचा कर दो आसमान को. इसी फलसफा को अपनाकर यहां के यूथ बुलंदियों को छू रहे हैं. आज नेशनल यूथ डे है. इस ऑकेजन पर हम आपको मिलवा रहे हैं बरेली के यंग ब्रिगेड से. ये बरेली के आकाश में चमकने वाले वो सितारे हैं जिनका आकार दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. इन्होंने अपनी-अपनी फील्ड में शानदार प्रदर्शन कर बरेली के साथ अपना नाम भी रौशन किया है. उत्साह और पॉजिटिव एनर्जी से लबरेज यूथ रास्ते में आने वाले हर बाधा को पारकर मंजिल तक पहुंच रहे हैं.

अपूर्व होंगे आज सम्मानित
फिल्म एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा के बाद बरेली से अपूर्व एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने अपना नाम नेशनल रिकॉर्ड बुक में दर्ज करवाया है। यह प्राउड की बात है। अपूर्व को आज लखनऊ में सम्मानित किया जा रहा है। वे छह नेशनल और एक वल्र्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं। उनका सेलेक्शन आट्र्स और क्रिएटिविटी कैटेगरी में बनाए गए रिकॉड्र्स की वजह से हुआ है। इस मौके पर कई नामी गिरामी हस्तियों के साथ इटली बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम भी मौजूद रहेंगी। हाल ही में सबसे लम्बी ईमेल आईडी बनाने का रिकॉर्ड भी उसने अपने नाम किया। उसका नाम वल्र्ड रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया। अपूर्वा ने donopkdnamushkilhininamumkinhai@abcdefghijklmnopqrstuvwxyzabcdefghijklmnopqrstuvwxyzabcdefghijk.com 100 कैरेक्टर्स का यूज करके ईमेल क्रिएट किया था। 20 साल के अपूर्व बीसीबी से बीकॉम कर रहा है। इसके साथ ही मुंबई से बैचलर इन फाइन आट्र्स की स्टडी भी कर रहा है।
सृष्टि ने लिखी इबारत
14 दिसम्बर को दिल्ली में ऑर्गनाइज्ड डांस कॉम्पिटिशन में सृष्टि को नेशनल अचीवमेंट फॉर बेस्ट सोलो डांस के खिताब से नवाजा गया। एचआईवी एड्स रिसर्च एंड केयर सेंटर सिटी पेट्रे की ओर से कॉम्पिटिशन ऑर्गनाइज किया गया था। इससे पहले वह 23 और 24 दिसम्बर 2010 में त्रिशूल, केरला में ऑर्गनाइज इंटरनेशनल फेस्ट साउथ में अवार्ड जीत चुकी है। वहीं नवंबर 2010 में उसे बरेली के बेस्ट एथलीट ऑफ द ईयर अवार्ड से नवाजा गया।
नितिन 70 देशों को पछाड़ा
नितिन ने बीते वर्ष साउथ अफ्रीका में ऑर्गनाइज जूनियर कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में 105 किलो वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता था। उसने 70 देशों के वेटलिफ्टर्स को पछाड़ते हुए यह कामयाबी हासिल की। इस अचीवमेंट के बाद इंडियन ओवरसीज बैंक ने उसे कैश प्राइज से सम्मानित किया। नितिन इससे पहले जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल भी हासिल कर चुका है।
दिव्य दिवाकर
नेशनल अवार्ड विनर कार्टूनिस्ट दिवाकर आर्य ने अपने अचीवमेंट से बरेली के आकाश को रौशन कर दिया। बीते वर्ष वह बेस्ट कार्टून की बदौलत दिसम्बर में कोच्चि से राष्ट्रीय केरल कला संगम सम्मान लेकर वापस लौटा। वहां उन्होंने वरिष्ठ कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण से भी मुलाकात की। इससे पहले भी दिवाकर ने बेस्ट कार्टून बना कर बीएचयू से 2005 में और आगरा से 2008 में नेशनल अवार्ड हासिल कर चुका है।
Deaf players हैं दमदार
यूथ पावर को बढ़ाने में डेफ प्लेयर्स भी किसी से पीछे नहीं हैं। शहर से चार डेफ प्लेयर्स का सेलेक्शन 17 वीं नेशनल डेफ एथलेटिक कॉम्पिटिशन के लिए हुआ है। 10 जनवरी से जमशेदपुर में शुरू हुए इस कॉम्पिटिशन में बरेली से इंटरनेशनल प्लेयर आसिफ अय्यूबी, महताब हुसैन, इंटरनेशनल प्लेयर लालता प्रसाद और निहित पार्टिसिपेट कर रहे हैं। यह 14 जनवरी तक चलेगा। शानदार प्रदर्शन करने वाले प्लेयर्स का सेलेक्शन इंडियन टीम में हो सकता है। सेलेक्टेड टीम 26 मई को कोरिया में ऑर्गनाइज होने वाले इंटरनेशनल   डेफ एथलेटिक कॉम्पिटिशन में पार्टिसिपेट करेगी।
खेताराम ने नापी दिल्ली
बीते वर्ष 27 नवंबर को दिल्ली में ऑर्गनाइज हाफ दिल्ली मैराथन में जाट रेजिमेंट सेंटर के हवलदार खेताराम ने बरेली का नाम रौशन कर दिया। खेताराम ने धावक वर्ग में सेकेंड प्लेस हासिल किया था। वह इस दौड़ को 1 घंटा 4 मिनट 44 सेकेंड में ही पूरा कर लिया था। खेताराम ने इससे पहले अगस्त 2010 में हैदराबाद में सिल्वर मेडल। नवंबर 2010 में हैदराबाद में 10, 000 मीटर की आर्मी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। वहीं जुलाई 2011 में कोलकाता में ऑर्गनइज 10, 000 मीटर ओपन नेशनल रेस में सिल्वर मेडल और जनवरी 2011 में मुम्बई में ऑर्गनाइज्ड 21 किमी हाफ मैराथन में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया।
योगेन्द्र की golden victory

