वर्दी का social ‘face’
अपनाया social networking का fundaपुलिसवालों ने खुद को मेंटली रिफ्रेश रखने का हाईटेक तरीका अपना लिया है। ड्यूटी की वजह से वे अक्सर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स से दूर रहते हैं। शेड्यूल ऐसा कि न तो ज्यादा छुट्टियां मिलती हैं और न ही ज्यादा फोन करने का टाइम। इसलिए उन्हें भी सोशल नेटवर्किंग भा गई है। मोबाइल में नेटवर्किंग साइट्स के यूज ने इनका काम और आसान कर दिया है। कहीं भी रहें, बस एक बटन पुश किया और फैमिली-फ्रेंड्स से रूबरू हो गए। बरेली में बड़ी संख्या में पुलिसवाले फेसबुक, ट्विटर, गूगल प्लस व अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़े हुए हैं। ड्यूटी से टाइम निकालकर वे इसे यूज कर रहे हैं। इसमें भी युवा पुलिसकर्मी आगे
इन साइट्स के जरिए पुलिसवाले सभी के साथ कनेक्टिविटी में हैं। यहां पर वे अपनी कोई भी जानकारी अपडेट करते हैं। दूसरों के हाल-चाल लेते हैं। चैटिंग कर लेते हैं। ओवरऑल इन साइट्स की हेल्प से अपनी स्ट्रेस लाइफ को रिफ्रेश कर लेते हैं। बरेली पुलिस के सीनियर ऑफिसर भी इन साइट्स को दोस्तों से जुड़े रहने का अच्छा माध्यम मानते हैं। हालांकि फेसबुक, ट्विटर वगैरह यूज करने में युवा पुलिसकर्मी आगे हैं। मोबाइल में ही ये फीचर होने से उनका काम और भी आसान हो गया है।
Stress से मिलती है निजातएसआई अजय श्रोतिया ने बताया कि उनके फेसबुक पर करीब ढाई सौ से अधिक फ्रेंड्स हैं। खाली टाइम में वो इसे यूज करके अपने दोस्तों से बात कर लेते हैं। इससे उन्हें लोनली फील नहीं होता। ज्यादातर पुलिसकर्मी काम के बोझ से तनाव के शिकार हो रहे हैं। लास्ट मंथ पुलिस लाइन में लगे मेडिकल चेकअप कैंप में भी ये बात सामने आई थी। शहर के तमाम पुलिसवाले हाईपरटेंशन और मेंटल स्ट्रेस से पीडि़त थे। उनमें चिड़चिड़ापन आ गया है। वजह ये है कि ड्यूटी की वजह से ये अपनी फैमिली से दूर हो जाते हैं। कई बार ट्रांसफर होते रहते हैं। ड्यूटी भी हार्ड होती है। ऐसे में अगर फैमिली साथ में है भी तो उनके लिए टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐस में ये साइट्स उनके लिए किसी रिफ्रेशमेंट से कम नहीं। सबके बारे में पता रहता है
इंस्पेक्टर राकेश वशिष्ठ ने बताया, मुझे जब भी पुलिस ड्यूटी के बाद टाइम मिलता है तो वह फेसबुक यूज कर लेता हूं। कई सारे फ्रेंड्स हैं जो पुलिस में हैं। उनसे मुलाकात तो मुश्किल ही रहती है। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग बहुत काम आ रही है। चैटिंग करते वक्त लगता है आमने-सामने बात हो रही है। हाल ही में डीआईजी नवनीत सिकेरा मेरे फ्रेंड बन गए हैं। इन साइट्स के माध्यम से पुलिसकर्मी अपनी रूटीन लाइफ से हटकर कुछ करते हैं। लंबी होती जा रही friend list नए-नए भर्ती हुए कॉन्सटेबल विशाल का कहना है कि वह पुलिस ज्वॉइन करने से पहले स्टूडेंट्स लाइफ से ही फेसबुक व ट्विटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके करीब 1500 फ्रेंड फेसबुक पर हैं। वह शामली सहारनपुर के निवासी हैं। इसीलिए दोस्तों से जुड़े रहने का ये अच्छा माध्यम है। वह टाइम मिलने पर फेसबुक चेक करते हैं। वहीं कॉन्सटेबल आकाश ने बताया कि वह फैमिली से तो फोन पर बात कर लेते हैं लेकिन दोस्तों से बात करने के लिए वो फेसबुक ही यूज करते हैं। मेरा फेसबुक में एकाउंट है लेकिन पुलिस की वर्किंग की वजह से कभी-कभार ही इसका यूज कर पाता हूं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स फ्रेंड्स के टच में रहने का अच्छा माध्यम हैं। ड्यूटी आवर्स के बाद अगर कोई पुलिसकर्मी इसका यूज करता है तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है। -एलवी एंटनी देवकुमार, डीआईजी बरेली
मेरा सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एकाउंट नहीं है लेकिन आजकल ये साइटस फ्रेंड्स से जुड़े रहने का अच्छा माध्यम हैं। पुलिस में न्यू जनरेशन इन साइटस का अच्छा यूज कर रही है। लेकिन इन साइटस का मिसयूज भी काफी हो रहा है इसलिए इसके मिसयूज से पुलिसकर्मियों को भी बचना चाहिए।-शिव सागर सिंह, एसपी सिटी बरेली फेसबुक व ट्विटर जैसी साइट्स का यूज काफी बढ़ गया है। डिपार्टमेंट में कई नई महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती हुई है, जो स्टूडेंटस लाइफ से इनका यूज कर रही हैं। इन साइट्स से वो अपने फ्रेंड्स से टच में रहती हैं। हालांकि इन साइट्स के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं। इसलिए महिला पुलिसकर्मियों को इन्हें यूज करते वक्त काफी सतर्क रहना चाहिए। -रजनी द्विवेदी, थाना प्रभारी महिला थाना सोशल नेटवर्किंग साइट्स फैमिली व फ्रेंड्स से जुड़े रहने का अच्छा माध्यम हैं। मैंने भी पहले फेसबुक का यूज किया था लेकिन किन्हीं कारणों से एकाउंट मेंटेन नहीं रख पाया। अगर पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाने के बाद इनका यूज दोस्तों से जुड़े रहने के लिए करते हैं, तो ये अच्छा ही है। -मुकुल गोयल, आईजी, बरेली जोन
Report by: Anil Kumar