महिलाओं मेंंं ज्यादा रहता है ‘थाइरॉयड’ का खतरा
बरेली (ब्यूरो)। बदलते परिवेश में नई-नई बीमारियां जन्म लेने लगी हैं। इसमें खानपापान का हमारे स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है। इस सबके बीच ही थाइरॉयड नाम की बीमारी भी गंभीर खतरा बनकर सामने आई है। जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ। शैव्या बताती है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थाइरॉयड का खतरा अधिक रहता है। जिला अस्पताल में आने वाली 10 गर्भवती महिलाओं में से दो से तीन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान थाइरॉयड की समस्या का पता चलता है।
गर्भावस्था में कराएं जांच
डॉ। शैव्या के अनुसार गर्भावस्था के पहले महीने में ही थाइरॉयड सहित सभी जांच करानी चाहिए। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थाइरॉयड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है क्योंकि इस समय उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। अगर सही दवा नहीं दी जाए तो बच्चे का विकास, ब्रेन में समस्या और गर्भपात तक हो सकता है।
थाइरॉयड की पहचान
थाइरॉयड वोकल कॉर्ड के नीचे और गले के सामने वाले भाग में पाया जाता हैै। जब थाइरॉयड ग्रंथि सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देती है तो समस्या पैदा होती है। छोटी-छोटी थैली के टुकड़ों से बनी इस ग्रंथि में एक तरह का गाढ़ा द्रव पाया जाता है। इस द्रव में थाइरॉयड हार्मोन पाए जाते हैं।
10 पेशेंट आते हैैं रोज
थाइरॉयड हार्मोन विभिन्न रासायनिक पदार्थों को इक_ा करके रक्त में भेजने का काम करते हैं। डॉ। शैव्या ने बताया कि जिला अस्पताल में रोज करीब आठ से 10 पेशेंट इस रोग के आते हैं। वल्र्ड थाइरॉयड डे हर वर्ष 25 मई को मनाया जाता है ताकि लोग इसको लेकर अवेयर हो सकें। आयोडीन की कमी खतरनाक
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ। वागीश वैश्य ने बताया कि अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थाइरॉयड हार्मोन की सक्रियता पर असर पड़ता है। आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थाइरॉयड ग्रंथियां विशेष रूप से प्रभावित होती हैं। यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो तो इसके होने की संभावना अधिक रहती है। दो प्रकार की होती हैै बीमारी
थाइरॉयड दो प्रकार की होती है। एक हाइपर थाइरॉयड और दूसरी हाइपो थाइरॉयड। इसके उपचार के लिए रक्त में टीएसएच और थाइरॉयड हार्मोन की जांच की जाती है। इससे पीडि़त मरीजों को कम से कम हर तीन महीनें पर जांच कराते रहना चाहिए।
हाइपर थाइरॉयड
जो लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं, उनमें अत्यधिक मात्रा में थाइरॉयड हार्मोन बनता है और इससे शरीर का वजन कम हो जाता है। पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है। घबराहट, हाथों का कांपना, अनिद्रा, दिल की धडक़न का बढऩा, महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता होना इसके लक्षण में शामिल हैै। थाइरॉयड हार्मोन के संतुलन के लिए ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स से भरपूर चीजें जैसे, अखरोट, फ्लैक्स सीड्स,आंवला और फिश खानी चाहिए। इसके प्रोटीन से भरपूर सोया प्रोडक्ट्स का सेवन भी किया जा सकता है।
इससे पीडि़त मरीजों का वजन बढ़ जाता है। वहीं, इसमें थाइरॉयड हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है। इस वजह से पाचन शक्ति कम हो जाती है और मोटापा बढऩे लगता है। हमेशा थकान बने रहना, बालों का झडऩा, अवसाद, कंफ्यूज रहना, मासिक धर्म में अनियमितता होना। अपनी डाइट में विटामिन डी एवं साबुत अनाज, बाजरा, च्वार, फल, सब्जियां शामिल करना चाहिए। ऐसे मरीजों के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद हो सकता है।