बीते साल 09-11 दिसंबर के बीच एमपी के तत्या टोपे में ऑर्गनाइज सेंट्रल जोनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में योगेंद्र ने गोल्ड मेडल पर कब्ज किया। वहीं शहर के रिजवान ने भी इसी चैंपियनशिप के सीनियर मीडिल वेट में ब्रॉन्ज पर कब्जा किया था। वह जून 2011 में हुए स्टेट लेवल ताइक्वांडो कॉम्पिटिशन में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया।

 

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A journey from waste to green revolution
दो स्टूडेंट्स ने एनिमल हॉन्र्स और अदर वेस्टेज से जैविक खाद और इकोफ्रेंडली पेस्टिसाइड बनाकर एक इंपॉर्टेंट उपलब्धि अपने नाम की है। बीबीएल पब्लिक स्कूल के इन स्टूडेंट्स ने अपने टीचर की डायरेक्शन में एक प्रोजेक्ट तैयार किया, जो 99वें इंडियन साइंस कांग्रेस में सेलेक्ट हुआ। साइंटिफिक अप्रूवल के बाद उनका फार्मूला पेटेंट होने की राह पर है। इसका कमर्शियल यूज शुरू होने पर देश में इको फ्रेंडली फार्मिंग की नई शुरुआत होगी। इससे पहले केमिकल फर्टीलाइजर्स और पेस्टिसाइड यूज करने पर पंजाब, हरियाणा सहित देश के कई भागों में खेती योग्य जमीनें बंजर हो चुकी हैं या फिर इसके कगार पर हैं।
Low input high output
ग्रीन रिवोल्यूशन और वह भी इको फ्रेंडली, अब ये सपना सच साबित होने जा रहा है। बीबीएल स्कूल के 10वीं के स्टूडेंट्स प्रियांश सक्सेना और शिखर गुप्ता ने अपने सेव एनवायरमेंट मॉडल से आशा की किरण जगाई है। उन्होंने न्यू पेस्टीसाइड और इको फ्रेंडली जैविक खाद बनाकर एग्रीकल्चर की फील्ड में नई इबारत लिख दी है। 'बॉयो डिग्रेडेशन ऑफ हॉन्र्स - मेकिंग इको फ्रेंडली मेन्योरÓ विषय के तहत बनाए हुए उनके मॉडल को भुवनेश्वर में आयोजित 99वें इंडियन साइंस कांग्रेस में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में सेलेक्ट किया गया। स्कूल की टीचर और उनकी डायरेक्टर अल्पना जोशी ने बताया कि जल्द ही उनका यह फार्मूला पेटेंट होकर बाजार में उपलब्ध होगा।
Horn degradation के लिए project
शिखर ने बताया कि हमने एनिमल हॉर्न डिग्रेडेशन को लेकर सोचना शुरू किया। फिर हमने सींग गलाने के लिए प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। इसके लिए जानवर की सींग में गाय का गोबर भरकर उसे मिट्टी में दबा दिया गया। तीन से चार मंथ के बाद जब सींग को निकाला गया तो पाया कि सींग गलना शुरू हो गया था। हॉर्न डिग्रेडेशन में मिली सफलता के बाद उत्साहित होकर हमने अन्य पॉसीबिलिटीज पर काम करना शुरू किया तो जैविक खाद, पेस्टीसाइड की खोज हो सकी।
ऐसे बनी eco friendly जैविक खाद
शिखर ने बताया कि उन्होंने इको फ्रेंडली जैविक खाद बनाने के लिए मरे हुए जानवर की सींग में गाय का गोबर भर कर मिट्टी में इस तरह दबाया कि सींग की नोक ऊपर की तरफ रहे। सींग को तीन से चार मंथ के बाद बाहर निकाला गया। चेक करने पर पता चला कि छात्रों ने हार्न को गलाने में सफलता पा ली थी। हार्न के डिग्रेड हुए पार्ट के सैम्पल और कम्पोस्ड गोबर का टेस्ट करने पर पता चला कि माइक्रो और मैक्रो लेवल के सभी 13 न्यूट्रीशन मिट्टी में मौजूद थे। इस मिक्चर में खाद के सभी क्वालिटी मौजूद थी।
