Bareilly:देश की राजनीति में इंपॉर्टेंट रोल प्ले करने वाले स्टेट के युवा सीएम पर मुहर लगते ही बरेली में ढोल-नगाड़ों की आवाज गूंजने लगी. बरेलियंस ने इस डिसीजन का खुलकर स्वागत किया. यूथ में अखिलेश को लेकर उत्साह और तमाम उम्मीदें हैं. वहीं छात्र नेता भी राजनीति की नर्सरी के फिर से शुरू होने की आशा लिए उनकी तरफ नजरें गड़ाए बैठे हैं.


निजाम बदलते ही आवाम की हालत में भी बदलाव की तमाम उम्मीदें थीं। ऐसे में अखिलेश यादव के सीएम बनने के डिसीजन ने लोगों चौंका दिया है। वे खुश हैं। स्पेशली यूथ में यंग अखिलेश के सीएम बनने की खबर सुनते ही जोश की नई लहर सी दौड़ पड़ी। उन्हें उम्मीद है कि यूथ होने के नाते वे उनके बारे में सोचेंगे और स्टेट को डेवलपमेंट की राह पर ले जाएंगे। आई नेक्स्ट ने जाना कि बरेलियंस को नए सीएम से क्या उम्मीदें हैं-अखिलेश युवा हैं। उनके सीएम बनने से निश्चित ही प्रदेश में खुशहाली का माहौल बनेगा। पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान जो गलतियां हुई हैं, उम्मीद है उससे सबक लेकर अखिलेश प्रदेश के विकास को गति  देते हुए जनता की उम्मीदों पर खरे साबित होंगे।   -अखिलेश, स्टूडेंट


अखिलेश पढ़े लिखे समझदार युवा नेता हैं। उन्हें पता है कि जनता की क्या डिमांड है और उन्हें कैसे पूरा किया जा सकता है। उम्मीद है कि वे अपने मैनीफेस्टो में किए वादों को पूरा करेंगे। उम्मीद है अखिलेश के सीएम बनते ही स्टूडेंट्स की डिमांड पर गवर्नमेंट ध्यान देगी.   -वसीम, स्टूडेंट

अखिलेश प्रदेश के सबसे कम उम्र के सीएम बनेंगे। उम्मीद है कि वे बदले की भावना और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विकास के कामों को गति देंगे। प्रदेश की सबसे बड़ी प्रॉब्लम डेवलपमेंट और कानून व्यवस्था से जुड़ी हुई है। प्रदेश में बनने वाली नई सरकार जनता की इन दोनों मांगों को पूरा करने का प्रयास करेगी।   -शुभी, स्टूडेंट फिर लगेगी पॉलिटिक्स की क्लास!छात्रसंघ को राजनीति की नर्सरी के तौर पर जाना जाता है। इसी नर्सरी का खाद पानी पाकर कई नेताओं ने अपने पॉलिटिकल करियर की स्टार्टिंग की। पांच साल पहले इस पर बैन लगा तो ऐसा लगा जैसे कैंपस में स्टूडेंट्स की अपनी कोई आवाज ही नहीं। असेंबली इलेक्शन में सपा की वापसी और अखिलेश के सीएम बनने पर एक बार फिर छात्रसंघ की उम्मीद जग गई है। आहट को भांपते हुए छात्रनेता और छात्र संगठनों ने नए सिरे से अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। संगठन खुद को नए सिरे से खड़ा करने की रणनीति बना रहे हैं तो नेताओं ने नए सत्र के समीकरणों की अभी से समीक्षा शुरू कर दी है।

छात्रसंघ का सबसे ज्यादा फायदा गरीब स्टूडेंट्स को होता है। फीस में बढ़ोतरी और छात्रवृत्ति के मामलों में छात्र खुद को ठगा हुआ सा महसूस करता है। हर फैसले पर यूनिवर्सिटी की मनमानी चलती है। जहां तक बात छात्रसंघ की गुंडागर्दी की है तो एडमिनिस्ट्रेशन को यह पहले तय करना होगा कि गलत तत्व इलेक्शन में शामिल न हो सकें। -कमल हसन, जिला संयोजक, एसएफआईस्टूडेंट्स की प्रॉब्लम की सुनवाई छात्रसंघ स्थापित होने के बाद ही होगी। विवि प्रशासन निरंकुश हो गया है। छात्रों को सहूलियत देने के लिए छात्रसंघ की जरूरत है.   -सुमित, एबीवीपीयूनिवर्सिटीज में छात्रों का शोषण हो रहा है। अगर छात्रसंघ चुनाव होते तो क्या ये हो सकता था? इसलिए आज सबसे ज्यादा जरूरत छात्रसंघ चुनावों की है। -रजत, अंबेडकर छात्र सभा इस बदलाव में स्टूडेंट्स की इंपॉर्टेंट भूमिका रहेगी। हमारी प्राथमिकता यही होगी कि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स संगठन से जोड़े जाएं। हर विश्वविद्यालय और कॉलेज में स्टूडेंट्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका जुड़ाव संगठन से हो यही हमारी कोशिश होगी। बरेली में असेंबली इलेक्शन अभी खत्म हुए हैं। इसके बाद पार्टी के दफ्तर पर छात्रसंघ चुनाव को लेकर ही मीटिंग हो रही है। -विशाल, महानगर प्रेसिडेंट,समाजवादी छात्र सभा क्या था सपा का मैनीफेस्टो
समाजवादी पार्टी ने असेम्बली इलेक्शन से पहले ही छात्र संघ बहाली की पैरवी शुरू कर दी थी। यूथ आइकन की तरह उभरे अखिलेश यादव ने बहुत पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि अगर आगामी असेम्बली इलेक्शन में सपा की सरकार में आती है तो विवि और कॉलेज स्तर पर छात्र संघ चुनाव करवाए जाएंगे। सभी चाहते थे कि अखिलेश सीएम बनें। अखिलेश पढ़े-लिखे युवा हैं, जिनमें कुछ कर गुजरने का जोश है। वे युवाओं की समस्याओं का समाधान करेंगे। शहर के कई ऐसे कार्य हैं जो विकास में बाधा बने हुए हैं। उम्मीद है कि उनके सीएम बनने से प्रदेश में रुके हुए विकास कार्य पूरे होंगे.    -श्वेता, स्टूडेंट

Posted By: Inextlive