कौन सुनेगा, किसको सुनाएं..
-महिलाओं की शिकायतों को अनसुना कर देते हैं पुलिसकर्मी
- एसएसपी की मॉनिटरिंग भी बेअसर साबित - लापरवाह पुलिसकर्मियों को चेताया, गिर सकती है गाज BAREILLY: 'सर, बीट कांस्टेबल प्रॉब्लम सुनने आया था, लेकिन आज तक कोई एक्शन नहींहुआ। सर, आईओ आया था, लेकिन वह तो मुझ पर ही आरोप लगाने लगा.' ये आपबीती है उन महिलाओं की जो अपनी शिकायतें पुलिस थाने में दर्ज कराने गई थी। जब ट्यजडे को एसएसपी जे रवींदर गौड ने शिकायतों का रजिस्टर महिला कांस्टेबल से पढ़वाया तो आधी आबादी का दर्द सामने आया। ये सब तब हो रहा है जब एसएसपी खुद ही मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। एसएसपी ने सख्त लहजे में ऐसे पुलिसकर्मियों को चेताया है जो महिलाओं की शिकायत पर उचित कार्रवाई नहींकरते हैं। भ्0 परसेंट केस आते हैं वीमेन हैरेसमेंट केएसएसपी ऑफिस में डेली आने वाली कंप्लेंट्स में भ्0 परसेंट महिला उत्पीड़न के मामले होते हैं। इनमें दहेज और ईव टीजिंग के मामले सबसे ज्यादा होते हैं। महिलाएं एसएसपी से शिकायत करती हैं कि थाने में उनकी सुनवाई नहीं होती है। यही वजह है कि वे उनके पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची है। एसएसपी ने उनकी शिकायत का हर हाल में समाधान निकालने के लिए मौके पर शिकायत के अनुसार बीट कांस्टेबल या फिर एसआई को थाना से भेजने के आदेश दिए हैं। यही नहीं शिकायत पर जरुरत के हिसाब से एफआईआर दर्ज करने और उसकी कॉपी भी घर भेजने का आदेश है।
महिलाओं से लिया जा रहा फीडबैक शिकायतों पर होनेवाली कार्रवाई की मॉनिटरिंग के लिए एसएसपी ने एक सेपरेट रजिस्टर तैयार कराया है। रजिस्टर पर शिकायतकर्ता महिला का नाम, एड्रेस, कांटेक्ट नंबर, ब्रीफ में शिकायत, थाना और उससे संबंधित की गई कार्रवाई की डिटेल्स मौजूद होती है। एसएसपी ने लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर नजर रखने के लिए महिलाओं के मोबाइल नंबर पर महिला कांस्टेबल्स से फीडबैक लेने को कहा है। महिला कांस्टेबल इसे भी रजिस्टर में दर्ज करती हैं। एसएसपी टाइम-टाइम पर इस रजिस्टर को चेक करते हैं। टयूजडे को भी रजिस्टर चेक करने के दौरान पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आयी है।