फॉर्म फिल करते समय क्यों उलझ जाते हैैं हम
हिमांशु अग्निहोत्री (बरेली)। अगर सही जानकारी होते हुए भी आप कंफ्यूज होकर गलत फॉर्म फिल कर देते हैैं तो यह एंग्जाइटी का भी लक्षण भी हो सकता है। कई बार रॉन्ग इंफोर्मेशन फिल करना बड़ी मुसीबत में भी डाल देता है, सरकारी फॉर्म होने पर इसे ठीक कराने में कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ सकती है।
&कहीं गलती न हो जाए&य
एग्जाम की ओएमआर शीट फिल करने तो कभी बंैक या अन्य फॉर्म भरने में कई बार सही जानकारी होते हुए भी रॉन्ग इंफॉर्मेशन फिल हो जाती है। एंग्जाइटी के कारण ऊंचाई पर जाने, अंधेरे में जाने या फिर अकेले कहीं जाने में डर की भावना मन में रहती है। साथ ही इससे प्रभावित व्यक्ति एकाउंट नंबर भी गलत फिल कर देता है। वहीं कुछ लोगों के साथ यह समस्या बार-बार देखने को मिलती है। चिकित्सक बताते हैं कि इसका कारण एंग्जाइटी भी हो सकता है। इस में मरीज को ट्रीटमेंट की आïवश्यकता होती है।
होता है केमिकल लोचा
डॉक्टर्स बताते हैैं कि एंग्जाइटी में ब्रेन में न्यूरो केमिकल डिस्बैलेंस हो जाता है। इससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। फॉर्म फिल करते हुए अक्सर &कहीं गलती न हो जाए&य का भाव मन में आता है। साथ ही अन्य को फॉर्म फिल करता देख मन में गलत होने का डर पैदा हो जाता है, जिसका इंपैक्ट गलती के रूप में सामने आता है।
एंग्जाइटी डिसऑर्डर में डर की भावना व्यक्ति के अंदर हर समय रहती है। इसमें डर की भावना इतनी अधिक प्रभावी होती है कि व्यक्ति खुद को कभी-कभी कमजोर भी समझने लगता है। यह भावना उन कामों को करने में भी परेशानी उत्पन्न करती है, जिसे आसानी से किया जा सकता है। ऐसे स्थिति में चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक हो जाता है। ट्रीटमेंट है जरूरी
चिकित्सक बताते हैं कि एंग्जाइटी में लक्षणों के आधार पर इस की सही समय पर पहचान करना बहुत जरूरी होता है। यह तीन प्रकार की होती है, माइल्ड, मॉडरेट व सीवियर। इसका ट्रीटमेंट पेशेंट की कंडीशन के अनुसार दवा और साइकोथैरेपी के माध्यम से किया जा सकता है। एंग्जाइटी के लक्षण
ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना
बेवजह की चिंता करना
चिड़चिड़ापन
सोने में कठिनाई
बेचैनी
थकान
बार-बार पसीना आना
आइए इनकी सुनें
फॉर्म को सही प्रकार फिल करने की प्रक्रिया पता होने के बाद भी गलत भर देना एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैैं। इससे पीडि़त व्यक्ति से खाता गलत भरने, हाइट पर जाने से डर लगने जैसी समस्या भी हो सकती है। लक्षणों के आधार पर इसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है।
डॉ। वीके श्रीवास्तव, साइकेट्रिस्ट
डॉ। आकांक्षा अग्रवाल, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट फॉर्म फिल करते समय गलती होने का फियर मन में होता है। ऐसे में सही जानकारी होने के बाद भी डिटेल गलत फिल हो जाती है। यह समस्या सेंसिटिव मामलों में और भी बढ़ जाती है, जैसे चेक या बैैंक अकाउंट नंबर फिल करते समय।
रविंद्र कुमार, एजुकेशनल साइकोलॉजिस्ट, मंडलीय मनोवैज्ञानिक केंद्र