-जंक्शन और ट्रेनों में निर्भया हेल्पलाइन कार्ड बांटने की मुहिम साल भर से ठप

-जीआरपी हेडक्र्वाटर ने 18 दिन पहले फिर से निर्भया कार्ड बांटने के निर्देश दिए

-पिछले साल ही जीआरपी के जिम्मेदारों ने एकमुश्त निर्भया कार्ड बांटकर खत्म किए

BAREILLY: रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए शुरू की गई 'निर्भया' हेल्पलाइन एक बार फिर चर्चा में है। साल भर से दम तोड़ चुकी जीआरपी की इस मुहिम को एक बार फिर से सांसे दिए जाने की कवायद तेज हो गई है। जीआरपी हेडक्वार्टर यूपी की ओर से निर्भया कार्ड हेल्पलाइन के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं। जीआरपी हेडक्र्वाटर ने रेलवे के सभी सुपरिटेंडेंट्स ऑफ पुलिस को लेटर भेजकर निर्भया कार्ड फिर से बांटे जाने और इस प्रोसेस को लगातार जारी रखने के निर्देश दिए हैं। हालांकि इस बार भी इस मुहिम को दोबारा शुरू करने में जिम्मेदार पिछड़ गए हैं।

यह थी जीआरपी की 'निर्भया'

क्म् दिसंबर ख्0क्ख् को दिल्ली में हुए रेप कांड के बाद देश में महिलाओं की सेफ्टी बढ़ाने के लिए आवाज उठने लगी। इसी पर जीआरपी ने भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए पिछले साल मई में निर्भया हेल्पलाइन कार्ड छपवाकर पैसेंजर्स खासकर महिलाओं में बंटवाने शुरू किए। जिसमें जीआरपी थानों के मोबाइल नम्बर्स दर्ज थे। स्टेशन या सफर के दौरान अगर किसी महिला को अपनी सेफ्टी के लिए परेशानी हो तो वह दिए गए नम्बर्स में से नजदीकी थाने को कॉल कर सकती है। जिसके बाद क्विक रिएक्शन करते हुए जीआरपी फोर्स लोकेशन पता कर मदद को पहुंचती है।

सिर्फ फॉर्मेलिटी बन गई मुहिम

महिला पैसेंजर्स को अपनी सेफ्टी के लिए कॉन्फिडेंट और पॉवरफुल बनाने के लिए शुरू जीआरपी की यह पहल बेहद उम्दा थी, लेकिन इसे जीआरपी के ही जिम्मेदार सही ढंग से चला नहीं सकें। जीआरपी की ओर से यह रुटीन में महिला पैसेंजर्स को बांटने तक ही सीमित हो गए। बेतरतीब बांटे गए निर्भया कार्ड के चलते जल्द ही थानों से इनका स्टॉक खत्म हो गया। स्टॉक खत्म हो जाने के बाद दोबारा इन्हें छपवाने और महिला पैसेंजर्स की सेफ्टी और उन्हें जीआरपी का भरोसा दिलाने की कवायद दम तोड़ गई। तब से साल भर बीत गया, लेकिन जीआरपी को फिर अपनी इस अनूठी मुहिम को शुरू करने का ख्याल नहीं आया।

कंफ्यूजन ने बढ़ाई मुसीबत

निर्भया कार्ड का मकसद था स्टेशन के साथ ही स्पेशल ट्रेनों और लेडीज कोच में सफर कर रही महिलाओं को सेफ सफर महसूस कराना। साथ ही ट्रेनों में होने वाली वारदातों और मनचलों के खौफ से उन्हें निजात दिलाना। लेकिन जीआरपी की इस मुहिम को पब्लिक भी सही से नहीं समझ सकी। स्टेशन व ट्रेनों में सफर से इतर हैरेसमेंट के मामलों में भी महिलाएं इन हेल्पलाइन पर छेड़खानी, धमकी और अन्य मामलों की शिकायत करने लगी। वहीं कईयों ने इसे इंक्वायरी समझ ट्रेनों की जानकारी मालूम करने का जरिया समझा। अवेयरनेस न होने से पब्लिक की इन गल्तियों का खामियाजा जीआरपी को भी भुगतना पड़ा।

यूं होनी थी मिहला सुरक्षा

निर्भया कार्ड में जीआरपी के हर सेक्शन के तहत आने वाले थानों के नम्बर्स दिए गए थे। बरेली जंक्शन मुरादाबाद सेक्शन के तहत आता है। ऐसे में निर्भया कार्ड में लखनऊ से लेकर गाजियाबाद तक के जीआरपी के क्0 थानों के नम्बर्स दिए गए थे। साथ ही मुरादाबाद और लखनऊ के कंट्रोल रूम के नम्बर्स भी दिए गए। स्टेशन या लखनऊ-दिल्ली रुट की ट्रेन में अगर हैरेसमेंट या वारदात की शिकार कोई महिला इन नम्बर्स पर कॉल करें तो कंट्रोल रूम फोर्स को तुरंत महिला की हेल्प के लिए निर्देश देता। ट्रेन जिस स्टेशन को पहुंचने वाली हो वहां ट्रेन को रुकवाकर जीआरपी की फोर्स पर पहुंचकर मदद करें और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करती।

क्8 दिन बाद भी 'सुस्त'

एडीजी रेलवे, यूपी की ओर से निर्भया कार्ड को लेकर ख्7 जून को नए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इसमें एडीजी ने विभिन्न सेक्शंस में निर्भया कार्ड कुछ ही दिनों में इकट्ठा बांटकर खत्म करने की जानकारी का जिक्र किया। एडीजी ने सभी एसपी रेलवे को निर्देश दिए कि वह अपने सेक्शन स्तर पर निर्भया कार्ड छपवा लें और इन्हें स्पेशल ट्रेनों के कोच खासकर महिला कोच में बांटने का निर्देश दिया है। एडीजी ने साफ चेताया है कि हर कोच में क्0 निर्भया कार्ड से ज्यादा न बांटे जाएं साथ ही इस कवायद को सिर्फ कुछ दिन नहीं बल्कि हमेशा जारी रखे, लेकिन आदेश जारी होने के क्8 दिन बाद भी सेक्शंस स्तर पर इस ओर कोई कवायद शुरू नहीं हो सकी।

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निर्भया कार्ड छपवाने का काम मुरादाबाद सेक्शन लेवल से ही होना है। अब तक इस बारे में हमें मुरादाबाद से कोई निर्देश नहीं मिले और न ही निर्भया कार्ड छपकर ही आए हैं। ट्रेनों में कार्ड बंटवाने के अलावा कोच में बोर्ड लगवाकर हेल्पलाइन नम्बर्स जारी करना भी बेहतर होता। - आरबी तिवारी, इंचार्ज जीआरपी थाना

Posted By: Inextlive