Proud moment for school
स्कूल स्टाफ अपने स्टूडेंट्स की इस सफलता पर खुशी से फूला नहीं समा रहा है। हो भी क्यों न, इनके बनाए मॉडल को नेशनल लेवल पर पहचान मिली है। प्रोजेक्ट की डायरेक्टर अल्पना जोशी ने बताया कि लगभग डेढ़ साल की मेहनत के बाद छात्रों को सफलता मिली है। सेव एनवायरमेंट की थीम पर यह मॉडल बना है। इसे पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम से सराहना मिली। यह अपने आप में किसी ईनाम से कम नहीं है। स्कूल के डायरेक्टर एफएक्स पांडेय ने बताया कि छात्रों को उनकी खोज के लिए स्कूल की तरफ से सभी फैसिलिटी प्रोवाइड की जाती थी। अगर छात्र अपनी खोज को आगे बढ़ाना चाहेंगे तो स्कूल उनका पूरा सपोर्ट करेगा।
Save agriculture with eco friendly pesticide
इको फ्रेंडली पेस्टीसाइड बनाने के लिए केंचुए की देशी प्रजाति को चुना गया। इनमें हाई टेंप्रेचर सहने की क्षमता होती है। इन केंचुओं को हॉन्र्स डिग्रेडेशन से बनी खाद के साथ रखा गया। जिस फ्लास्क में उन्हें रखा गया उसका टेंप्रेचर तकरीबन 37.5 से 40 डिग्री के बीच में रखा गया। कुछ टाइम बाद केंचुओं के शरीर से निकले फ्ल्यूड को चेक करने पर पता चला कि वह पौधों पर पेस्टीसाइड की तरह वर्क कर रहा है। यह पेस्टीसाइड पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। केमिकल पेस्टीसाइड का ज्यादा यूज जमीन को बजंर बनाता है। इसके साथ ही इसका यूज कर उत्पादित वस्तुएं भी लोगों के लिए खतरनाक है। लोग इसे मीठा जहर कहते हैं। इससे पैदावार में न्यूट्रीशन की मात्रा भी कम हो जाती है।
Growing power को boost करेगा
केंचुओं के फ्ल्यूड की टेस्टिंग और एक्सपेरिमेंट से एक और बाई-प्रोडक्ट तैयार हुआ है। प्लांट पर इसके एक्सपेरिमेंट के बाद छात्र हैरान रह गये। एक्सपेरिमेंट के दौरान उन्होंने पाया कि पौधों की ग्राइंग पावर अन एक्सपेक्टेडली बढ़ गई है। पौधे दोगुनी रफ्तार से बढऩे लगे। इस फार्मूले को खेती में यूज करके फार्मर अपनी प्रोडक्टीविटी बढ़ा सकेंगे। इसका यूज कर फार्मर उत्पादकता बढ़ सकते हैं। इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं होगा। इससे सेहत भी अच्छी रहेगी और पैदावार भी।
पापा ने की help
प्रियांश ने बताया कि उसके पापा डॉ। संजीव कुमार एक साइंटिस्ट हैं। वे उसे मोटिवेट करते हैं। उनकी हेल्प से ही वह इस प्रोजेक्ट को कंप्लीट कर पाया है। वे उसे टाइम-टाइम पर गाइड करते रहे। जब कभी उसे प्रोजेक्ट में प्रॉब्लम होती तो वह अपने पिता से डिस्कस करता था। वे उसकी प्रॉब्लम को गौर से सुनते थे और फिर उसका सॉल्यूशन उसे समझाते थे।

Report by: Gupteshwar Kumar/Abhishek Mishra

Posted By: Inextlive