बदलते तकनीक के इस दौर में यूथ की सोशल मीडिया पर निर्भरता बढती जा रही है. इतना ही नहीं अब तो वे अपनी दिनचर्या की कमान भी एआई के हाथों में सौंपने लगे है.

बरेली (ब्यूरो)। बदलते तकनीक के इस दौर में यूथ की सोशल मीडिया पर निर्भरता बढती जा रही है। इतना ही नहीं अब तो वे अपनी दिनचर्या की कमान भी एआई के हाथों में सौंपने लगे है। सुबह उठकर दिन भर में जितने घंटे का शेडयूल चाहिए होता है वे उसे एआई से तैयार कर उस के अनुसार ही अपना दिन भर का वर्क करते है।

वर्क के अनुसार शेडयूल
एआई पर दिन भर का वर्क शेड्यूल बनवाने के लिए आपको घंटा बिताना होता है। आप स्टूडेंट्स है या फिर जॉब पर्सन, ये आपके वर्क के अनुसार आपका शेड्यूल तैयार कर आप को सौंप देता है। इस दौरान मूवी आदि का यदि आप का प्लान है तो एआई उसमें मूवी को भी शामिल करता है। सुबह में अगर आपको अगले दिन का प्लान बनाना है तो आपको शेड्यूल में बताएगा कि कितने बजे जागना है। योग या फिर जिम कितने बजे, ब्रेक फास्ट और ऑफिस वर्क का टाइम भी यह तय कर देता है। इसके बाद आपको दोपहर का शेडयूल और लंच टाइम मेंशन करने के साथ शाम के सोने तक का शेडयूल तैयार करके देता है। इसको यूथ मन से फॉलो भी कर रहे हैं।

भावनात्मक रिश्तों के लिए घातक
यूथ की एआई पर इतनी आत्मनिर्भरता भावनात्मक रिश्तों के लिए भी घातक बनती जा रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि मोबाइल और लैपटॉप में बिजी होने के चलते यूथ घर में होते हुए भी अपने परिवार के लिए टाइम नहीं दे पाते हंै। वे अधिकांश टाइम तो मोबाइल पर ही बिजी रहते हंै, लेकिन एआई के आने और उस पर निर्भरता बढऩे से भावनात्मक रिश्तों में भी दूरी बढऩे लगी है। यानि यह भावनात्मक रिश्तों के लिए कहीं न कहीं घातक ही साबित होगा।

साइबर ठगों से रहे अलर्ट
एआई ने यूथ के लिए लाइफ तो आसान की है, लेकिन इस पर अब साइबर ठग भी सक्रिय भी हो गए हैं। इतना ही नहीं ये ठग इतने शातिर हो गए हैं कि एआई का यूज करके ठगी के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। इससे कई लोग ठगी का भी शिकार हो चुके हैं। इसको लेकर भी लगातार साइबर एक्सपर्ट की तरफ से अवेयर किया जा रहा है।

इतनी भी निर्भरता ठीक नहीं
जिला अस्पताल की साइक्लोजिकल काउंसलर डॉ। खुशअदा का कहना है कि टेक्नोलॉजी पर निर्भरता न बढ़ाएं, अपना भी दिमाग चलाएं। क्योंकि मशीनरी पर निर्भरता ठीक नहीं। मेंटल कैपिसिटी का यूज करें। प्रोडक्टिव होकर काम करें तभी बेहतर रिजल्ट आएगा और फ्यूचर भी बेहतर होगा। अगर आप अपना दिमाग यूज नहीं करेंगे तो उसकी स्किल्स खत्म होती जाएंगी, इसलिए जरूरी है कि हम अपनी निर्भरता दूसरों पर न बढ़ाएं खुद भी अपने माइंड का यूज करें।

बोले यूजर्स
एआई से कई ऐसे काम हो जाते हैं, जिससे लगता है कि इसका यूज ही करना चाहिए। मैं फिजूल में एआई का यूज नहीं करता हूं, बल्कि प्रोजेक्ट आदि बनाने के लिए इके काम में लाता हूं।
पवन

मैं स्टडी करता हूं। कभी मुझे लगता है कि शेड्यूल बनाकर स्टडी करने के साथ अन्य काम भी हो जाएं तो इसके लिए मैं एआई का यूज करके शेडयूल तैयार करा लेता हूं। उसे फॉलो भी करता हूं।
हिमांशू

एआई से मैं अपना दिन भर का शेड्यूल ही नहीं अन्य काम भी करती हूं, इससे काफी आसानी हो जाती है। इसके लिए मैं एक दिन पहले ही तैयारी कर लेती हूं फिर उसे फॉलो करती हूं।
माही

रिज्यूमे बनाना हो या फिर अपने दिन भर के वर्क का शेड्यूल एआई से असानी हो जाती है। इसलिए मैं एआई का यूज करती हूं। काफी हेल्प मिलती है इससे, लेकिन फिजूल के लिए यूज नहीं करती हूं।
नेहा

Posted By: Inextlive