Bareilly:क्या आपने गौर किया है कभी आपके आंगन में फुदकने वाली गौरेया अब नजर नहीं आती. गौरेया बिल्कुल ही लुप्तावस्था में पहुंच चुकी है. गौरेया की ऐसी स्थिति बरेली सहित कई ऐसी सिटिज में हो गई है जहां कंक्रीट के जंगल तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. भोजन पानी और रहने तक की मुसिबत ने अब गौरेया को केवल किताबों के पन्नों में ही देखने के लिए छोड़ दिया है.


World sparrow day (20 March)

अब नहीं मिलता आशियाना रिसर्च में सामने आया कि उपकरणों से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें घरों में फुदकने वाली गौरैया के लिए जानलेवा साबित हो रही है। आईवीआरआई के निदेशक एमसी शर्मा के एकॉर्डिंग, हमारी बदली जीवन शैली गौरैया के लिए साइलेंट किलर है। गौरैया एक घरेलू पक्षी है। मॉडर्न कल्चर में खुली छत के बड़े मकानों का चलन कम हुआ है और फ्लैट का कल्चर बढ़ा है। बदलते कल्चर का इफेक्ट इस चिडिय़ा के आशियाने पर भी पड़ा है.  इलेक्ट्रोमेग्नेटिक तरंगे भी है जानलेवा


साइंस सेंटर के डॉ एके माथुर ने बताया कि समय के साथ बढ़ रहे मोबाइल टावर्स ने संकट खड़ा किया है। इन मोबाइल टावर्स से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे इन पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होती है। इसका असर इनकी प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। तरंग से इफेक्टेड पक्षियों के चूजे या तो मरे हुए पैदा होते है या अनडेवलप्ड।खाने पर भी छाया संकट

बीडीए ने सिटी में साफ-सफाई के नाम पर रोड के किनारे के पेड़ों को काट दिया। इसकी वजह से उन्हें रहने का ठिकाना भी नहीं मिल रहा है। यही नहीं सिटी के अंदर इन फुटपाथों पर टाइल्स लगाकर उन्हें पक्का भी कर दिया गया है। फुटपाथ पक्के बन जाने से इन पक्षियों को खाना नसीब नहीं होता है।रखे पीने का पानी  गर्मियों में इन पक्षियों को पीने के लिए पानी नसीब नहीं होता है। जन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि प्यास से ज्यादातर पक्षी अपना दम तोड़ देते है। जन्तु विशेषज्ञ का कहना है कि स्पेरो डे पर आप अपने घर की छत पर रोज कुंडा में पानी भर कर रख दे ताकि पक्षी इस पानी को पीकर प्यास बुझा सके।

Posted By: Inextlive