एक और 'डिस्टर्बेस' के बाद क्लियर होगा मौसम
सैटरडे को फिर बारिश ने भिगोया
फ्राइडे को हुई थी रिकॉर्ड बारिशBAREILLY: फरवरी तक सर्दी का सितम झेलने के बाद मार्च में मौसम से मुलायम रुख की उम्मीद कर रहे बरेलियंस को फिर तगड़ा झटका लगा है। सुहावने मौसम के सपने में वेस्टर्न डिस्टर्बेस नाइटमेयर की तरह साबित हो रहा है। इस वेस्टर्न डिस्टर्बेस का असर इतना ज्यादा है कि एक-दो नहीं बल्कि पूरे पांच स्टेट में 'ठंड के बादल' छा गए हैं। बरेली में भी फ्राइडे से बरसे बादलों ने सैटरडे को भी अपना जोर दिखाया। देर शाम से शुरू हुई बूंदों ने फिर बरेलिंयस को जमकर भिगोया। इससे सर्दी का सितम और बढ़ गया। वहीं ठंडी हवा ने भी लोगों को खूब कंपकंपाया। मौसम के बदले मूड का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मैक्सिमम टेंप्रेचर एक ही दिन करीब 6 डिग्री तक लुढ़क गया है। सैटरडे को सिटी का मैक्सिमम टेंप्रेचर डिग्री सेल्सियस और मिनिमम टेंप्रेचर डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
Last western disturbanceवेदर एक्सपर्ट के मुताबिक इस साल कई बार वेस्टर्न डिस्टर्बेस की कंडीशन बनीं। इसी वजह से वेदर में स्टेबिलिटी नहीं आ पाई। फिलहाल ठंड के रिवर्स गेयर से बरेलियंस को अभी कुछ और दिन ठिठुरना पड़ेगा। इसके बाद सर्दी पूरी तरह से खत्म होने की उम्मीद की जा रही है। यह लास्ट वेस्टर्न डिस्टर्बेस माना जा सकता है। इसकी वजह एटमॉस्फेरिक प्रेशर का कम होना है। यह माना जाता है कि एटमॉस्फेरिक प्रेशर कम होने से मौसम खुल जाता है। इसकी वजह से वेस्टर्न डिस्टर्बेस भी कम ही बनते हैं, अगर बनते भी हैं तो उनका प्रभाव काफी कम होता है। फिलहाल इस इस वेस्टर्न डिस्टर्बेस का असर नेक्स्ट वीक तक दिखना ही है।
Black sea से आ रही हवा एक्सपर्ट के मुताबिक मौसम में जो बदलाव आए हैं, वह ब्लैक सी में होने वाले वेस्टर्न डिस्टर्बेस की वजह से हैं। ये हवा कश्मीर के रास्ते ही हमारे स्टेट में इंटर करती है और पहाड़ों पर बर्फबारी करने के बाद मैदानी इलाकों में भी बारिश करती है। आमतौर पर नवंबर से अप्रैल तक 9-क्0 वेस्टर्न डिस्टर्बेस होते हैं। जबकि इस बार करीब क्भ् बार इसके बनने की संभावना है। हैं। ये वेस्टर्न डिस्टर्बेस ही विंटर रेन कराते हैं। नवंबर से अब तक यह क्फ्वां वेस्टर्न डिस्टर्बेस है। सस्ती हो जाएंगी मौसमी सब्जियांरुक-रुक कर होने वाली इस विंटर रेन से सीजनल बेजिटेबल्स की खेती में एक्स्ट्रा इरीगेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस वजह से कम खर्च होने की वजह से मौसमी सब्जियां कम रेट्स पर मार्केट में अवेलेबल हो जाएंगी। इस समय आलू, बैंगन, पालक, टमाटर और प्याज की खेती की जा रही है।
आमतौर पर जनवरी और फरवरी माह में 7 बार ही वेस्टर्न डिस्टर्बेस देखने को मिलता है। जबकि इस बार यह करीब क्फ् बार बन चुका है। अभी करीब एक या दो बार वेस्टर्न डिस्टर्बेस और बनेंगें। फिर मौसम साफ हो जाएगा। -राजेश कुमार, वेदर एक्सपर्ट अचानक आ रहे वेस्टर्न डिस्टर्बेस की चपेट में आने से कई स्टेट में बारिश के साथ ओले भी पड़े हैं। अभी एक बार और यह आ सकता है। फिर इसके बाद मौसम में पूरी तरह से बदलाव आ जाएगा। -जेपी गुप्ता, डायरेक्टर, आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र